रायबरेली: देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी की दूरदर्शिता के चर्चे आज भी होते हैं. भारत में कंप्यूटर समेत तकनीकी क्रांति की अलख जगाने के लिए भारत उन्हें हमेशा याद रखेगा. पूर्व पीएम राजीव गांधी राजनीतिक विरोधियों को भी अपना मुरीद बना लेने में माहिर थे. पूर्व पीएम राजीव गांधी तकनीक की दुनिया में भारत को महारथी देश बनाने का सपना देखते थे.
यह कारण है कि उनकी आधुनिक सोच और दूरदर्शी निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता ने उस दौर में देश की नीतियों और रीतियों में बदलाव किया. देश के भविष्य को लेकर बेहद संजीदा और रायबरेली-अमेठी से गहरा नाता रखने वाले राजीव गांधी की 76वीं जयंती पर रायबरेली के लोगों से उनके व्यक्तित्व व भारतीय राजनीति में उनके योगदान को याद किया.
देश के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री
20 अगस्त 1944 को जन्में राजीव गांधी देश के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री थे. साल 1984 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, जब अचानक उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी मिली, तो उनकी उम्र महज 40 साल थी. पायलट की ट्रेनिंग ले चुके राजीव गांधी राजनीति में आने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें देश का सबसे कम उम्र का प्रधानमंत्री बना दिया.
कुछ खास बातें
तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में 21 मई, 1991 की रात एक आत्मघाती बम धमाके में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. प्रधानमंत्री के तौर पर देश की सेवा करने वाले राजीव गांधी, नेहरू-गांधी परिवार के आखिरी सदस्य थे. बहुत कम लोग यह जानते हैं कि राजीव गांधी पायलट के साथ ही फोटोग्राफी के भी बेहद शौकीन थे.
रायबरेली के स्थानीय इतिहासकार डॉ. जितेंद्र सिंह कहते हैं कि राजीव गांधी जैसा व्यक्तित्व भारतीय राजनीति में कोई दूसरा नहीं हुआ. उनका मृदुभाषी व्यवहार विरोधियों को भी उनका मुरीद बना लेता था. भारतीय राजनीति में उनका अभ्युदय आकस्मिक रहा, पर वो उनमें रहे, जिन्होंने लोगों के दिलों पर राज किया.
रायबरेली-अमेठी का गौरव
रायबरेली-अमेठी के लिए यह गौरव का विषय रहा कि राजीव गांधी ने लोकसभा चुनाव यही से लड़ा. हालांकि उन्हें अपार जनसमर्थन देशभर में मिला पर इस इलाके से
उनके प्रगाढ़ संबंध अंतिम दिनों तक बरकरार रहे. राजीव गांधी का लगाव रायबरेली-अमेठी से कुछ इस कदर था मानों यहां के हर घर से उनका सीधा कोई कनेक्शन हो. यहां के छोटे-मोटे कार्यक्रमों में भी वो देश के प्रधानमंत्री रहने के बावजूद शिरकत किया करते थे. ज्यादातर कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करते थे. लगभग सभी को उनके नाम से पुकारते थे. यही सब तमाम उनमें खूबियां थी, जो उनको उस दौर और आज के नेताओं से भिन्न करती हैं. यही कारण है कि यहां के लोग में आज भी उनसे जुड़ी यादें बिल्कुल तरोताज़ा हैं.
भारत में कंप्यूटर व इंटरनेट
रायबरेली के फिरोज गांधी डिग्री कॉलेज के प्राचार्य रहे डॉ. राम बहादुर वर्मा बताते हैं कि गांधी व नेहरु खानदान के वारिस राजीव का राजनीति में आना संजय गांधी की आकस्मिक मृत्यु के कारण संभव हुआ. यदि प्रधानमंत्री बनने से पहले राजीव गांधी को बहुत ज्यादा राजनीतिक अनुभव हासिल नहीं हुआ था. बावजूद इसके पीएम के पद पर रहते हुए भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. जिस कंप्यूटर व इंटरनेट के तकनीकी क्रांति के बल पर भारत दुनिया के अग्रणी देशों में शुमार है, उसकी नींव राजीव गांधी के काल में ही रखी गई थी. उस दौरान देश में तमाम अलगाववादी ताकतों का बोलबाला था. यह राजीव का ही करिश्मा रहा कि असम समझौता और मिज़ोरम में लाल ड़ेंगा के साथ शांति स्थापित हो सकी. साथ ही उनके द्वारा सुझाए गए 'पंचायती राज' के मूलमंत्र के जरिए देश के विकास को आधारभूत मजबूती देने में कामयाबी हासिल हुई. यही सब तमाम ऐसे कारण है कि आज भी लोग उन्हें याद करते हैं.
रायबरेली की स्थानीय राजनीति के जानकार अधिवक्ता विजय विद्रोही कहते हैं राजीव गांधी बेहद सरल व सहज व्यक्तित्व के इंसान थे, उनकी सादगी का सरलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि जब बोफोर्स तोप से जुड़े सौदों से जुड़े दलाली का आरोप उन पर लगाया गया, तब खुद उनके द्वारा ही उन आरोपों की जांच करने के लिए जेपीसी (ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) भी बनाने का आदेश दिया. यहां तक कि सीबीआई जांच की अनुशंसा भी उन्हीं के द्वारा ही की गई.
ग्रामीण क्षेत्रों को विकास से जोड़ा
देश के लिए भी उनका योगदान हमेशा ही अभूतपूर्व रहेगा. भारत में कंप्यूटर उन्हीं की देन है, जहां शहरों में पूंजीवाद को आधार बनाया, वहीं पंचायती राज की परिकल्पना से उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों को विकास से जोड़ने में कामयाबी हासिल की.