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रायबरेली: ओडीएफ गांव में भी लोग कर रहे खुले में शौच, अधिकारी अंजान

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Published : Oct 28, 2020, 8:00 PM IST

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में गांवों को ओडीएफ बनाने के नाम पर खिलवाड़ किया जा रहा है. यहां पर कई गांव ऐसे हैं, जिन्हें ओडीएफ तो घोषित कर दिया गया है, लेकिन इन गांवों में शौचालय नहीं चल रहे हैं.

खुले में शौच करने को मजबूर ग्रामीण.
खुले में शौच करने को मजबूर ग्रामीण.

रायबरेली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के प्रत्येक गांव को ओडीएफ बनाने के लिए योजनाएं चला रहे हैं, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत शून्य ही नजर आती है. ऊंचाहार तहसील के रोहनियां विकास खंड के रायपुर गांव को जिला प्रशासन ने ओडीएफ घोषित किया है, लेकिन आज भी यहां लाभार्थी शौच के लिए खुले में जाते हैं. जब उनसे पूछा गया तो उनका साफ कहना है कि शौचालय नाम के लिए बने हैं. किसी में दरवाजा नहीं तो किसी में सीट नहीं है.

इस योजना के नाम पर सरकारी धन का प्रधान और उनके साथियों ने जमकर बंदरबांट किया. सभी मानकों को ताक पर रखते हुए शौचालयों का निर्माण कराया गया, लेकिन आज कहीं पर झाड़ियां के झुंड में शौचालय घिरा है, तो कहीं पर शौचालय शो-पीस बना है. हद तो तब हो गई जब जिम्मेदार अधिकारियों ने इस बात की जानकारी होने से ही पल्ला झाड़ लिया, जबकि उनके आदेश पर ही गांव को ओडीएफ घोषित किया जाता है.

खुले में शौच करने को मजबूर ग्रामीण.

मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक गोयल ने बताया कि अभी तक इस मामले की कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है. कुछ गांवों में दूसरी किस्त नहीं दी गई है. उन्हें दूसरी किस्त दी जा रही है. इससे शौचालय का निर्माण पूरा कराया जा सके. अगर कुछ लोग छूट गए हैं तो उनकी जांच करा कर उन्हें योजना का लाभ दिया जाएगा. फिलहाल गांव को ओडीएफ घोषित कर सीडीओ साहब ने अपनी वाहवाही तो शासन से करा ली, लेकिन मौके पर जाने की जहमत नहीं उठाई. अब जब मामला मीडिया के सामने आया तो जांच की बात कर अपने को बचाने की भूमिका जरूर बना ली.

रायबरेली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के प्रत्येक गांव को ओडीएफ बनाने के लिए योजनाएं चला रहे हैं, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत शून्य ही नजर आती है. ऊंचाहार तहसील के रोहनियां विकास खंड के रायपुर गांव को जिला प्रशासन ने ओडीएफ घोषित किया है, लेकिन आज भी यहां लाभार्थी शौच के लिए खुले में जाते हैं. जब उनसे पूछा गया तो उनका साफ कहना है कि शौचालय नाम के लिए बने हैं. किसी में दरवाजा नहीं तो किसी में सीट नहीं है.

इस योजना के नाम पर सरकारी धन का प्रधान और उनके साथियों ने जमकर बंदरबांट किया. सभी मानकों को ताक पर रखते हुए शौचालयों का निर्माण कराया गया, लेकिन आज कहीं पर झाड़ियां के झुंड में शौचालय घिरा है, तो कहीं पर शौचालय शो-पीस बना है. हद तो तब हो गई जब जिम्मेदार अधिकारियों ने इस बात की जानकारी होने से ही पल्ला झाड़ लिया, जबकि उनके आदेश पर ही गांव को ओडीएफ घोषित किया जाता है.

खुले में शौच करने को मजबूर ग्रामीण.

मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक गोयल ने बताया कि अभी तक इस मामले की कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है. कुछ गांवों में दूसरी किस्त नहीं दी गई है. उन्हें दूसरी किस्त दी जा रही है. इससे शौचालय का निर्माण पूरा कराया जा सके. अगर कुछ लोग छूट गए हैं तो उनकी जांच करा कर उन्हें योजना का लाभ दिया जाएगा. फिलहाल गांव को ओडीएफ घोषित कर सीडीओ साहब ने अपनी वाहवाही तो शासन से करा ली, लेकिन मौके पर जाने की जहमत नहीं उठाई. अब जब मामला मीडिया के सामने आया तो जांच की बात कर अपने को बचाने की भूमिका जरूर बना ली.

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