रायबरेली: यूपीए शासनकाल के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष और स्थानीय सांसद सोनिया गांधी की बदौलत रायबरेली को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की सौगात हासिल हुई थी. पहले जमीन अधिग्रहण और फिर अन्य कारणों से इसका काम शुरू होने में वक़्त लगा. लंबे इंतजार के बाद साल 2018 में एम्स में ओपीडी की शुरुआत हुई.
इसी बीच चंडीगढ़ पीजीआई को एम्स रायबरेली के मेंटरशिप की जिम्मेदारी भी सौंपी गई. मरीजों को स्तरीय चिकित्सकीय सुविधा देने का दावा भी किया जाने लगा. हालांकि लंबा अरसा गुजर जाने के बावजूद संस्थान को अभी भी पूर्णकालिक निदेशक की दरकार है. जिसकी तैनाती होने से उम्मीद है कि कई जरूरी कार्यों को न केवल गति दी जा सकेगी, बल्कि एम्स अपनी ख्याति अनुरुप चिकित्सकीय सुविधा को देने में सक्षम हो सकेगा.
- एम्स रायबरेली की स्वीकृति यूपीए वन शासनकाल के दौरान वर्ष 2007 में ही दी जा चुकी थी.
- कई वर्ष गुजर जाने के बाद 2012 में 150 में से करीब 97 एकड़ भूमि एम्स के लिए अधिग्रहित हो पाई थी.
- इसके बाद 2013 में सोनिया गांधी ने इसका शिलान्यास किया था.
- वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद कुछ साल प्रोजेक्ट थमा रहा, फिर अगस्त 2018 से ओपीडी सेवाओं की शुरुआत हुई थी.
- एम्स प्रशासन द्वारा दावा किया जा रहा है कि अप्रैल 2020 तक एम्स रायबरेली अपनी सभी मुख्य सुविधाओं समेत कार्य करना प्रारंभ कर देगा.
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इस संबंध में मंत्रालय ही ज्यादा कुछ बता सकता है. फिलहाल खबरें आ रही हैं, उसके अनुसार अगले 2 माह के अंदर संस्थान के पूर्णकालिक निदेशक की तैनाती संभव हो सकेगी.
-एसके सिंह, उप निदेशक, एम्स रायबरेली