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राजीव गांधी के करीबी रहे पूर्व राज्यमंत्री शिव बालक पासी का निधन - रायबरेली के पूर्व विधायक का निधन

उत्तर प्रदेश में राज्यमंत्री रहे चुके कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवबालक पासी का शनिवार रात को निधन हो गया. उनका सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा था.

रायबरेलीः
रायबरेलीः
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Published : May 16, 2021, 5:40 PM IST

रायबरेलीः पूर्व पीएम राजीव गांधी के करीबी रहे सलोन के पूर्व विधायक एवं पूर्व राज्यमंत्री शिवबालक पासी का शनिवार रात को निधन हो गया. वे 81 वर्ष के थे. कई बार विधायक रहे और पूर्व राज्यमंत्री रहे शिवबालक ने रात करीब 10 बजे अमेठी जिले के सैदापुर, गौरीगंज के सरकारी अस्पताल में अंतिम सांस ली. उन्हें निमोनिया और लिवर इंफेक्शन था. इनके पुत्र राजबहादुर ने बताया कि गुरुवार को हालत बिगड़ने पर उन्हें लखनऊ के मेदांता अस्पताल और डीआरडीओ अस्पताल ले जाया गया लेकिन बेड न होने की वजह से अमेठी जिले के सैदापुर में भर्ती कराया गया था. यहां शनिवार देर रात देहांत हो गया.

शिव बालक पासी की पुरानी तस्वीरें
शिव बालक पासी की पुरानी तस्वीरें

2007 में अंतिम बार लड़ा था चुनाव
रायबरेली के सलोन तहसील क्षेत्र की ग्राम सभा थौरी निवासी पूर्व राज्य मंत्री शिव बालक पासी बेहद सरल स्वभाव के मृदुभाषी और ज़मीनी स्तर के कद्दावर नेता थे. अंतिम बार 2007 में विधानसभा सलोन से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. समाजवादी पार्टी की नेता आशा किशोर को हरा कर जीत दर्ज की थी.

शिव बालक पासी की पुरानी तस्वीरें
शिव बालक पासी की पुरानी तस्वीरें
प्रधान से राज्यमंत्री तक का सफर किया तय
पूर्व राज्य मंत्री का राजनीतिक जीवन शून्य से शुरू हुआ और शिखर तक पहुंचा. पहली बार 1972 में उन्होंने पंचायत चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. 1972 से लगातार 1980 तक प्रधान रहे. उसके बाद 1980 में पहली बार कांग्रेस पार्टी से विधायक बने. इसी सरकार में राज्यमंत्री समाज कल्याण बने.
शिव बालक पासी की पुरानी तस्वीरें
शिव बालक पासी की पुरानी तस्वीरें
पांच बार बने विधायक
पूर्व राज्य मंत्री अपने सरल स्वभाव के कारण जनता के काफी करीबी थे. यही वजह थी कि वे सलोन विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक बने. 1980 के बाद 1985 में दोबारा विधायक बने. कांग्रेस सरकार में कृषि राज्यमंत्री बने. इसके बाद 1989 में तीसरी बार विधायक, 1991 में चौथी बार व 2007 में पांचवीं बार विधायक बने.

इसे भी पढ़ेंः गंगा में मिल रहे शवों को कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने बताया चिंताजनक

यह रही अंतिम इच्छा
राजबहादुर ने बताया कि अपने जीते जी ही उन्होंने ने अपने लिए दो समाधियां बनवाई थीं. एक समाधि रहीमगंज के पास तो दूसरी गांव के बाहर बनवाई. वे कहते थे कि जब मेरी मौत हो तो दोनों जगह चिता की राख रख देना.

रायबरेलीः पूर्व पीएम राजीव गांधी के करीबी रहे सलोन के पूर्व विधायक एवं पूर्व राज्यमंत्री शिवबालक पासी का शनिवार रात को निधन हो गया. वे 81 वर्ष के थे. कई बार विधायक रहे और पूर्व राज्यमंत्री रहे शिवबालक ने रात करीब 10 बजे अमेठी जिले के सैदापुर, गौरीगंज के सरकारी अस्पताल में अंतिम सांस ली. उन्हें निमोनिया और लिवर इंफेक्शन था. इनके पुत्र राजबहादुर ने बताया कि गुरुवार को हालत बिगड़ने पर उन्हें लखनऊ के मेदांता अस्पताल और डीआरडीओ अस्पताल ले जाया गया लेकिन बेड न होने की वजह से अमेठी जिले के सैदापुर में भर्ती कराया गया था. यहां शनिवार देर रात देहांत हो गया.

शिव बालक पासी की पुरानी तस्वीरें
शिव बालक पासी की पुरानी तस्वीरें

2007 में अंतिम बार लड़ा था चुनाव
रायबरेली के सलोन तहसील क्षेत्र की ग्राम सभा थौरी निवासी पूर्व राज्य मंत्री शिव बालक पासी बेहद सरल स्वभाव के मृदुभाषी और ज़मीनी स्तर के कद्दावर नेता थे. अंतिम बार 2007 में विधानसभा सलोन से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. समाजवादी पार्टी की नेता आशा किशोर को हरा कर जीत दर्ज की थी.

शिव बालक पासी की पुरानी तस्वीरें
शिव बालक पासी की पुरानी तस्वीरें
प्रधान से राज्यमंत्री तक का सफर किया तय
पूर्व राज्य मंत्री का राजनीतिक जीवन शून्य से शुरू हुआ और शिखर तक पहुंचा. पहली बार 1972 में उन्होंने पंचायत चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. 1972 से लगातार 1980 तक प्रधान रहे. उसके बाद 1980 में पहली बार कांग्रेस पार्टी से विधायक बने. इसी सरकार में राज्यमंत्री समाज कल्याण बने.
शिव बालक पासी की पुरानी तस्वीरें
शिव बालक पासी की पुरानी तस्वीरें
पांच बार बने विधायक
पूर्व राज्य मंत्री अपने सरल स्वभाव के कारण जनता के काफी करीबी थे. यही वजह थी कि वे सलोन विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक बने. 1980 के बाद 1985 में दोबारा विधायक बने. कांग्रेस सरकार में कृषि राज्यमंत्री बने. इसके बाद 1989 में तीसरी बार विधायक, 1991 में चौथी बार व 2007 में पांचवीं बार विधायक बने.

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यह रही अंतिम इच्छा
राजबहादुर ने बताया कि अपने जीते जी ही उन्होंने ने अपने लिए दो समाधियां बनवाई थीं. एक समाधि रहीमगंज के पास तो दूसरी गांव के बाहर बनवाई. वे कहते थे कि जब मेरी मौत हो तो दोनों जगह चिता की राख रख देना.

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