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ईटीवी भारत की खबर का असर: रामपुर में 30 हजार लोगों की समस्या के निवारण का CM ने दिया निर्देश

उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में ईटीवी भारत की खबर का असर होते दिखाई दे रहा है. जहां मामले को संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामपुर जिला प्रशासन को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.दरअसल, 16 दिसंबर को ईटीवी भारत ने रामपुर के पीपलीवन में पिछले 70 सालों से मालिकाना हक की लड़ाई लड़ रहे 30 हजार लोगों की समस्या को दिखाया था. जिसे संज्ञान में लेते हुए सीएम ने अधिकारियों को मामले के निवारण के निर्देश दिए हैं.

ईटीवी भारत की खबर का असर
ईटीवी भारत की खबर का असर
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Published : Jan 2, 2022, 12:57 PM IST

Updated : Jan 2, 2022, 1:21 PM IST

रामपुर: उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में ईटीवी भारत की खबर का असर होते दिखाई दे रहा है. जहां मामले को संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामपुर जिला प्रशासन को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. 'जन विश्वास यात्रा' के दौरान रामपुर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंच से कहा कि पाकिस्तान से आए उन लोगों को पिछली सरकारों ने मालिकाना हक नहीं दिया, लेकिन हमारी सरकार उनकी समस्या का रास्ता जरूर निकालेगी.

दरअसल, रामपुर के पीपलीवन में पिछले 70 सालों से 15 गांव के 30 हजार लोग मालिकाना हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम को जब इस मामले की जानकारी हुई तो मौके पर पहुंचकर उन लोगों की समस्याओं जाना और 16 दिसंबर को प्रमुखता से इस खबर को दिखाया था, जिसका संज्ञान लेते हुए सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामपुर में खुले मंच से जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि जो भी खाद-बीज की व्यवस्था है वो सब उन लोगों को भी दिया जाए. साथ ही सीएम ने जल्द ही मामले के निवारण की भी बात कही.

रामपुर में 30 हजार लोगों की समस्या के निवारण का CM ने दिया निर्देश.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामपुर में मंच पर अपने भाषण के दौरान कहा कि 1947 में रामपुर और प्रदेश के अन्य जनपदों में पाकिस्तान से जो लोग आए थे. उन लोगों को सरकार ने जमीन के टुकड़े दिए थे, लेकिन पिछली सरकारों ने उन्हें जमीन का अधिकार नहीं दिया. सीएम ने कहा कि यह राजस्व की प्रक्रिया है. लंबी चलती है और मैं कहना चाहता हूं जो लोग जहां पर काबिज है. उनकी उपज के हिसाब से हमारी सरकार खाद और बीज की व्यवस्था करेगी. साथ ही जिला प्रशासन को इस संवेदनशील मामले का रास्ता निकालने का निर्देश देता हूं.

चुनाव बहिष्कार की दी थी चेतावनी
रामपुर जिले के 15 गांवों में रह रहे इन 30 हजार लोगों ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर इनकी समस्या का हल नहीं हुआ तो वह यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) का बहिष्कार करेंगे.

पिछली सरकारों ने दिया सिर्फ आश्वासन
रामपुर की तहसील स्वार में पिछले 70 सालों से तकरीबन 30 हजार लोग मालिकाना हक की लड़ाई वन विभाग से लड़ रहे हैं. प्रदेश में कई सरकारें आईं और चली भी गई, लेकिन इन लोगों की समस्याओं का निवारण अभी तक नहीं हो सका. अगर इन्हें कुछ मिला तो वो सिर्फ आश्वासन. हालांकि इन गांव में सरकार द्वारा सभी मूलभूत सुविधाएं दी जा रही है, जैसे बिजली का कनेक्शन, सरकारी स्कूल, पंचायत भवन, सामुदायिक शौचालय, सड़क ट्यूबवेल. लेकिन अगर इन्हें सरकार से कुछ नहीं मिला तो वो है मालिकाना हक.

गौरतलब है कि 1947 में भारत-पकिस्तान का विभाजन होने के पाकिस्तान में रह रहे सिख समुदाय कई परिवार हिंदुस्तान आ गए थे. इन परिवारों को रामपुर के नवाब ने तहसील स्वार में रहने के लिए जगह दी थी. 1949 में रामपुर के नवाब भी हुकूमत का भारत सरकार में विलय होने के बाद भी पाकिस्तान से आए लोग 15 गांवों में रह रहे हैं. इन गांव में सरकार द्वारा सभी मूलभूत सुविधाएं दी गई हैं, लेकिन सरकार से मालिकाना हक नहीं मिला है. इन 15 गांवों को उत्तर प्रदेश सरकार ने पीपलीवन में दर्ज कर दिया है. वन विभाग ने एक बार इन सब गांव के लोगों को नोटिस भी जारी किए थे और 1 महीने का टाइम दिया था कि इस जगह को खाली कर दें वरना तोड़ देंगे. इसके बाद ग्रामीण कोर्ट पहुंच गए थे.

