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खतरे के निशान तक पहुंचीं गंगा-यमुना, प्रयाग हुआ पानी-पानी - गंगा नदी में बाढ़

भारी बारिश के बाद गंगा-यमुना नदी (Ganga-Yamuna river) का जलस्तर बढ़ने से प्रयागराज में लोग घरों में कैद हो गए हैं. घरों के चारों ओर भरा पानी, प्रशासन ने रेस्क्यू करके लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया.

प्रयागराज में बाढ़.
प्रयागराज में बाढ़.
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Published : Aug 7, 2021, 10:15 PM IST

प्रयागराज: प्रयागराज में गंगा-यमुना (Ganga-Yamuna river) दोनों नदियों का जलस्तर (water level of rivers) खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है. तेजी से बढ़ते हुए जलस्तर की वजह से अब निचले इलाकों में रहने वालों की मुसीबत भी बढ़ गई है. शहर में दारागंज, सलोरी, बघाड़ा, राजापुर, नैनी और झूंसी इलाके के घरों के अंदर नदी का पानी पहुँच चुका है. कई इलाकों में निचली मंजिल डूबने के बाद लोग घरों की दूसरी मंजिल पर शरण लिए हुए हैं.

संगम नगरी में गंगा और यमुना दोनों नदियों का जलस्तर तेज गति से बढ़ रहा है. इसी गति से पानी बढ़ता रहा तो रविवार को गंगा-यमुना खतरे के निशान को पार कर सकती हैं. प्रयागराज में 84.73 मीटर दोनों नदियों का डेंजर लेवल है. शनिवार की शाम 4 बजे तक फाफामऊ में गंगा 84.09 मीटर छतनाग में 83.30 मीटर तक है, जबकि नैनी में यमुना 83.88 मीटर तक पहुंच चुकी है. गंगा पौने तीन सेमी प्रति घन्टे की रफ्तार से बढ़ रही है और यमुना ढाई सेमी प्रति घन्टे की रफ्तार से डेंजर लेवल की ओर बढ़ रही है. इसी रफ्तार से पानी बढ़ता रहा तो रविवार को नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर सकता है.

प्रयागराज में बाढ़.
शहर में गंगा यमुना के बढ़ते जलस्तर की वजह से दारागंज, सलोरी, बघाड़ा, राजापुर, नैनी और झूंसी समेत सभी निचले इलाकों में नदी का पानी प्रवेश कर चुका है. बघाड़ा और दारागंज के साथ ही नैनी और झुंसी इलाकों में नदी के कछारी इलाके में बने हुए घरों की पहली मंजिल डूब चुकी है और नदी का पानी दूसरी मंजिल को डुबोने की तरफ बढ़ रहा है, जबकि छात्र बाहुल्य वाले सलोरी बघाड़ा इलाके में हजारों घर पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं, जिसके बाद बहुत से लोग घरों की ऊपरी मंजिल पर शरण ले लिए हैं तो कुछ लोग बाढ़ राहत केंद्रों तक पहुंच चुके हैं.

इसे भी पढ़ें-जालौन के बाढ़ प्रभावित इलाकों में सेना ने संभाला मोर्चा, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी


सलोरी बघाड़ा इलाके में हजारों की संख्या में प्रतियोगी छात्र रहकर पढ़ाई करते हैं. प्राइवेट लॉज में रहकर पढ़ने वाले छात्र के लॉज तक पानी पहुंचने के बाद कई छात्र अपने कमरों को खाली करके जा चुके हैं. दूसरी तरफ बहुत से छात्र अभी भी लॉज में रुके हुए हैं, लेकिन अब इन छात्रों के पास खाने पीने के सामानों की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. छात्रों का कहना है कि उन्हें जिला प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं दी गई है. इन इलाकों में शनिवार दोपहर के बाद जिला प्रशासन की तरफ से घरों में फंसे हुए लोगों को निकालने और उनकी मदद के लिए नाव भेजी गई है.

इसे भी पढ़ें-गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर, लगभग 200 परिवारों को किया गया शिफ्ट


बघाड़ा इलाके के पार्षद नितिन यादव का आरोप है कि 24 घंटे से अधिक समय से बाढ़ के पानी की वजह से लोग घरों में कैद हैं. इसके बावजूद जिला प्रशासन की तरफ से मदद के लिए नाव भेजने में देर की गई. इसके साथ उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इलाके में जो बाढ़ राहत शिविर बनाया गया है, वहां पर सिर्फ स्थानीय निवासियों का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है, जबकि इलाके में हजारों की संख्या में छात्र रहकर पढ़ाई करते हैं, लेकिन जिला प्रशासन उन छात्रों की मदद के लिए अभी तक कोई पहल नहीं की है. इसके साथ ही इलाके में खोले गए बाढ़ राहत शिविर में छात्रों का न तो पंजीकरण किया जा रहा है न ही उनके रुकने और खाने पीने की कोई मदद नहीं कि जा रही है.

