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सोमवती अमावस्या पर व्रत रख महिलाओं ने की अखंड सौभाग्य की कामना - प्रयागराज समाचार

प्रयागराज में सोमवती अमावस्या के अवसर पर महिलाओं ने वट सावित्री का व्रत रखा. इस दौरान महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा कर अखंड सौभाग्य की कामना की.

सोमवती अमावस्या पर महिलाओं ने रखा व्रत.
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Published : Jun 3, 2019, 9:39 PM IST

प्रयागराज: सोमवती अमावस्या के अवसर पर मेजा क्षेत्र के गांव में महिलाओं ने वट सावित्री का व्रत रखा. महिलाओं ने 108 बार बरगद के पेड़ की परिक्रमा कर कच्चा सूत बांधकर पूजा-अर्चना करते हुए अखंड सौभाग्य की कामना की.

सोमवती अमावस्या पर महिलाओं ने रखा व्रत.
जानिए क्यों मनाया जाता है वट सावित्री व्रत
  • जानकारों की माने तो सावित्री के पति सत्यवान की मौत के बाद यमराज उनके प्राणों को हर कर ले जा रहे थे.
  • उस समय सावित्री अपने पति के प्राण वापस पाने के लिए यमराज के पीछे पड़ गईं.
  • इसके बाद यमराज को सावित्री के आगे झुकना पड़ा.
  • यमराज ने सत्यवान के प्राण को वापस कर उसे जिंदा कर दिया.
  • इसके बाद महिलाएं इस प्रथा को निभाते हुए यह व्रत रखती हैं.

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक इस बार शनि जयंती और सोमवती अमावस्या एक साथ पड़ने के कारण यह व्रत काफी खास रहा. इसके साथ ही एक दिन में तीन शुभ आयोजन होने के चलते इसका महत्व बढ़ गया.

प्रयागराज: सोमवती अमावस्या के अवसर पर मेजा क्षेत्र के गांव में महिलाओं ने वट सावित्री का व्रत रखा. महिलाओं ने 108 बार बरगद के पेड़ की परिक्रमा कर कच्चा सूत बांधकर पूजा-अर्चना करते हुए अखंड सौभाग्य की कामना की.

सोमवती अमावस्या पर महिलाओं ने रखा व्रत.
जानिए क्यों मनाया जाता है वट सावित्री व्रत
  • जानकारों की माने तो सावित्री के पति सत्यवान की मौत के बाद यमराज उनके प्राणों को हर कर ले जा रहे थे.
  • उस समय सावित्री अपने पति के प्राण वापस पाने के लिए यमराज के पीछे पड़ गईं.
  • इसके बाद यमराज को सावित्री के आगे झुकना पड़ा.
  • यमराज ने सत्यवान के प्राण को वापस कर उसे जिंदा कर दिया.
  • इसके बाद महिलाएं इस प्रथा को निभाते हुए यह व्रत रखती हैं.

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक इस बार शनि जयंती और सोमवती अमावस्या एक साथ पड़ने के कारण यह व्रत काफी खास रहा. इसके साथ ही एक दिन में तीन शुभ आयोजन होने के चलते इसका महत्व बढ़ गया.

Intro:सोमवती अमावस्या के अवसर पर मेजा क्षेत्र के गांव में महिलाओं द्वारा वट सावित्री व्रत रखकर बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री की कथा पढ़कर सुनाया जिसके उपरांत गुड़ चीनी काजू बादाम आदि फल फूल के माध्यम से 108 बार बरगद के पेड़ की नीचे परिक्रमा करने के पश्चात कच्चे सूत से बांधकर पूजा अर्चना करते हुए अखंड सौभाग्य की कामना की जानकारों की मानें तो सावित्री के पति सत्यवान की मौत के बाद यमराज और उनके प्राणों को हर कर ले जाते समय सावित्री यमराज के पीछे पड़ गई पति के प्राण वापस पाने के लिए अंततः यमराज को सावित्री के आगे झुकना पड़ा,सत्यवान के प्राण को वापस कर उसे जिंदा कर दिया जिसे लेकर महिलाएं इस प्रथा को निभाते हुए यह व्रत रखती हैं।
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक इस बार शनि जयंती और सोमवती अमावस्या एक साथ पड़ने के कारण यह व्रत काफी खास हो गया इसके साथ ही 1 दिन में तीन शुभ आयोजन होने के चलते इसका महत्व बढ़ गया।

मेजा, प्रयागराज
राजेश कुमार गौड़
10007Body:सोमवती अमावस्या के अवसर पर मेजा क्षेत्र के गांव में सोमवार को महिलाओं द्वारा वट सावित्री व्रत रखकर बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री की कथा पढ़कर सुनाया जिसके उपरांत गुड़ चीनी काजू बादाम आदि फल फूल के माध्यम से 108 बार बरगद वट वृक्ष के नीचे परिक्रमा करने के पश्चात कच्चे सूत से बांधकर पूजा अर्चना करते हुए अखंड सौभाग्य की कामना की जानकारों की मानें तो सावित्री के पति सत्यवान की मौत के बाद यमराज और उनके प्राणों को हर कर ले जाते समय सावित्री यमराज के पीछे पड़ गई पति के प्राण वापस पाने के लिए अंततः यमराज को सावित्री के आगे झुकना पड़ा,सत्यवान के प्राण को वापस कर उसे जिंदा कर दिया जिसे लेकर महिलाएं इस प्रथा को निभाते हुए यह व्रत रखती हैं।
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक इस बार शनि जयंती और सोमवती अमावस्या एक साथ पड़ने के कारण यह व्रत काफी खास हो गया इसके साथ ही 1 दिन में तीन शुभ आयोजन होने के चलते इसका महत्व बढ़ गया।

मेजा, प्रयागराज
राजेश कुमार गौड़
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