नबीगंज पीपली गांव के प्रधान दर्शन लाल कंबोझ ने बताया कि 1947 में जब भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था, तब उनके पूर्वज पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से यहां आए थे. रामपुर के नवाब ने बंजर एरिया उनके पूर्वजों को रहने के लिए दी थी. इसके बाद से हमारे पूर्वज यहां पर रह रहे थे. दर्शन लाल ने बताया कि 1949 में रामपुर के नवाब की रियासत का भारत सरकार में विलय हो गया, उसके बाद से ही मालिकाना हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. दर्शन लाल ने कहा कि उनकी कई पीढ़ियां लड़ते-लड़ते खत्म हो गई, लेकिन अभी तक उनकी समस्याए खत्म नहीं हुई है. प्रधान दर्शन लाल ने निराश होते बताया कि 'हम तो न इंडिया के हैं और न पाकिस्तान के. हमारा कुछ भी नहीं है, हमारी जनगणना तक छुपा ली जाती है.'

क्या कह रहा है वन विभाग ?

जिला वन अधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि सिख कम्युनिटी के लोग पाकिस्तान के विभाजन के बाद यहां पर तराई क्षेत्र में विस्थापित हुए थे. जहां पर यह लोग है वह 15 गांव का जो मामला है. इन 15 गांवों की जमीन आरक्षित वन के रूप में है, जो 1950 और 51 के नोटिफिकेशन के रूप में वन विभाग को दिया गया था. पूरे के पूरे गांव वन विभाग को दे दिए गए थे. इसमें वन विभाग की ओर से अतिक्रमणकारियों को 2014 में नोटिस भी जारी किया गया था. जिसके बाद ग्रामीण कोर्ट चले गए थे.

वन अधिकारी ने बताया कि इस मामले में कमिश्नर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है. इस पूरे प्रकरण की टीम जांच करेगी, जो दस्तावेज है उनका परीक्षण करेगी. इसके बाद जो रिपोर्ट आएगी वह शासन को भेजे जाएगी. रिपोर्ट के आधार पर शासन जो भी निर्णय करेगा, वह सर्वोपरि होगा.

ईटीवी भारत की इस खबर का हुआ असर- 70 साल से मालिकाना हक की लड़ाई लड़ रहे 15 गांव के लोगों ने चुनाव बहिष्कार की दी चेतावनी

रामपुर: उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में ईटीवी भारत की खबर का असर होते दिखाई दे रहा है. जहां मामले को संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामपुर जिला प्रशासन को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. 'जन विश्वास यात्रा' के दौरान रामपुर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंच से कहा कि पाकिस्तान से आए उन लोगों को पिछली सरकारों ने मालिकाना हक नहीं दिया, लेकिन हमारी सरकार उनकी समस्या का रास्ता जरूर निकालेगी.

दरअसल, रामपुर के पीपलीवन में पिछले 70 सालों से 15 गांव के 30 हजार लोग मालिकाना हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम को जब इस मामले की जानकारी हुई तो मौके पर पहुंचकर उन लोगों की समस्याओं जाना और 16 दिसंबर को प्रमुखता से इस खबर को दिखाया था, जिसका संज्ञान लेते हुए सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामपुर में खुले मंच से जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि जो भी खाद-बीज की व्यवस्था है वो सब उन लोगों को भी दिया जाए. साथ ही सीएम ने जल्द ही मामले के निवारण की भी बात कही.

रामपुर में 30 हजार लोगों की समस्या के निवारण का CM ने दिया निर्देश.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामपुर में मंच पर अपने भाषण के दौरान कहा कि 1947 में रामपुर और प्रदेश के अन्य जनपदों में पाकिस्तान से जो लोग आए थे. उन लोगों को सरकार ने जमीन के टुकड़े दिए थे, लेकिन पिछली सरकारों ने उन्हें जमीन का अधिकार नहीं दिया. सीएम ने कहा कि यह राजस्व की प्रक्रिया है. लंबी चलती है और मैं कहना चाहता हूं जो लोग जहां पर काबिज है. उनकी उपज के हिसाब से हमारी सरकार खाद और बीज की व्यवस्था करेगी. साथ ही जिला प्रशासन को इस संवेदनशील मामले का रास्ता निकालने का निर्देश देता हूं.

