रायबरेली: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी के दो दिवसीय दौरे पर आयी हैं. स्मृति द्वारा अमेठी को दी जाने वाली कई सौगातों से अब रायबरेली को भी अपने विकास को लेकर आस जगी है. क्योंकि दशकों तक रायबरेली और अमेठी के विकास को एक साथ गति देने की बात होती आई है. हालांकि दशकों तक गांधी परिवार के अभेद गढ़ के रुप मे पहचान बनाने में कामयाब रहे अमेठी-रायबरेली में से अमेठी ने ही गांधी परिवार के वारिस राहुल गांधी को बेदखल करने का काम किया और उसी का फायदा फिलहाल उसे मिलता दिख रहा है.
अमेठी मिलने वाली इन सौगातों पर रहेगी रायबरेली की नजर -
अमेठी संसदीय क्षेत्र में रायबरेली जिले की तहसील और विधानसभा क्षेत्र भी शामिल है. यही वजह है कि अमेठी सांसद का दखल रायबरेली में भी रहता है. जबतक सोनिया गांधी और राहुल, इन जगहों से सांसद हुआ करते थे, तब बात परिवार तक सीमित रहती थी. फिलहाल रायबरेली में दो अलग-अलग दलों का प्रतिनिधित्व है. इसलिए दोनों ही क्षेत्रों में सियासी हलचल का तेज होना स्वाभाविक है.
अमेठी-रायबरेली रेल मार्ग दोहरीकरण से लेकर स्मृति द्वारा दिखाई जा रही सक्रियता को लेकर कई दशकों से अधूरी पड़ी परियोजनाओं के पूरा होने की उम्मीद जगी है. इसके अलावा अमेठी-ऊंचाहार रेल मार्ग बनाएं जाने को लेकर स्मृति ईरानी रेल अधिकारियों से लेकर रेल मंत्री तक से मिलने में गुरेज नहीं करती हैं. इस वजह से प्रोजेक्ट के जल्द शुरु होने आस लगाई जा रही है. इन दोनों ही बड़ी योजनाओं से अमेठी के साथ-साथ रायबरेली को भी फायदा मिलने जा रहा है. साथ ही रायबरेली के उस भाग को जिससे रेल नेटवर्क अभी तक अछूता रहा उसे अब अपना सपना पूरा होता दिख रहा है.
रेल संपर्क मार्ग से अछूता रहा सलोन -
अमेठी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा और रायबरेली के अंग सलोन के विकास को लेकर भी स्मृति बेहद संवेदनशील दिखती हैं. कुछ समय पहले स्मृति खुद ही इस क्षेत्र का दौरा कर चुकी हैं और उस दौरे पर वे अपने साथ सूबे के उपमुख्यमंत्री को लेकर आई थीं. अमेठी-ऊंचाहार रेलखंड सलोन से होकर गुजरता है और इस रेलखंड के जरिए ही सलोन को भारतीय रेल के मानचित्र पर अंकित किया जाता है. हालांकि इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2013 में तत्कालीन अमेठी सांसद राहुल गांधी के प्रयासों से स्वीकृति मिली थी, पर राहुल सलोन तक रेल की पटरी लाने में कामयाब नहीं हो हुए. कई वर्ष गुजर जाने के बाद अब स्मृति ईरानी ने राहुल के प्रोजेक्ट को पूरा करने का बीड़ा उठाया है.
राजनीतिक पंडित भले ही इस बात को लेकर माथापच्ची कर रहे हों कि राहुल गांधी से अमेठी छीनने के बाद भारतीय जनता पार्टी में स्मृति ईरानी का कद बढ़ा है कि नहीं, लेकिन स्मृति ईरानी इस बात से भलीभांति परिचित है कि राहुल को हराने से ज्यादा मुश्किल काम इस संसदीय सीट को भविष्य के चुनावों में भाजपा में खेमें में बरकरार रखने का होगा. यही कारण है कि स्मृति यहां के विकास पर लगातार ध्यान दे रहीं हैं.