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रायबरेली: विजयदशमी पर जलाए जाएंगे रावण के पुतले, मगर समाज के रावण कब होंगे खत्म?

भारत वो देश रहा है जहां राम राज्य की परिकल्पना को यथार्थ स्वरुप दिया जा चुका है. राम ही यहां के लोगों की रग-रग में समाए हुए हैं. वहीं इस विजयदशमी को ईटीवी भारत ने समाज के कुछ वरिष्ठ लोगों से बात कर समाज में व्याप्त दोषों पर चर्चा की और जानने की कोशिश की उनकी इस विषय पर क्या राय है.

डॉ. हेमंत सिंह, आईएमए प्रमुख व वरिष्ठ चिकित्सक
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Published : Oct 8, 2019, 5:50 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

रायबरेली: दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में मनाया जाने वाला पर्व है. विजयदशमी पर रावण दहन की मान्यता भी सदियों से चली आ रही है. मगर रावण मुक्त समाज बनने की राह अभी भी अधूरी है. हर साल दशहरा मनाया जाता है और रावण जलाया जाता है, पर जलाने के बाद भी समाज से रावण रूपी दानव का अंश नहीं मिटता और न ही मर्यादा पुरुषोत्तम राम जैसे व्यक्तित्व मिलते हैं.

ईटीवी भारत ने समाज में व्याप्त दोषों को लेकर कुछ वरिष्ठ लोगों से की बात.

'मन से रावण को निकालो, राम तेरे मन में हैं'
समाज के हर वर्ग में हमें रावण बड़ी ही आसानी से मिल जाते हैं, उन्हें ढूढ़ना भी नहीं पड़ता. विभिन्न स्वरूपों में हर तरह के रावण हमसे रू-ब-रू होते हैं. इसी कड़ी में विजयदशमी के पर्व पर ईटीवी भारत ने शहर के कुछ प्रबुद्ध वर्ग के लोगों से समाज में व्याप्त दोषों पर चर्चा की और जानने की कोशिश की उनकी इस विषय पर क्या राय है.

इसे भी पढ़ें- जौनपुर: देवी पंडाल से दानपेटी व आरती की थाली ले भागे दबंग, मूर्तियों को भी किया क्षतिग्रस्त

डॉ. हेमंत सिंह, आईएमए प्रमुख व वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि, राम-रावण हमारी सोच में हैं. जरूरत है कि स्वयं का आंकलन कर खुद से बुराइयों को खत्म करने का संकल्प ले. वहीं बुराइयों के हटते ही अच्छाइयां खुद स्थापित हो जाएगी. धनवान व्यक्ति को समाज में दी जाने वाली तरजीह हर चीज पर भारी पड़ रही है. जरुरत है कि धनवान से ज्यादा चरित्रवान व्यक्ति को तरजीह दी जाए.

प्रो. जीतेंद्र, सीनियर फैकल्टी प्रोफेसर, फिरोज गांधी डिग्री कॉलेज ने कहा कि, समाज में स्वार्थ रुपी रावण का इस कदर अंबार लगा है कि हम चाह कर भी उससे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. वहीं हर व्यक्ति के अंदर रावण और श्रीराम दोनों हो समाहित होते हैं इसीलिए बुराई पर अच्छाई के विजय के इस पर्व पर हम सबको श्रीराम से प्रेरणा लेकर जीवन पथ पर अग्रसर होना चाहिए.

राघवेंद्र मिश्र, एडवोकेट कहा कि, आज लोगों की सबसे बड़ी जरूरत है आत्ममंथन और स्वमूल्यांकन करने की. वहीं शासक वर्ग को इस बात का ध्यान देने चाहिए कि सरकारी तंत्र में छिपे रावण को कैसे समाप्त किया जाए. समाज के हर वर्ग तक कल्याणकारी योजनाएं सुलभ कराई जाए, जिससे लोगों को लाभ मिल सके.

रायबरेली: दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में मनाया जाने वाला पर्व है. विजयदशमी पर रावण दहन की मान्यता भी सदियों से चली आ रही है. मगर रावण मुक्त समाज बनने की राह अभी भी अधूरी है. हर साल दशहरा मनाया जाता है और रावण जलाया जाता है, पर जलाने के बाद भी समाज से रावण रूपी दानव का अंश नहीं मिटता और न ही मर्यादा पुरुषोत्तम राम जैसे व्यक्तित्व मिलते हैं.

ईटीवी भारत ने समाज में व्याप्त दोषों को लेकर कुछ वरिष्ठ लोगों से की बात.

'मन से रावण को निकालो, राम तेरे मन में हैं'
समाज के हर वर्ग में हमें रावण बड़ी ही आसानी से मिल जाते हैं, उन्हें ढूढ़ना भी नहीं पड़ता. विभिन्न स्वरूपों में हर तरह के रावण हमसे रू-ब-रू होते हैं. इसी कड़ी में विजयदशमी के पर्व पर ईटीवी भारत ने शहर के कुछ प्रबुद्ध वर्ग के लोगों से समाज में व्याप्त दोषों पर चर्चा की और जानने की कोशिश की उनकी इस विषय पर क्या राय है.

इसे भी पढ़ें- जौनपुर: देवी पंडाल से दानपेटी व आरती की थाली ले भागे दबंग, मूर्तियों को भी किया क्षतिग्रस्त

डॉ. हेमंत सिंह, आईएमए प्रमुख व वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि, राम-रावण हमारी सोच में हैं. जरूरत है कि स्वयं का आंकलन कर खुद से बुराइयों को खत्म करने का संकल्प ले. वहीं बुराइयों के हटते ही अच्छाइयां खुद स्थापित हो जाएगी. धनवान व्यक्ति को समाज में दी जाने वाली तरजीह हर चीज पर भारी पड़ रही है. जरुरत है कि धनवान से ज्यादा चरित्रवान व्यक्ति को तरजीह दी जाए.

