रायबरेली: प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक के दौरान रायबरेली एम्स से जुड़ा एक लंबित प्रस्ताव पास किया गया है. दरअसल, रायबरेली एम्स परिसर की भूमि पर पहले नन्दगंज शुगर मिल का परिसर था. बाद में शुगर मिल जब बंद हो गई तो समुचित रख-रखाव के अभाव में उसका आवासीय परिसर भी बेहद जर्जर अवस्था मे पहुंच गया था, जिसके कारण उस परिसर को फिर से रिहायशी व अन्य कार्यो में उपयोग करना मुनासिब न था.
एम्स रायबरेली में पुराने भवनों को किया जाएगा ध्वस्त, कैबिनेट की मिली मंजूरी
प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में लंबे समय से लंबित रायबरेली एम्स के प्रस्ताव पर मंगलवार को मुहर लग गई है. रायबरेली एम्स परिसर की भूमि पर पहले नन्दगंज शुगर मिल का परिसर था, जिसे लोक निर्माण विभाग पहले ही निष्प्रयोज्य घोषित कर चुकी थी, लेकिन ध्वस्तीकरण से पहले कैबिनेट के अनुमति की जरुरत थी.
जानकारी देते संवाददाता प्रणव कुमार.
रायबरेली: प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक के दौरान रायबरेली एम्स से जुड़ा एक लंबित प्रस्ताव पास किया गया है. दरअसल, रायबरेली एम्स परिसर की भूमि पर पहले नन्दगंज शुगर मिल का परिसर था. बाद में शुगर मिल जब बंद हो गई तो समुचित रख-रखाव के अभाव में उसका आवासीय परिसर भी बेहद जर्जर अवस्था मे पहुंच गया था, जिसके कारण उस परिसर को फिर से रिहायशी व अन्य कार्यो में उपयोग करना मुनासिब न था.
Intro:एम्स रायबरेली परिसर में पुराने निष्प्रयोज्य भवन के ध्वस्तीकरण को मिली यूपी कैबिनेट की मंजूरी
नन्दगंज शुगर मिल के पुराने निष्प्रयोज्य भवन को एम्स रायबरेली के परिसर में ढहाने की कैबिनेट की मुहर
11 जून 2019 - रायबरेली
राजधानी लखनऊ में उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक के दौरान पारित किए गए प्रस्तावों में रायबरेली एम्स से जुड़ा एक लंबित प्रस्ताव भी पास किया गया।दरअसल रायबरेली एम्स परिसर की भूमि पर पहले नन्दगंज शुगर मिल का परिसर थी,और उसी परिसर में शुगर मिल की आवासीय बिल्डिंग भी निर्मित थी।बाद में शुगर मिल जब बंद हो गई तो समुचित रख रखाव के अभाव में उसके आवासीय परिसर भी बेहद जर्जर अवस्था मे पहुंच गया था,जिसके कारण उस परिसर को फिर से रिहायशी व अन्य कार्यो में उपयोग करना मुनासिब न था।लोक निर्माण विभाग द्वारा उसे निष्प्रयोज्य घोषित किया जा चुका था हालांकि ध्वस्तीकरण से पहले कैबिनेट के अप्परोवल्कि जरुरत थी,जिसे आज लखनऊ में हुई बैठक के बाद पारित कर दिया गया।
Body:
उल्लेखनीय है कि एम्स रायबरेली की स्वीकृति यूपीए वन शासनकाल के दौरान वर्ष 2007 में ही दी जा चुकी थी।वर्षों बाद 2012 में 150 में से करीब 97 एकड़ भूमि एम्स के लिए अधिग्रहित हो पाई थी,उसके बाद 2013 में सोनिया गांधी ने इसका शिलान्यास किया था।वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद कुछ साल प्रोजेक्ट थमा रहा फिर अगस्त 2018 से ओपीडी सेवाओं की शुरुआत हुई थी।एम्स प्रशासन द्वारा दावा किया जा रहा है कि अप्रैल 2020 तक एम्स रायबरेली अपनी सभी मुख्य सुविधाओं समेत कार्य करने की शुरूआत कर देगा।
विज़ुअल : संबंधित विज़ुअल व पीटीसी
प्रणव कुमार - 7000024034
Conclusion:
नन्दगंज शुगर मिल के पुराने निष्प्रयोज्य भवन को एम्स रायबरेली के परिसर में ढहाने की कैबिनेट की मुहर
11 जून 2019 - रायबरेली
राजधानी लखनऊ में उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक के दौरान पारित किए गए प्रस्तावों में रायबरेली एम्स से जुड़ा एक लंबित प्रस्ताव भी पास किया गया।दरअसल रायबरेली एम्स परिसर की भूमि पर पहले नन्दगंज शुगर मिल का परिसर थी,और उसी परिसर में शुगर मिल की आवासीय बिल्डिंग भी निर्मित थी।बाद में शुगर मिल जब बंद हो गई तो समुचित रख रखाव के अभाव में उसके आवासीय परिसर भी बेहद जर्जर अवस्था मे पहुंच गया था,जिसके कारण उस परिसर को फिर से रिहायशी व अन्य कार्यो में उपयोग करना मुनासिब न था।लोक निर्माण विभाग द्वारा उसे निष्प्रयोज्य घोषित किया जा चुका था हालांकि ध्वस्तीकरण से पहले कैबिनेट के अप्परोवल्कि जरुरत थी,जिसे आज लखनऊ में हुई बैठक के बाद पारित कर दिया गया।
Body:
उल्लेखनीय है कि एम्स रायबरेली की स्वीकृति यूपीए वन शासनकाल के दौरान वर्ष 2007 में ही दी जा चुकी थी।वर्षों बाद 2012 में 150 में से करीब 97 एकड़ भूमि एम्स के लिए अधिग्रहित हो पाई थी,उसके बाद 2013 में सोनिया गांधी ने इसका शिलान्यास किया था।वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद कुछ साल प्रोजेक्ट थमा रहा फिर अगस्त 2018 से ओपीडी सेवाओं की शुरुआत हुई थी।एम्स प्रशासन द्वारा दावा किया जा रहा है कि अप्रैल 2020 तक एम्स रायबरेली अपनी सभी मुख्य सुविधाओं समेत कार्य करने की शुरूआत कर देगा।
विज़ुअल : संबंधित विज़ुअल व पीटीसी
प्रणव कुमार - 7000024034
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Last Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST