रायबरेली: लॉकडाउन के कारण होटल, रेस्टोरेंट व मिठाई की दुकानें बंद हैं. दूध बाजार पूरी तरह से ठंडा पड़ चुका है. दूध का कारोबार बना रहे, इसके लिए शुरुआत से ही सरकार हर संभव जतन करने का दावा भले ही कर रही हो, पर हालात फिलहाल बदलते नहीं दिख रहे हैं.
देश में लागू लॉकडाउन के कारण कई दूधिए अब दूसरे काम-धंधे का भी रुख करने का मन बना चुके हैं. दूधियों का दावा है कि हालात इस कदर बदतर हो चुके हैं कि कभी 40-45 रुपये प्रति लीटर के बीच बिकने वाला दूध बमुश्किल 25-30 रुपये में बिक पा रहा है.
दूधियों में छाई निराशा
ईटीवी भारत संवाददाता ने रायबरेली शहर में घर-घर दूध पहुंचाने वाले दूधियों से बात कर उनके कारोबार का हाल जाना. शहर के भदोखर थाना क्षेत्र के रहने वाले रंजीत यादव लॉकडाउन से पहले प्रतिदिन अपने घर से दूध लेकर निकलते थे. शहर के कई घरों समेत कुछ होटल और प्रतिष्ठानों में भी दूध देकर अपनी आमदनी बढ़ाने का काम करते थे, पर लॉकाडाउन के कारण अब वह बेहद हताश और निराश नजर आते हैं.
'दूध के दामों में आई गिरावट'
ईटीवी भारत से बात करते हुए रंजीत बताते हैं कि हालात ऐसे ही रहे तो कुछ दिनों बाद परिवार का गुजर बसर करना बेहद मुश्किल हो जाएगा. रंजीत कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि लॉकडाउन के कारण दूध के दामों में कमी आई है और कई बार खरीद से कम दाम पर दूध बेचना पड़ रहा है. साथ ही कई घरों में कोरोना के खौफ से लोगों ने दूध लेने से भी मना कर दिया. हालांकि दूध बांटने के दौरान उन्होंने सतर्कता बरतने के साथ ही मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने की भी बात कही.
'नहीं निकल पा रहा पेट्रोल का खर्च'
वहीं दूसरे दूधिया राजा राम कहते है कि जल्द हालात नहीं सुधरे तो किसी और काम काज का भी रुख करना पड़ सकता है. पैसों की तंगहाली बहुत ज्यादा है. अब पेट्रोल का भी खर्चा नहीं निकल पा रहा है.
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दूधियों के सामने छाया संकट
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि छोटे दूध किसानों के सामने संकट बड़ा और विकराल है और घरों के बाहर डेरियों का रुख करने पर भी राहत मिलती नहीं दिख रही है, क्योंकि डेरियों पर पहले से ही दूध की उपलब्धता अत्याधिक है. यही कारण है कि ठंडा पड़ चुके दूध के बाजार में उबाल आता नहीं दिख रहा है.