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रायबरेली: कम हो रहे हैं मिट्टी के पोषक तत्त्व, उर्वरा शक्ति के साथ गुणवत्ता खो रही है जिले की माटी - soil samples tested

यूपी के रायबरेली में खेतों में लगातार रसायनिक खाद के उपयोग से माइक्रो न्यूट्रिएंट्स सल्फर समेत नाइट्रोजन और फास्फोरस, पोटाश और आयरन की बहुतायत में कमी दिख रही है. वहीं आर्गेनिक कार्बन बिल्कुल ही समाप्त हो चुका है, जिससे मिट्टी की उर्वरता में कमी देखी जा रही है.

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रसायनिक खाद के उपयोग से मिट्टी खो कही उर्वरता.
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Published : Dec 27, 2019, 1:55 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST

रायबरेली: गंगा के तट पर बसे जिले की उपजाऊ माटी अपनी पौष्टिकता के साथ पहचान भी खो रही है. रासायनिक खाद के लगातार उपयोग का नतीजा यह रहा कि आर्गेनिक कार्बन और नाइट्रोजन समेत सल्फर जैसे कई माइक्रो न्यूट्रिएंट्स और जरूरी पोषक तत्त्व मिट्टी से खत्म होने के कगार पर हैं. यह चौंकाने वाली जानकारी कृषि विभाग की प्रयोगशाला में खेतों की मिट्टी के नमूनों के जांच के बाद निकलकर सामने आई है.

रासायनिक खाद के उपयोग से मिट्टी खो कही उर्वरता.
उप कृषि निदेशक ने ETV भारत को दी जानकारीजिले के उप कृषि निदेशक कार्यालय की प्रयोगशाला में हुई इस टेस्टिंग पर ETV भारत ने डॉ. गोविंद सिंह प्रभारी मृदा परीक्षण प्रयोगशाला से इस विषय में बातचीत की. उन्होंने बताया कि मृदा स्वास्थ्य सुदृढ़ीकरण परियोजना के तहत जिले के किसानों की भूमि की मिट्टी के टेस्टिंग का लक्ष्य शासन द्वारा निर्धारित किया गया था. योजना के तहत जनपद के सभी 18 ब्लॉक में से 18 गांवों को चिन्हित करके कुल 5,054 सैंपल का कलेक्शन किया जा सका है और सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी जारी किए जा चुके हैं.

रासायनिक खाद के उपयोग से मिट्टी खो रही उर्वरता
उप कृषि निदेशक ने बताया कि खेतों में लगातार रसायनिक खाद के उपयोग से माइक्रो न्यूट्रिएंट्स सल्फर समेत नाइट्रोजन और फास्फोरस, पोटाश और आयरन की बहुतायत में कमी दिख रही है. वहीं आर्गेनिक कार्बन बिल्कुल ही समाप्त हो चुका है. वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए समय-समय पर जागरूकता अभियान के जरिए किसानों को जैविक खाद और कम्पोस्ट खाद के उपयोग की हिदायत दी जाती है. साथ ही मृदा कार्ड के आवंटन के समय किसानों को यह बताया जाता है कि उनकी भूमि में कितनी खाद की आवश्यकता है और बिना रासायनिक तरीके अपनाए भी अच्छी पैदावार हासिल की जा सकती है.

पोषकतत्व के नाम मानक मौजूदा उपलब्धता

  • आर्गेनिक कार्बन 0.51से 0.8 कोई नहीं
  • kg/हेक्टेयर (सभी सैंपल 0.5 से कम
  • नाइट्रोजन 0.51से 0.8 कोई नहीं
  • हेक्टेयर (सभी सैंपल 0.5 से कम
  • सल्फर 10.1 से 15 केवल 10% - 20 % ppm ( सैंपल इस श्रेणी में, बाकी सभी न्यूनतम स्तर पर)


मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी से शरीर अनेकों रोग से ग्रषित हो सकता है. जिंक के कमी से जहां प्रतिरोधक क्षमता को घटाता है. वहीं विटामिन के कमी मस्तिष्क के लिए घातक सिद्ध हो सकती है. कम उम्र के रोग से लेकर बुढ़ापे तक के कई रोग इस श्रेणी में आते हैं. कमजोरी होना और अपच आम बात है. आंत, गुर्दा और त्वचा संबंधी गंभीर रोग होने की भी प्रबल संभावना रहती है.
-डॉ. बीरबल, जिला चिकित्सालय



रायबरेली: गंगा के तट पर बसे जिले की उपजाऊ माटी अपनी पौष्टिकता के साथ पहचान भी खो रही है. रासायनिक खाद के लगातार उपयोग का नतीजा यह रहा कि आर्गेनिक कार्बन और नाइट्रोजन समेत सल्फर जैसे कई माइक्रो न्यूट्रिएंट्स और जरूरी पोषक तत्त्व मिट्टी से खत्म होने के कगार पर हैं. यह चौंकाने वाली जानकारी कृषि विभाग की प्रयोगशाला में खेतों की मिट्टी के नमूनों के जांच के बाद निकलकर सामने आई है.

