प्रयागराज: यूपी में लगातार हो रही बारिश और बांधों से छोड़े गए पानी की वजह से संगम नगरी प्रयागराज में गंगा-यमुना का जलस्तर बढ़ने लगा है. दोनों नदियों के जलस्तर में हो रही बढ़ोत्तरी से संगम तट पर बैठने वाले पुरोहितों और दुकान लगाने वाले दुकानदारों की मुसीबत बढ़ गयी है. पानी बढ़ने से रोज कमाने वाले इन लोगों की कमाई घटने लगी है, जिससे परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. संगम तट पर बने अस्थायी घाटों पर तख्त चौकी पर बैठकर श्रद्धालुओं को टीका-चंदन लगाकर मिलने वाली दक्षिणा से अपना परिवार चलाने वाले पुरिहितों का कहना है कि जैसे-जैसे पानी का स्तर बढ़ता है वह अपनी चौकियों को ऊपर की तरफ ले जाते हैं, लेकिन पानी बढ़ने की वजह से संगम स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम हो जाती है. जिस वजह से उनकी कमाई भी बहुत कम होती है, जिससे उनके सामने दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाना भी मुश्किल हो जाता है.
कान्हा की नगरी मथुरा में यमुना नदी एक बार फिर उफान पर है. शहर के विश्राम घाट पर यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण दो सीढ़ियां डूब चुकी हैं. यमुना नदी खतरे के निशान के करीब है. वहीं तीन दिन पहले हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से यमुना नदी के लिए 4 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है, जोकि शुक्रवार की देर शाम तक मथुरा पहुंचने की उम्मीद लगाई जा रही है. यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर को लेकर लोगों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं. नाव चालकों को गहरे पानी में न जाने की सलाह दी गई है. फिलहाल यमुना नदी का जलस्तर 164.30 सेंटीमीटर पर आ चुका है और खतरे का निशान 165 सेंटीमीटर पर है. यमुना नदी के पास बने कच्चे मकानों में रह रहे लोगों को भी चेतावनी जारी कर दी गई है.
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आगरा जनपद में लगातार दो दिनों से हो रही बारिश के चलते प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बसई अरेला का परिसर हर साल की तरह तालाब में तब्दील हो गया है. पानी भरने का कारण यहां दलदल बन रहा है. अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए परेशानी खड़ी हो गई है. सबसे बड़ी बात यह है कि स्वास्थ्य केंद्र पर ज्यादातर गर्भवती महिलाएं डिलीवरी और इलाज के लिए पहुंचती हैं. ऐसे में अगर कोई हादसा होता है तो आखिर इसका जिम्मेदार कौन होगा. कई सालों से बरसात के दिनों में स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति तालाब जैसी हो जाती है. मगर स्वास्थ्य कर्मियों की शिकायत के बावजूद भी जल निकासी का कोई भी साधन नहीं है, जिसके कारण स्थिति जस की तस बनी हुई है.
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बिजनौर के बढ़ापुर इलाके के छायली मार्ग पर पहाड़ा नदी का पानी आ जाने से यहां से आने-जाने वाले लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस मार्ग से गुजरने वाले ग्रामीण जान जोखिम में डालकर इस रास्ते से गुजरने को मजबूर हैं. आजादी के 70 साल के बाद भी आज तक इस रास्ते पर किसी भी स्थाई पुल का निर्माण नहीं हो सका है. ग्रामीणों का साफ तौर से कहना है कि कई सरकारें आईं और गईं लेकिन किसी भी सरकार के विधायक और सांसदों ने इस मार्ग पर पुल का निर्माण नहीं कराया. इस रास्ते से तकरीबन 10 से अधिक गांव के 10 हजार से अधिक ग्रामीण रोजाना इस रास्ते से होकर गुजरते हैं.
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फर्रुखाबाद में बारिश के कारण लोगों की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं. कच्चे मकान में रह रहे लोगों की मुश्किलें और बढ़ी हैं. वहीं कच्ची दीवार के मलबे में दबकर बच्चे की मौत हो गई है. बच्चा सुबह मकान की दीवार के किनारे मौजूद था, तभी बारिश की वजह से कच्ची दीवार ढह गई. सूचना मिलने पर थानाध्यक्ष दिनेश कुमार गौतम ने मामले की जांच पड़ताल की. करीब 2 घंटे तक राजस्व का कोई कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा.