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सोनिया के संसदीय क्षेत्र में PM के सपने फेल, खोखला साबित हो रहा ODF का दावा

वर्षों से कांग्रेस का गढ़ रहे रायबरेली जनपद में विकास के दावे पूर्ववर्ती शासन काल में भी होते रहे, लेकिन जमीनी हकीकत उन दावों को विफल करती रही. आज भी हाल वैसा ही है. अगर हम स्वच्छ भारत मिशन के तहत बन रहे शौचालयों की बात करें तो यहां वह भी ठीक से लोगों को नसीब नहीं है. अब ये अलग बात है कि जिले को कागजी तौर पर ओडीएफ घोषित कर दिया गया है.

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स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने शौचालय.
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Published : Feb 18, 2020, 3:30 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

रायबरेलीः केंद्र और राज्य सरकारों में जब फेरबदल हुआ तब जिले की जनता को भी विकास की उम्मीद बंधी थी. प्रधानमंत्री मोदी लगभग सभी सार्वजनिक मंचों से पूरे देश को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के बात करते रहे. कुछ उसी का अनुशरण करते हुए योगी सरकार ने भी रायबरेली समेत प्रदेश के सभी जनपदों को ओपन डिफेकेशन फ्री करने का दावा किया, लेकिन रायबरेली जिले में वे सभी ये सारे दावे आज भी वास्तिवकता से परे दिख रहे हैं.

खुले में शौच मुक्त की देखिए जमीनी हकीकत.

देखें रियलटी टेस्ट
ईटीवी भारत की ग्राउंड कवरेज रिपोर्ट में जब रियलिटी टेस्ट के लिए संवाददाता ने रायबरेली के सदर विधानसभा के उदरहटी गांव का भ्रमण किया तो जनपद के ओडीएफ होने के सरकारी दावों की पोल खुलती नजर आई.

सिस्टम की मार झेल रहे ग्रमीण
ग्रामीणों को अपने घरों में इज्जत घर न होने के कमी साफ दिख रही है. सरकार की योजना के बाबत पूछे जाने में ज्यादातर का यही कहना था कि पूरा पैसा न मिलने के कारण इज्जत घर का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है. कुछ ने ग्राम प्रधान के ऊपर गबन कर पूरा पैसा न देने की बात कही तो कुछ ने सिस्टम की लापरवाही की मार की बात कही.

12 हजार में भी हो रहा हेर-फेर
दरअसल, स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार द्वारा 12 हजार की धनराशि दिए जाने का प्रावधान है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रधान द्वारा इस राशि मे भी हेर-फेर कर दिया जाता है, जबकि इतने पैसे में इज्जतघर बनकर तैयार करना कोई साधारण काम नहीं है.

सरकार के दावों के विपरीत है स्थिति
गांव के युवक मुकेश यादव कहते हैं कि शौचालय निर्माण के लिए आधा अधूरा पैसा ही आया है. यही कारण है कि पूरे गांव में आधे-अधूरे शौचालय ही दिख रहे हैं. सरकार के दावों के विपरीत उनके गांव में कोई बदलाव न होने की भी बात कही. वहीं गांव के दूसरे मुकेश ने बताया कि योजना के तहत किस्तों में धन मिला था. वह धन शौचालय बनाने के लिए पर्याप्त नहीं था. यही कारण है कि शौचालय नहीं बन सके. मुकेश ने गांव में इस योजना के फ्लॉप होने के पीछे सरकार को दोषी ठहराया.

ग्राम प्रधान कर रहे गबन
वहीं 70 वर्षीय महिला माला कहती है कि उन्हें योजना के तहत कोई आवंटन नहीं हुआ है. वहीं दूसरी 55 वर्षीय शांति देवी अपने ग्राम प्रधान पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहती हैं कि ग्राम प्रधान द्वारा धन आवंटन में हेर-फेर की गई है और दो हजार रुपये हड़प लिए गए हैं, यही कारण है कि उनका शौचालय अधूरा है.

खुले में शौच जाने को मजबूर परिवार
इसी गांव की महिला किरण अपनी बेटी समेत परिवार ने अन्य सदस्यों के साथ शौचालय न होने के कारण घर से बाहर शौच के लिए जाने को मजबूर है. धन आवंटन के बारे में पूछे जाने पर वो कहती है कि प्रधान द्वारा पैसे न देकर खुद ही निर्माण कराए जाने की बात कही गई थी. वह भी पूरा नहीं किया गया. अधूरे पड़े इज्जत घर को छत तक नसीब नहीं हुई. खुद से इज्जत घर बनवा पाने की उनके अंदर सामर्थ नहीं है.

ओडीएफ प्लस की तैयारी
इन सब बातों को देखने के साफ पता चलता है कि जिले की तो बात छोड़िये पूरी तरीके से गांव भी ओडीएफ नहीं है. वहीं खबर यह भी है कि अब जिले को ओडीएफ प्लस घोषित किया जाएगा. वहीं इस बाबत जब जिम्मेदार अधिकारियों से बात की गई तो विभागीय व्यस्तता का हवाला देते हुए बाद में बात करने का हवाला देकर किनारा कस लिए.

रायबरेलीः केंद्र और राज्य सरकारों में जब फेरबदल हुआ तब जिले की जनता को भी विकास की उम्मीद बंधी थी. प्रधानमंत्री मोदी लगभग सभी सार्वजनिक मंचों से पूरे देश को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के बात करते रहे. कुछ उसी का अनुशरण करते हुए योगी सरकार ने भी रायबरेली समेत प्रदेश के सभी जनपदों को ओपन डिफेकेशन फ्री करने का दावा किया, लेकिन रायबरेली जिले में वे सभी ये सारे दावे आज भी वास्तिवकता से परे दिख रहे हैं.

खुले में शौच मुक्त की देखिए जमीनी हकीकत.

देखें रियलटी टेस्ट
ईटीवी भारत की ग्राउंड कवरेज रिपोर्ट में जब रियलिटी टेस्ट के लिए संवाददाता ने रायबरेली के सदर विधानसभा के उदरहटी गांव का भ्रमण किया तो जनपद के ओडीएफ होने के सरकारी दावों की पोल खुलती नजर आई.

सिस्टम की मार झेल रहे ग्रमीण
ग्रामीणों को अपने घरों में इज्जत घर न होने के कमी साफ दिख रही है. सरकार की योजना के बाबत पूछे जाने में ज्यादातर का यही कहना था कि पूरा पैसा न मिलने के कारण इज्जत घर का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है. कुछ ने ग्राम प्रधान के ऊपर गबन कर पूरा पैसा न देने की बात कही तो कुछ ने सिस्टम की लापरवाही की मार की बात कही.

12 हजार में भी हो रहा हेर-फेर
दरअसल, स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार द्वारा 12 हजार की धनराशि दिए जाने का प्रावधान है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रधान द्वारा इस राशि मे भी हेर-फेर कर दिया जाता है, जबकि इतने पैसे में इज्जतघर बनकर तैयार करना कोई साधारण काम नहीं है.

सरकार के दावों के विपरीत है स्थिति
गांव के युवक मुकेश यादव कहते हैं कि शौचालय निर्माण के लिए आधा अधूरा पैसा ही आया है. यही कारण है कि पूरे गांव में आधे-अधूरे शौचालय ही दिख रहे हैं. सरकार के दावों के विपरीत उनके गांव में कोई बदलाव न होने की भी बात कही. वहीं गांव के दूसरे मुकेश ने बताया कि योजना के तहत किस्तों में धन मिला था. वह धन शौचालय बनाने के लिए पर्याप्त नहीं था. यही कारण है कि शौचालय नहीं बन सके. मुकेश ने गांव में इस योजना के फ्लॉप होने के पीछे सरकार को दोषी ठहराया.

ग्राम प्रधान कर रहे गबन
वहीं 70 वर्षीय महिला माला कहती है कि उन्हें योजना के तहत कोई आवंटन नहीं हुआ है. वहीं दूसरी 55 वर्षीय शांति देवी अपने ग्राम प्रधान पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहती हैं कि ग्राम प्रधान द्वारा धन आवंटन में हेर-फेर की गई है और दो हजार रुपये हड़प लिए गए हैं, यही कारण है कि उनका शौचालय अधूरा है.

खुले में शौच जाने को मजबूर परिवार
इसी गांव की महिला किरण अपनी बेटी समेत परिवार ने अन्य सदस्यों के साथ शौचालय न होने के कारण घर से बाहर शौच के लिए जाने को मजबूर है. धन आवंटन के बारे में पूछे जाने पर वो कहती है कि प्रधान द्वारा पैसे न देकर खुद ही निर्माण कराए जाने की बात कही गई थी. वह भी पूरा नहीं किया गया. अधूरे पड़े इज्जत घर को छत तक नसीब नहीं हुई. खुद से इज्जत घर बनवा पाने की उनके अंदर सामर्थ नहीं है.

ओडीएफ प्लस की तैयारी
इन सब बातों को देखने के साफ पता चलता है कि जिले की तो बात छोड़िये पूरी तरीके से गांव भी ओडीएफ नहीं है. वहीं खबर यह भी है कि अब जिले को ओडीएफ प्लस घोषित किया जाएगा. वहीं इस बाबत जब जिम्मेदार अधिकारियों से बात की गई तो विभागीय व्यस्तता का हवाला देते हुए बाद में बात करने का हवाला देकर किनारा कस लिए.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST
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