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सख्त कानून के बाद भी नहीं लग सकी अवैध शराब के कारोबार पर लगाम, 4 साल में 200 से ज्यादा हुई मौतें - अवैध शराब का कारोबार

रायबरेली में जहरीली शराब से 5 लोगों की मौत ने एक बार फिर आबकारी विभाग और पुलिस विभाग को कठघरे में खड़ा कर दिया है. सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं.

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4 साल में 200 से ज्यादा हुई मौतें
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Published : Jan 26, 2022, 3:43 PM IST

लखनऊ: रायबरेली में जहरीली शराब से 5 लोगों की मौत ने एक बार फिर आबकारी विभाग और पुलिस विभाग को कठघरे में खड़ा कर दिया है। सरकार ने कड़े कदम उठाए, कानून सख्त किए, जुर्माना की राशि बढ़ाई जमकर अभियान चले. लेकिन जमीन पर इसका असर नहीं दिखा. जहरीली शराब से साल दर साल होने वाली घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं.

अवैध शराब का कारोबार बिना आबकारी विभाग और पुलिस के अधिकारियों और कर्मियों की मिलीभगत के संभव ही नहीं है. इन दोंनों विभागों के भ्रष्ट अफसरों और कर्मियों की कमाई का सबसे बड़ा जरिया ही शराब का अवैध कारोबार होता है. यही वजह है कि अवैध कारोबार होता हुआ देखकर भी महकमे के स्थानीय अधिकारी आंखे मूंद लेते हैं. जब बड़ी घटना हो जाती है. तब आबकारी और पुलिस एक दूसरे पर जिम्मेदारी मढ़ते दिखते हैं.

बीते चार साल में उत्तर प्रदेश में अवैध शराब के कारोबार को रोकने के लिए सरकार ने सख्त कानून बनाए हैं. पुराने कानूनों में संशोधन किया गया. जहरीली शराब से मौत होने पर दोषियों के लिए मौत की सजा तक का प्रावधान किया गया. लेकिन इसका असर अवैध कारोबार करने वालों पर नहीं पड़ा. बीते चार साल में जहरीली शराब से होने वली मौतों की यह पन्द्रवीं बड़ी घटना है. हर घटना के बाद आबकारी विभाग और पुलिस विभाग का संयुक्त अभियान चलता है. बड़ी मात्रा में अवैध शराब बरामद की जाती है. लेकिन वक्त के साथ-साथ कारोबार दोबारा शुरू हो जाता है.

योगी सरकार ने 19 सितंबर 2017 को अध्यादेश जारी कर 107 साल पुराने आबकारी अधिनियम में संशोधन किया था. इसमें एक नई धारा जोड़ते हुए अवैध शराब से मौत होने या स्थायी अपंगता होने पर आजीवन कारावास या 10 लाख रुपये का जुर्माना या दोनों या मृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया. वहीं, अधिकारियों के अधिकारों में भी बढ़ोतरी की गई थी. इसके साथ ही उनकी भूमिका पाए जाने पर बर्खास्तगी तक का प्रावधान किया गया था. फिलहाल प्रदेश अब तक इस कानून का असर देखने के लिए इंतजार कर रहा है.

पिछले कुछ सालों में जहरीली शराब से जुड़ी बड़ी घटनाएं

1. जनवरी 2021- बुलंदशहर में जहरीली शराब पीने से 6 लोगों की मौत.
2. मार्च 2021- प्रयागराज में जहरीली शराब पीने से 14 लोगों की मौत.
3. मई 2021- अंबेडकर नगर में जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मौत.
4. मई 2021- अलीगढ़ में जहरीली शराब पीने से 35 लोगों की मौत.
5. मई 2021- आजमगढ़ में जहरीली शराब पीने से 33 लोगों की मौत.
6. नवंबर 2020- फिरोजाबाद में जहरीली शराब पीने से 3 लोगों की मौत.
7. नवंबर 2020- प्रयागराज में जहरीली शराब पीने से 6 लोगों की मौत.
8. नवंबर 2020- लखनऊ में जहरीली शराब पीने से चार लोगों की मौत.
9. फरवरी 2019- सहारनपुर में जहरीली शराब पीने से 65 लोगों की मौत.
10. फरवरी 2019- कुशीनगर में जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की मौत.
11. मई 2018- कानपुर देहात के रूरा में 9 लोगों की मौत.
12. मई 2018- कानपुर नगर के सचेंडी में 7 लोगों की मौत.
13. जनवरी 2018- बाराबंकी में 9 लोगों की मौत.
14. जुलाई 2017- आजमगढ़ में जहरीली शराब पीने से 25 लोगों की मौत.

वरिष्ठ अधिकारियों पर नहीं हुई कार्रवाई

प्रदेश में जहरीली शराब से मौतों का आंकड़ा हर साल बढ़ता जा रहा है. जब भी किसी जिले में कोई बड़ी घटना होती है, तो सरकार आबकारी इंस्पेक्टर को निलंबित कर मामले को शांत करने की कोशिश करती है. अगर मामले ने तूल पकड़ा तो जिला आबकारी अधिकारी को भी निलंबित कर दिया जाता है. लेकिन इन सब के बावजूद जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या कम होने के बजाए बढ़ती ही रहती है. सरकार ने पिछले 4 सालों में शासन स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की है. जबकि आबकारी अधिकारियों की तैनाती से लेकर आबकारी कानून को सख्ती से पालन कराने की सीधी जिम्मेदारी शासन की होती है. जून 2019 से संजय भूसरेड्डी अपर मुख्य सचिव हैं. संजय भूसरेड्डी के कार्यकाल के दौरान करीब जहरीली शराब से जुड़ी 10 बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं. जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 200 से ज्यादा लोगों ने अपनी आंखे खोई हैं. इसके बावजूद सरकार ने किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की है.

