रायबरेली: देश के प्रधानमंत्री मोदी गरीबों और असहायों को एक अदद छत मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें घर देने का दावा जरूर करते हैं, लेकिन उन दावों की पोल उस समय खुल जाती है. जब इस योजना का लाभ पात्र व्यक्ति को नहीं बल्कि अपात्रों को जरूर मिल जाता है. कुछ ऐसा ही हुआ है रायबरेली के ऊंचाहार क्षेत्र के कई गांवों दलेरगंज,इटौरा बुजुर्ग में जंहा पात्र व्यक्ति आज भी झोपड़ी में रह रहे है और अपात्रों को आवास मिल गए है.
- झिल्ली और घास फूस से बनी ये झोपड़ियां उन गरीबों की है, जिनके पास रहने के लिए एक छत नहीं है.
- बारिश,सर्दी और गर्मी से बचने के लिए इनको इसका ही सहारा है.
- प्रधानमंत्री आवास योजना से इन गरीबों को ये उम्मीद जरूर जगी थी कि अब इनको भी एक छत मिलेगी.
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इसके लिए इन्होंने भाग दौड़ करके अपना नाम भी सूची में डलवाया, लेकिन जब आवास मिलने का समय आया तो ये पीछे रह गए और आवास उनको मिल गया जो पात्र नहीं थे. इन्होंने इसके लिए अधिकारियों से गुहार भी लगाई, लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं था.
वहीं जब मामले पर मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक गोयल से बात की गई तो उन्होंने हमेशा की तरह रटा रटाया जवाब दिया कि मामला संज्ञान में आया है. जांच कर कार्रवाई की जाएगी.