रासायनिक खाद के उपयोग से मिट्टी खो कही उर्वरता.
उप कृषि निदेशक ने ETV भारत को दी जानकारीजिले के उप कृषि निदेशक कार्यालय की प्रयोगशाला में हुई इस टेस्टिंग पर ETV भारत ने डॉ. गोविंद सिंह प्रभारी मृदा परीक्षण प्रयोगशाला से इस विषय में बातचीत की. उन्होंने बताया कि मृदा स्वास्थ्य सुदृढ़ीकरण परियोजना के तहत जिले के किसानों की भूमि की मिट्टी के टेस्टिंग का लक्ष्य शासन द्वारा निर्धारित किया गया था. योजना के तहत जनपद के सभी 18 ब्लॉक में से 18 गांवों को चिन्हित करके कुल 5,054 सैंपल का कलेक्शन किया जा सका है और सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी जारी किए जा चुके हैं.

रासायनिक खाद के उपयोग से मिट्टी खो रही उर्वरता
उप कृषि निदेशक ने बताया कि खेतों में लगातार रसायनिक खाद के उपयोग से माइक्रो न्यूट्रिएंट्स सल्फर समेत नाइट्रोजन और फास्फोरस, पोटाश और आयरन की बहुतायत में कमी दिख रही है. वहीं आर्गेनिक कार्बन बिल्कुल ही समाप्त हो चुका है. वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए समय-समय पर जागरूकता अभियान के जरिए किसानों को जैविक खाद और कम्पोस्ट खाद के उपयोग की हिदायत दी जाती है. साथ ही मृदा कार्ड के आवंटन के समय किसानों को यह बताया जाता है कि उनकी भूमि में कितनी खाद की आवश्यकता है और बिना रासायनिक तरीके अपनाए भी अच्छी पैदावार हासिल की जा सकती है.

पोषकतत्व के नाम मानक मौजूदा उपलब्धता

  • आर्गेनिक कार्बन 0.51से 0.8 कोई नहीं
  • kg/हेक्टेयर (सभी सैंपल 0.5 से कम
  • नाइट्रोजन 0.51से 0.8 कोई नहीं
  • हेक्टेयर (सभी सैंपल 0.5 से कम
  • सल्फर 10.1 से 15 केवल 10% - 20 % ppm ( सैंपल इस श्रेणी में, बाकी सभी न्यूनतम स्तर पर)


मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी से शरीर अनेकों रोग से ग्रषित हो सकता है. जिंक के कमी से जहां प्रतिरोधक क्षमता को घटाता है. वहीं विटामिन के कमी मस्तिष्क के लिए घातक सिद्ध हो सकती है. कम उम्र के रोग से लेकर बुढ़ापे तक के कई रोग इस श्रेणी में आते हैं. कमजोरी होना और अपच आम बात है. आंत, गुर्दा और त्वचा संबंधी गंभीर रोग होने की भी प्रबल संभावना रहती है.
-डॉ. बीरबल, जिला चिकित्सालय



Intro:रायबरेली :

कम हो रहे है मिट्टी के पोषक तत्त्व,उर्वरा शक्ति के साथ गुणवत्ता खो रही है ज़िले के माटी

27 दिसंबर 2019 - रायबरेली

गंगा के तट पर बसे ज़िले की उपजाऊ माटी अपनी पौष्टिकता के साथ पहचान भी खो रही है।रसायनिक खाद के लगातार उपयोग का नतीजा यह रहा कि आर्गेनिक कार्बन व नाइट्रोजन समेत सल्फर जैसे कई माइक्रो न्यूट्रिएंट्स व जरुरी पोषक तत्त्व मिट्टी से ख़त्म होने के कगार पर है।यह चौकाने वाली जानकारी कृषि विभाग की प्रयोगशाला में किसानों के खेत की मिट्टी के नमूनों के जाँच के बाद निकल कर सामने आई है।




