रायबरेली: गंगा के तट पर बसे जिले की उपजाऊ माटी अपनी पौष्टिकता के साथ पहचान भी खो रही है. रासायनिक खाद के लगातार उपयोग का नतीजा यह रहा कि आर्गेनिक कार्बन और नाइट्रोजन समेत सल्फर जैसे कई माइक्रो न्यूट्रिएंट्स और जरूरी पोषक तत्त्व मिट्टी से खत्म होने के कगार पर हैं. यह चौंकाने वाली जानकारी कृषि विभाग की प्रयोगशाला में खेतों की मिट्टी के नमूनों के जांच के बाद निकलकर सामने आई है.
रासायनिक खाद के उपयोग से मिट्टी खो रही उर्वरता
उप कृषि निदेशक ने बताया कि खेतों में लगातार रसायनिक खाद के उपयोग से माइक्रो न्यूट्रिएंट्स सल्फर समेत नाइट्रोजन और फास्फोरस, पोटाश और आयरन की बहुतायत में कमी दिख रही है. वहीं आर्गेनिक कार्बन बिल्कुल ही समाप्त हो चुका है. वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए समय-समय पर जागरूकता अभियान के जरिए किसानों को जैविक खाद और कम्पोस्ट खाद के उपयोग की हिदायत दी जाती है. साथ ही मृदा कार्ड के आवंटन के समय किसानों को यह बताया जाता है कि उनकी भूमि में कितनी खाद की आवश्यकता है और बिना रासायनिक तरीके अपनाए भी अच्छी पैदावार हासिल की जा सकती है.
पोषकतत्व के नाम मानक मौजूदा उपलब्धता
- आर्गेनिक कार्बन 0.51से 0.8 कोई नहीं
- kg/हेक्टेयर (सभी सैंपल 0.5 से कम
- नाइट्रोजन 0.51से 0.8 कोई नहीं
- हेक्टेयर (सभी सैंपल 0.5 से कम
- सल्फर 10.1 से 15 केवल 10% - 20 % ppm ( सैंपल इस श्रेणी में, बाकी सभी न्यूनतम स्तर पर)
मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी से शरीर अनेकों रोग से ग्रषित हो सकता है. जिंक के कमी से जहां प्रतिरोधक क्षमता को घटाता है. वहीं विटामिन के कमी मस्तिष्क के लिए घातक सिद्ध हो सकती है. कम उम्र के रोग से लेकर बुढ़ापे तक के कई रोग इस श्रेणी में आते हैं. कमजोरी होना और अपच आम बात है. आंत, गुर्दा और त्वचा संबंधी गंभीर रोग होने की भी प्रबल संभावना रहती है.
-डॉ. बीरबल, जिला चिकित्सालय