प्रयागराज: प्रयागराज में गंगा-यमुना (Ganga-Yamuna river) दोनों नदियों का जलस्तर (water level of rivers) खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है. तेजी से बढ़ते हुए जलस्तर की वजह से अब निचले इलाकों में रहने वालों की मुसीबत भी बढ़ गई है. शहर में दारागंज, सलोरी, बघाड़ा, राजापुर, नैनी और झूंसी इलाके के घरों के अंदर नदी का पानी पहुँच चुका है. कई इलाकों में निचली मंजिल डूबने के बाद लोग घरों की दूसरी मंजिल पर शरण लिए हुए हैं.

संगम नगरी में गंगा और यमुना दोनों नदियों का जलस्तर तेज गति से बढ़ रहा है. इसी गति से पानी बढ़ता रहा तो रविवार को गंगा-यमुना खतरे के निशान को पार कर सकती हैं. प्रयागराज में 84.73 मीटर दोनों नदियों का डेंजर लेवल है. शनिवार की शाम 4 बजे तक फाफामऊ में गंगा 84.09 मीटर छतनाग में 83.30 मीटर तक है, जबकि नैनी में यमुना 83.88 मीटर तक पहुंच चुकी है. गंगा पौने तीन सेमी प्रति घन्टे की रफ्तार से बढ़ रही है और यमुना ढाई सेमी प्रति घन्टे की रफ्तार से डेंजर लेवल की ओर बढ़ रही है. इसी रफ्तार से पानी बढ़ता रहा तो रविवार को नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर सकता है.

प्रयागराज में बाढ़.
शहर में गंगा यमुना के बढ़ते जलस्तर की वजह से दारागंज, सलोरी, बघाड़ा, राजापुर, नैनी और झूंसी समेत सभी निचले इलाकों में नदी का पानी प्रवेश कर चुका है. बघाड़ा और दारागंज के साथ ही नैनी और झुंसी इलाकों में नदी के कछारी इलाके में बने हुए घरों की पहली मंजिल डूब चुकी है और नदी का पानी दूसरी मंजिल को डुबोने की तरफ बढ़ रहा है, जबकि छात्र बाहुल्य वाले सलोरी बघाड़ा इलाके में हजारों घर पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं, जिसके बाद बहुत से लोग घरों की ऊपरी मंजिल पर शरण ले लिए हैं तो कुछ लोग बाढ़ राहत केंद्रों तक पहुंच चुके हैं.

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सलोरी बघाड़ा इलाके में हजारों की संख्या में प्रतियोगी छात्र रहकर पढ़ाई करते हैं. प्राइवेट लॉज में रहकर पढ़ने वाले छात्र के लॉज तक पानी पहुंचने के बाद कई छात्र अपने कमरों को खाली करके जा चुके हैं. दूसरी तरफ बहुत से छात्र अभी भी लॉज में रुके हुए हैं, लेकिन अब इन छात्रों के पास खाने पीने के सामानों की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. छात्रों का कहना है कि उन्हें जिला प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं दी गई है. इन इलाकों में शनिवार दोपहर के बाद जिला प्रशासन की तरफ से घरों में फंसे हुए लोगों को निकालने और उनकी मदद के लिए नाव भेजी गई है.

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बघाड़ा इलाके के पार्षद नितिन यादव का आरोप है कि 24 घंटे से अधिक समय से बाढ़ के पानी की वजह से लोग घरों में कैद हैं. इसके बावजूद जिला प्रशासन की तरफ से मदद के लिए नाव भेजने में देर की गई. इसके साथ उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इलाके में जो बाढ़ राहत शिविर बनाया गया है, वहां पर सिर्फ स्थानीय निवासियों का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है, जबकि इलाके में हजारों की संख्या में छात्र रहकर पढ़ाई करते हैं, लेकिन जिला प्रशासन उन छात्रों की मदद के लिए अभी तक कोई पहल नहीं की है. इसके साथ ही इलाके में खोले गए बाढ़ राहत शिविर में छात्रों का न तो पंजीकरण किया जा रहा है न ही उनके रुकने और खाने पीने की कोई मदद नहीं कि जा रही है.

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