Body:जिले के उप कृषिनिदेशक कार्यालय की प्रयोगशाला में हुई इस टेस्टिंग पर ETV भारत ने डॉ गोविंद सिंह -प्रभारी - मृदा परीक्षा प्रयोगशाला से इस विषय में बातचीत कर जानने का प्रयास किया।प्रयोगशाला प्रभारी ने बताया कि मृदा स्वास्थ सुदृढ़ीकरण परियोजना के तहत जिले के किसानों की भूमि का
साइल टेस्टिंग का लक्ष्य शासन द्वारा निर्धारित किया गया था।
योजना के तहत जनपद के सभी 18 ब्लॉक में से 18 गांव को चिन्हित करके कुल 5054 सैंपल का कलेक्शन किया जा सका है।और सभी के मृदा स्वास्थ कार्ड भी जारी किए जा चुके है।
योजना के तहत कृषकों को सॉइल टेस्टिंग के परिणामों के बाबत अवगत कराने के मकसद से मृदा स्वास्थ कार्ड का वितरण भी हो चुका है ।ख़ास बात यह रही कि टेस्टिंग के परिणाम बेहद चौकाने वाले आए है।

डॉ गोविंद सिंह ने बताया कि किसानों द्वारा अपने खेतों में लगातार रसायनिक खाद के उपयोग से माइक्रो न्यूट्रिएंट्स सल्फर समेत नाइट्रोजन व फॉस्फोरस,पोटाश व आयरन की बहुतायत में कमी दिख रही है,वही आर्गेनिक कार्बन बिलकुल ही समाप्त हो चुका है।वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए उनके विभाग द्वारा उठाए जाने वाले कदम के बारे में पूछे जाने पर प्रयोगशाला प्रभारी कहते है कि समय समय पर जागरुकता अभियान के ज़रिए किसानों को जैविक खाद व कम्पोस्ट खाद के उपयोग की हिदायत दी जाती है।साथ ही मृदा कार्ड के आवंटन के समय किसानों को यह बताया जाता है कि उनकी भूमि में कितनी खाद की आवश्यकता है और उसे किस तरह से बिना रासायनिक तरीके अपनाएं अच्छी पैदावार हासिल किया जा सकता है।


जिला चिकित्सालय रायबरेली के चिकित्सक डॉ बीरबल ने बताया कि मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी से शरीर अनेकों रोग से ग्रषित हो सकता है।जिंक के कमी जहां प्रतिरोधक क्षमता को घटाता है वही विटामिन के कमी मस्तिष्क के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।कम उम्र के रोग से लेकर बुढ़ापे तक के कई रोग इस श्रेणी में आते है,कमजोरी होना, अपच आम बात है,आंत,गुर्दा व त्वचा संबंधी गंभीर रोग होने की भी प्रबल संभावना रहती है।शरीर के विकास से लेकर सामान्य रूप से की जाने वाली लगभग सभी गतिविधियों में पोषक तत्व बेहद अहम भूमिका निभाते है इसलिए इनका होना अति आवश्यक है।




Conclusion:धरती को माँ का दर्जा यू ही नही दिया गया,जीवन के भरण पोषण में माटी की जरुरत हर व्यक्ति को पड़ती है,मिट्टी में पोषक तत्व व उर्वरा शक्ति की कमी न केवल मानव शरीर को रोग ग्रस्त करेगी साथ ही देश की माटी द्वारा सोना उगलने की कहावतों को भी झुठलायेगी।

पोषकतत्व के नाम मानक मौजूदा उपलब्धता
(औसत स्तर)

1.आर्गेनिक कार्बन 0.51से 0.8 कोई नही,
kg/हेक्टेयर (सभी सैंपल 0.5 से कम)


2.नाइट्रोजन 0.51से 0.8 कोई नही,
kg/हेक्टेयर (सभी सैंपल 0.5 से कम)


3.सल्फर 10.1 से 15 केवल 10% - 20 % ppm ( सैंपल इस श्रेणी में, बाकी सभी न्यूनतम स्तर पर)





विज़ुअल:संबंधित विज़ुअल,

बाइट 1:डॉ गोविंद सिंह -प्रभारी - मृदा परीक्षा प्रयोगशाला, रायबरेली

बाइट 2: डॉ बीरबल जिला चिकित्सालय - रायबरेली


(प्रणव कुमार - 7000024034)
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST
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