प्रो. जीतेंद्र, सीनियर फैकल्टी प्रोफेसर, फिरोज गांधी डिग्री कॉलेज ने कहा कि, समाज में स्वार्थ रुपी रावण का इस कदर अंबार लगा है कि हम चाह कर भी उससे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. वहीं हर व्यक्ति के अंदर रावण और श्रीराम दोनों हो समाहित होते हैं इसीलिए बुराई पर अच्छाई के विजय के इस पर्व पर हम सबको श्रीराम से प्रेरणा लेकर जीवन पथ पर अग्रसर होना चाहिए.

राघवेंद्र मिश्र, एडवोकेट कहा कि, आज लोगों की सबसे बड़ी जरूरत है आत्ममंथन और स्वमूल्यांकन करने की. वहीं शासक वर्ग को इस बात का ध्यान देने चाहिए कि सरकारी तंत्र में छिपे रावण को कैसे समाप्त किया जाए. समाज के हर वर्ग तक कल्याणकारी योजनाएं सुलभ कराई जाए, जिससे लोगों को लाभ मिल सके.

Intro:विजयादशमी स्पेशल-

रायबरेली: 'मृत्यु के लिए नही मुक्ति के लिए हुआ था रावण का वध'

हर साल जलाने के बाद भी नहीं मिट रहा समाज से रावण का अंश

08 अक्टूबर 2019 - रायबरेली

दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप मे मनाया जाने वाला पर्व है।विजयादशमी पर रावण दहन की मान्यता भी सदियों से चली आ रही पर रावण मुक्त समाज बनने की राह अभी भी अधूरी है।हर साल मनाया जाता है दशहरा और जलाया जाता है रावण,पर जलाने के बाद भी नहीं मिटता समाज से रावण रुपी दानव का अंश और न ही मिलते है मर्यादा पुरषोत्तम राम जैसे व्यक्तित्व।समाज के हर वर्ग में हमें रावण बड़ी ही आसानी से मिल जाते है,उन्हें ढूढ़ना भी नहीं पड़ता विभिन्न स्वरूपों में हर तरह के रावण हमसे रुबरु होते है।विजयदशमी के पर्व पर ETV ने रायबरेली शहर के कुछ प्रबुद्ध वर्ग के लोगों से समाज में व्याप्त इन दोषों पर चर्चा की और जाना उनकी क्या है राय इस विषय पर?

'मन से रावण को निकालो,राम तेरे मन मे है' - डॉ हेमंत -

रायबरेली के प्रसिद्ध चिकित्सक व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट डॉ हेमंत सिंह कहते है कि राम - रावण हमारी सोच में है जरुरत है कि स्वयं का आंकलन कर खुद से बुराइयों को खत्म करने का संकल्प,बुराइयों के हटते ही अच्छाइयां खुद स्थापित हो जाएगी।धनवान व्यक्ति को समाज में दी जाने वाली तरजीह हर चीज़ पर भारी पड़ रही है जरुरत है कि धनवान से ज्यादा चरित्रवान व्यक्ति को तरजीह दी जाएं।


शहर के नामचीन कॉलेज फिरोज गांधी डिग्री कॉलेज के सीनियर फैकल्टी प्रो जीतेंद्र कहते है कि समाज में स्वार्थ रुपी रावण का इस कदर अंबार लगा है कि हम चाह कर भी उससे बाहर नहीं निकल पा रहे है,पर जैसा कि हर व्यक्ति के अंदर रावण और श्रीराम दोनों हो समाहित होते है इसीलिए बुराई पर अच्छाई के विजय के इस पर्व पर हम सबको श्रीराम से प्रेरणा लेकर जीवन पथ पर अग्रसर होना चाहिए।








Body:वही पेशे से अधिवक्ता व ज़िले के पुराने कांग्रेसियों में शुमार राघवेंद्र मिश्र ने कहां सबसे बड़ी जरुरत है आत्ममंथन और स्वमूल्यांकन की और शासक वर्ग को इस बात का ध्यान देने चाहिए कि सरकारी तंत्र में छिपे रावण को कैसे समाप्त किया जाएं और समाज के हर वर्ग तक कल्याणकारी योजनाएं सुलभ कराई जाएं।


भारत वो देश रहा है जहाँ राम राज्य की परिकल्पना को यथार्थ स्वरुप दिया जा चुका है।राम ही यहाँ के लोगों की रग रग में समाए हुए है बस थोड़ी सी हिम्मत चाहिए अपने मन से रावण को निकाल की और राम के चरित्र को धारण करने की,इस विजयादशमी जीवन के इस मूल मंत्र को समझ गए तो बदलाव समाज में भी आ जायेगा और देश में भी।


Conclusion:बाइट 1:डॉ हेमंत सिंह - निवर्तमान आईएमए प्रमुख व वरिष्ठ चिकित्सक

बाइट 2:प्रो जीतेंद्र - फिरोज़ गांधी डिग्री कॉलेज - रायबरेली

बाइट 3:एडवोकेट राघवेंद्र मिश्र

'नोट: कृपया रावण दहन से जुड़े विजुअल आरकाईव से लें'

प्रणव कुमार - 7000024034
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST
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