लखनऊ: रायबरेली के लोगों के सामने दो विरासतों का टकराव अपनी जमीन तैयार कर चुका है. पिता अखिलेश सिंह की रॉबिनहुड शख्सियत वाली विरासत के दम पर विधायक अदिति सिंह कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी को सीधी चुनौती दे रही हैं, जिनकी छवि में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इंदिरा गांधी का अक्स दिखाई देता है.
रायबरेली सदर सीट से पहली बार विधानसभा में पहुंची अदिति सिंह का राजनीतिक जीवन का अनुभव ज्यादा लंबा नहीं है. रायबरेली सदर सीट से पहली बार 1993 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए अखिलेश कुमार सिंह लगातार तीन बार कांग्रेस के चुनाव निशान पर जीत हासिल करते रहे.
बाहुबली और दबंग छवि की वजह से जब उन पर गंभीर आरोप लगे तो कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया, लेकिन 2007 का विधानसभा चुनाव भी वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीतने में कामयाब रहे. बाद में उनके कांग्रेस से संबंधों में सुधार हुआ, लेकिन 2012 का विधानसभा चुनाव वह पीस पार्टी के निशान पर लड़े और जीतने में कामयाब रहे. यही वजह है कि जब कांग्रेस में उनकी वापसी हुई तो पार्टी नेतृत्व ने 2017 के विधानसभा चुनाव में उनकी पुत्री अदिति सिंह को टिकट देने में देरी नहीं लगाई.
विदेश में रहकर शिक्षा पूरी करने वाली अदिति का गांधी-नेहरू परिवार से करीबी रिश्ता रहा है. यही वजह है कि कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें विधायक बनाने के साथ ही महिला कांग्रेस की उस शाखा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया जो 24 साल से कम उम्र की युवतियों के बीच में काम करती हैं.
अदिति सिंह के काफिले पर हुआ हमला
2019 में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के दौरान उनके काफिले पर जानलेवा हमला हुआ. कांग्रेस की ओर से आरोप लगाया गया कि हमला भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर किया गया. इस घटना के बाद अदिति सिंह समर्थकों ने कांग्रेस नेतृत्व पर उदासीन रहने का आरोप लगाया. हालांकि प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने अदिति सिंह के घर जाकर इस आरोप को हल्का करने की कोशिश की, लेकिन दूरियां बढ़ती गई.
कांग्रेस ने अदिति सिंह की विधानसभा सदस्यता रद कराने की याचिका दी
2 अक्टूबर 2019 को सभी ने देखा कि जब प्रियंका गांधी राजधानी लखनऊ की सड़कों पर योगी सरकार के खिलाफ पैदल मार्च कर रही थीं तो अदिति सिंह विधानसभा के विशेष सत्र में उपस्थित रहकर योगी सरकार के कामकाज की तारीफ कर रही थीं. इसी घटना ने प्रियंका गांधी को भड़का दिया और कांग्रेस ने अदिति सिंह की विधानसभा सदस्यता रद कराने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के सामने याचिका प्रस्तुत कर दी. इसके बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित करने का कारण बताओ नोटिस दिया गया, जिसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
रायबरेली कांग्रेस के खेवनहार थे अखिलेश सिंह
रायबरेली की सदर सीट से लगातार चुनाव जीतते रहे अखिलेश कुमार सिंह को कांग्रेस पार्टी का रायबरेली में खेवनहार माना जाता रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रायबरेली को अपने चुनावी गढ़ में तब्दील किया, जिसका फायदा गांधी परिवार को आज तक मिलता रहा, लेकिन राजनीतिक जानकारों की माने तो इस सीट पर सोनिया गांधी को मिलने वाली लगातार जीत के पीछे अखिलेश सिंह की राजनीतिक ताकत बेहद मायने रखती है. यही वजह है कि जब तक अखिलेश सिंह जिंदा रहे पार्टी नेतृत्व ने अदिति सिंह के अनपेक्षित व्यवहार को पूरी तरह नजरअंदाज किया.
रायबरेली लोकसभा सीट पर पहले ही विधान परिषद सदस्य दिनेश सिंह को खो चुकी कांग्रेस को 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश सिंह का बड़ा सहारा मिला. शायद यही वजह है कि अदिति सिंह को भारतीय जनता पार्टी रायबरेली का कांग्रेसी किला ध्वस्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण अस्त्र मान रही है.
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पार्टी नेतृत्व में अपने पुराने और बड़े नेता अखिलेश सिंह की निष्ठा को ध्यान में रखते हुए अदिति सिंह को फ्रंट सीट पर बैठने का मौका दिया, लेकिन राजनीतिक अनुभव की कमी की वजह से वह इतने बड़े अवसर को संभाल नहीं सकीं.
अमरनाथ अग्रवाल,प्रदेश प्रवक्ता,कांग्रेसउन्हें सोनिया गांधी ने अपनी गोद में बैठाकर लाड़-दुलार किया है. गांधी परिवार से उनके बेहद करीबी रिश्ते रहे. राहुल और प्रियंका गांधी उन्हें अपनी छोटी बहन ही मानते रहे हैं. यह अलग बात है कि मीडिया ने राहुल और अदिति के विवाह की अफवाह भी उड़ाई, जिसका उन्होंने अपने पिता की मौजूदगी में ही आगे बढ़कर खंडन किया.
वीरेंद्र चौधरी ,प्रदेश उपाध्यक्ष,कांग्रेस