लखनऊ: रायबरेली में जहरीली शराब से 5 लोगों की मौत ने एक बार फिर आबकारी विभाग और पुलिस विभाग को कठघरे में खड़ा कर दिया है। सरकार ने कड़े कदम उठाए, कानून सख्त किए, जुर्माना की राशि बढ़ाई जमकर अभियान चले. लेकिन जमीन पर इसका असर नहीं दिखा. जहरीली शराब से साल दर साल होने वाली घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं.

अवैध शराब का कारोबार बिना आबकारी विभाग और पुलिस के अधिकारियों और कर्मियों की मिलीभगत के संभव ही नहीं है. इन दोंनों विभागों के भ्रष्ट अफसरों और कर्मियों की कमाई का सबसे बड़ा जरिया ही शराब का अवैध कारोबार होता है. यही वजह है कि अवैध कारोबार होता हुआ देखकर भी महकमे के स्थानीय अधिकारी आंखे मूंद लेते हैं. जब बड़ी घटना हो जाती है. तब आबकारी और पुलिस एक दूसरे पर जिम्मेदारी मढ़ते दिखते हैं.

बीते चार साल में उत्तर प्रदेश में अवैध शराब के कारोबार को रोकने के लिए सरकार ने सख्त कानून बनाए हैं. पुराने कानूनों में संशोधन किया गया. जहरीली शराब से मौत होने पर दोषियों के लिए मौत की सजा तक का प्रावधान किया गया. लेकिन इसका असर अवैध कारोबार करने वालों पर नहीं पड़ा. बीते चार साल में जहरीली शराब से होने वली मौतों की यह पन्द्रवीं बड़ी घटना है. हर घटना के बाद आबकारी विभाग और पुलिस विभाग का संयुक्त अभियान चलता है. बड़ी मात्रा में अवैध शराब बरामद की जाती है. लेकिन वक्त के साथ-साथ कारोबार दोबारा शुरू हो जाता है.

योगी सरकार ने 19 सितंबर 2017 को अध्यादेश जारी कर 107 साल पुराने आबकारी अधिनियम में संशोधन किया था. इसमें एक नई धारा जोड़ते हुए अवैध शराब से मौत होने या स्थायी अपंगता होने पर आजीवन कारावास या 10 लाख रुपये का जुर्माना या दोनों या मृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया. वहीं, अधिकारियों के अधिकारों में भी बढ़ोतरी की गई थी. इसके साथ ही उनकी भूमिका पाए जाने पर बर्खास्तगी तक का प्रावधान किया गया था. फिलहाल प्रदेश अब तक इस कानून का असर देखने के लिए इंतजार कर रहा है.

पिछले कुछ सालों में जहरीली शराब से जुड़ी बड़ी घटनाएं

1. जनवरी 2021- बुलंदशहर में जहरीली शराब पीने से 6 लोगों की मौत.
2. मार्च 2021- प्रयागराज में जहरीली शराब पीने से 14 लोगों की मौत.
3. मई 2021- अंबेडकर नगर में जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मौत.
4. मई 2021- अलीगढ़ में जहरीली शराब पीने से 35 लोगों की मौत.
5. मई 2021- आजमगढ़ में जहरीली शराब पीने से 33 लोगों की मौत.
6. नवंबर 2020- फिरोजाबाद में जहरीली शराब पीने से 3 लोगों की मौत.
7. नवंबर 2020- प्रयागराज में जहरीली शराब पीने से 6 लोगों की मौत.
8. नवंबर 2020- लखनऊ में जहरीली शराब पीने से चार लोगों की मौत.
9. फरवरी 2019- सहारनपुर में जहरीली शराब पीने से 65 लोगों की मौत.
10. फरवरी 2019- कुशीनगर में जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की मौत.
11. मई 2018- कानपुर देहात के रूरा में 9 लोगों की मौत.
12. मई 2018- कानपुर नगर के सचेंडी में 7 लोगों की मौत.
13. जनवरी 2018- बाराबंकी में 9 लोगों की मौत.
14. जुलाई 2017- आजमगढ़ में जहरीली शराब पीने से 25 लोगों की मौत.

वरिष्ठ अधिकारियों पर नहीं हुई कार्रवाई

प्रदेश में जहरीली शराब से मौतों का आंकड़ा हर साल बढ़ता जा रहा है. जब भी किसी जिले में कोई बड़ी घटना होती है, तो सरकार आबकारी इंस्पेक्टर को निलंबित कर मामले को शांत करने की कोशिश करती है. अगर मामले ने तूल पकड़ा तो जिला आबकारी अधिकारी को भी निलंबित कर दिया जाता है. लेकिन इन सब के बावजूद जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या कम होने के बजाए बढ़ती ही रहती है. सरकार ने पिछले 4 सालों में शासन स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की है. जबकि आबकारी अधिकारियों की तैनाती से लेकर आबकारी कानून को सख्ती से पालन कराने की सीधी जिम्मेदारी शासन की होती है. जून 2019 से संजय भूसरेड्डी अपर मुख्य सचिव हैं. संजय भूसरेड्डी के कार्यकाल के दौरान करीब जहरीली शराब से जुड़ी 10 बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं. जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 200 से ज्यादा लोगों ने अपनी आंखे खोई हैं. इसके बावजूद सरकार ने किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की है.

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