चुनाव बहिष्कार की दी थी चेतावनी
रामपुर जिले के 15 गांवों में रह रहे इन 30 हजार लोगों ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर इनकी समस्या का हल नहीं हुआ तो वह यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) का बहिष्कार करेंगे.

पिछली सरकारों ने दिया सिर्फ आश्वासन
रामपुर की तहसील स्वार में पिछले 70 सालों से तकरीबन 30 हजार लोग मालिकाना हक की लड़ाई वन विभाग से लड़ रहे हैं. प्रदेश में कई सरकारें आईं और चली भी गई, लेकिन इन लोगों की समस्याओं का निवारण अभी तक नहीं हो सका. अगर इन्हें कुछ मिला तो वो सिर्फ आश्वासन. हालांकि इन गांव में सरकार द्वारा सभी मूलभूत सुविधाएं दी जा रही है, जैसे बिजली का कनेक्शन, सरकारी स्कूल, पंचायत भवन, सामुदायिक शौचालय, सड़क ट्यूबवेल. लेकिन अगर इन्हें सरकार से कुछ नहीं मिला तो वो है मालिकाना हक.

गौरतलब है कि 1947 में भारत-पकिस्तान का विभाजन होने के पाकिस्तान में रह रहे सिख समुदाय कई परिवार हिंदुस्तान आ गए थे. इन परिवारों को रामपुर के नवाब ने तहसील स्वार में रहने के लिए जगह दी थी. 1949 में रामपुर के नवाब भी हुकूमत का भारत सरकार में विलय होने के बाद भी पाकिस्तान से आए लोग 15 गांवों में रह रहे हैं. इन गांव में सरकार द्वारा सभी मूलभूत सुविधाएं दी गई हैं, लेकिन सरकार से मालिकाना हक नहीं मिला है. इन 15 गांवों को उत्तर प्रदेश सरकार ने पीपलीवन में दर्ज कर दिया है. वन विभाग ने एक बार इन सब गांव के लोगों को नोटिस भी जारी किए थे और 1 महीने का टाइम दिया था कि इस जगह को खाली कर दें वरना तोड़ देंगे. इसके बाद ग्रामीण कोर्ट पहुंच गए थे.

नबीगंज पीपली गांव के प्रधान दर्शन लाल कंबोझ ने बताया कि 1947 में जब भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था, तब उनके पूर्वज पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से यहां आए थे. रामपुर के नवाब ने बंजर एरिया उनके पूर्वजों को रहने के लिए दी थी. इसके बाद से हमारे पूर्वज यहां पर रह रहे थे. दर्शन लाल ने बताया कि 1949 में रामपुर के नवाब की रियासत का भारत सरकार में विलय हो गया, उसके बाद से ही मालिकाना हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. दर्शन लाल ने कहा कि उनकी कई पीढ़ियां लड़ते-लड़ते खत्म हो गई, लेकिन अभी तक उनकी समस्याए खत्म नहीं हुई है. प्रधान दर्शन लाल ने निराश होते बताया कि 'हम तो न इंडिया के हैं और न पाकिस्तान के. हमारा कुछ भी नहीं है, हमारी जनगणना तक छुपा ली जाती है.'

क्या कह रहा है वन विभाग ?

जिला वन अधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि सिख कम्युनिटी के लोग पाकिस्तान के विभाजन के बाद यहां पर तराई क्षेत्र में विस्थापित हुए थे. जहां पर यह लोग है वह 15 गांव का जो मामला है. इन 15 गांवों की जमीन आरक्षित वन के रूप में है, जो 1950 और 51 के नोटिफिकेशन के रूप में वन विभाग को दिया गया था. पूरे के पूरे गांव वन विभाग को दे दिए गए थे. इसमें वन विभाग की ओर से अतिक्रमणकारियों को 2014 में नोटिस भी जारी किया गया था. जिसके बाद ग्रामीण कोर्ट चले गए थे.

वन अधिकारी ने बताया कि इस मामले में कमिश्नर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है. इस पूरे प्रकरण की टीम जांच करेगी, जो दस्तावेज है उनका परीक्षण करेगी. इसके बाद जो रिपोर्ट आएगी वह शासन को भेजे जाएगी. रिपोर्ट के आधार पर शासन जो भी निर्णय करेगा, वह सर्वोपरि होगा.

ईटीवी भारत की इस खबर का हुआ असर- 70 साल से मालिकाना हक की लड़ाई लड़ रहे 15 गांव के लोगों ने चुनाव बहिष्कार की दी चेतावनी

Last Updated : Jan 2, 2022, 1:21 PM IST
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