रायबरेली : वर्षों से वीवीआईपी क्षेत्र का तमगा लिए रायबरेली में वैसे तो कई प्रदेश और देश स्तरीय प्रोजेक्ट्स को साकार रूप दिया जा चुका है, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के नाम पर काफी कुछ ऐसा है, जिसे अधूरा ही कहा जाएगा. रायबरेली के विकास को गति देने का दावा करने वाले सत्तारूढ़ दल का ध्यान भी ऐसे कई मुद्दों पर नहीं गया और यदि गया भी तो उसे दरकिनार ही किया गया. शहरी विकास में वेस्ट मैनेजमेंट को दुरुस्त करने के बाद ही सही मायनों में विकसित नगरीय विकास की परिकल्पना की जा सकती है पर गांधी परिवार का गढ़ रहे इस क्षेत्र में इन सभी सुविधाओं का टोटा ही दिखता है.
ध्वस्त व्यवस्थाओं के बीच जीवन जीने को मजबूर लोगों के बीच अपने जनप्रतिनिधियों के लिए न केवल रोष है, बल्कि मूलभूत सुविधाओं के नाम पर लोगों को दिलासा व उम्मीद के अलावा कुछ न मिला. उसी का नतीजा है कि महिलाओं के लिए गंदे पानी के बीच जीवन जीने की मजबूरी के बाद भी विकास के सपने दिखाकर चुनाव के दौरान वोट बटोरने के सियासी हुनर को विकास के पैमाने पर बेपर्दा करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति जागृत हो चुकी है.
सत्ताशीर्ष में रहने के साथ ही मजबूत पकड़ का दावा करने वाले सियासी पार्टी के नेताओं को साकेत नगर जैसे शहरी क्षेत्रीय मोहल्लों की महिलाओं की अपील और दर्खास्त भले ही सुनाई न देती हो पर लोकतंत्र के इस महाकुंभ में महिलाएं विकास का ढिंढोरा पीटकर हर चुनाव में वोट बटोरने की राजनीति करने वालों को आयना दिखाने का कार्य जरुर करती हैं.
उत्तर प्रदेश जलनिगम के जिला प्रभारी व एग्जीक्यूटिव इंजीनियर जनार्दन सिंह ने बताया कि जनपद रायबरेली में अमृत योजना के अंतर्गत 18 एमएलडी का एसटीपी बनाया जा रहा है. वर्ष 2015-16 और 2016-17 के दौरान 49 करोड़ और 62 करोड़ के दो फेज में एस्टीमेट स्वीकृत हो चुके हैं. इसके अंतर्गत 18 एमएलडी के एसटीपी के अलावा 30 किमी सीवेज पाइपलाइन डाले जाने की योजना भी है और फिलहाल इसी पर काम चल रहा है.