रायबरेलीः सूबे के बेसहारा बुजुर्गों को संबल प्रदान करने के मकसद से वृद्धा पेंशन योजना की शुरुआत की गई थी. योगी सरकार तमाम अवसरों पर वृद्धजनों को उनके घरों पर ही धनराशि मुहैया कराने के दावे करती आई है, लेकिन जनपद में तमाम ऐसे बुजुर्ग हैं जिन्हें वृद्धा पेंशन का लाभ मिलता नहीं दिख रहा है.
बार-बार दौड़ने की ताकत नहीं
रुस्तमपुर निवासी 72 वर्षीय सुरजुराम कहते हैं कि उनके परिवार में उनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है. उन्हें सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. अब उनमें इतना सामर्थ्य भी नहीं बचा कि सरकारी दफ्तरों में कई चक्कर लगा सकें.
तहसील तक की दौड़, नहीं मिली पेंशन
जिले की डलमऊ तहसील के निवासी रामकुमार कहते हैं कि दस्तावेज लेकर कई बार तहसील से लेकर जिला स्तर तक के विभागों में दौड़ लगाया पर हासिल कुछ नहीं हुआ. कई प्रयासों के बाद भी जब सुनवाई नहीं हुई, फिर जाना बंद कर दिया. बुजुर्गों की सरकारी विभागों में कोई सुनवाई नहीं होती. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.
जनप्रतिनिधियों ने नहीं की सुनवाई
डीह ब्लॉक के 70 वर्षीय बुजुर्ग रामसनेही कहते हैं कि उन्हें आज तक वृद्धावस्था पेंशन का लाभ नहीं मिल पाया है. कई बार प्रधान और जनपद के अन्य जनप्रतिनिधियों के समक्ष इस बात को उठाया गया, पर अब तक लाभ नहीं मिल सका. लॉकडाउन के दौरान रोजमर्रा की जरूरतें भी पूरी नहीं हो रही हैं. सरकार से यही मांग है कि सभी बुजुर्गों को योजना का लाभ मिले.
जिला समाज कल्याण विभाग का दावा
इस बाबत रायबरेली समाज कल्याण अधिकारी (विकास) सुनीता सिंह ने बताया कि बीते मई- जून माह तक जिले में 1 लाख 7 हज़ार 762 बुजुर्गों को पेंशन निर्गत कराई जा चुकी है. वहीं इसके अतिरिक्त इस माह 9464 पेंशन स्वीकृति की जा चुकी है. प्रयास यही रहता है कि कोई भी पात्र बुजुर्ग इस योजना से वंचित न रहे. कई मामलों में यह देखा गया है कि कुछ तकनीकी खामियों के कारण उनके फॉर्म प्रोसेस नहीं हो पाते हैं. लेकिन जैसे ही कोई मामला संज्ञान में आता है उसे वरीयता के आधार पर निस्तारित किया जाता है.