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इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउन्डेशन ट्रस्ट के गठन की वैधता पर इलाहाबाद कोर्ट में चुनौती, 26 जुलाई को सुनवाई

इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउन्डेशन ट्रस्ट के गठन की वैधता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वक्फ बोर्ड ने चुनौती दी है. दरअसल, याची की मांग है कि ट्रस्ट के गठन संबंधी दस्तावेज म॔ंगा कर रद्द किया जाय, और ट्रस्ट गठन रोका जाय. जिसकी सुनवाई 26 जुलाई को होनी है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jun 18, 2021, 3:37 PM IST

Updated : Jun 18, 2021, 5:25 PM IST

प्रयागराज: वक्फ बोर्ड द्वारा इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउन्डेशन ट्रस्ट के गठन की वैधता को इलाहाबाद हाईकोर्ट मे चुनौती दी गयी है. गठन के दस्तावेज दाखिल करने को चार हफ्ते का समय दिया गया है. कोर्ट में इसकी सुनवाई 26 जुलाई को होनी है.


वहीं, वक्फ बोर्ड द्वारा दाखिल इस चुनौती पर कोर्ट ने कहा है कि जिन दस्तावेजों को रद्द करने की मांग की गयी है वे याचिका के साथ दाखिल ही नहीं हैं. ऐसे में जो दस्तावेज कोर्ट में हो ही नहीं उन्हे रद्द करने पर विचार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने दस्तावेज तलब करने की मांग अस्वीकार कर दी है, किन्तु न्यायहित मे याची को चार हफ्ते में दस्तावेज दाखिल करने का समय दिया गया है, साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि यदि दस्तावेज दाखिल नहीं किये गये तो याचिका स्वतः खारिज हो जायेगी.

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश संजय यादव तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पांडिया की खंडपीठ ने नदीम अहमद व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है. याचिका में एक जुलाई 20 को जारी अधिसूचना को भी रद्द किए जाने की मांग की गयी है. इसपर कोर्ट ने कहा है कि अन्य जनहित याचिका मे इसे वैध करार दिया जा चुका है.

मालूम हो कि अयोध्या राम मंदिर मस्जिद विवाद का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के लिए नगर से बाहर पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था, जिसे बोर्ड ने स्वीकार किया था. जिसके बाद उसपर मस्जिद और अस्पताल बनाने के लिए ट्रस्ट का गठन किया गया है.

जबकि याची का दावा है कि ट्रस्ट गठित करने के दस्तावेज वैध नहीं हैं. जिसके बाद कोर्ट ने याची को दस्तावेज दाखिल करने को कहा है. दस्तावेज दाखिल होने के बाद उस पर विचार किया जायेगा.

प्रयागराज: वक्फ बोर्ड द्वारा इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउन्डेशन ट्रस्ट के गठन की वैधता को इलाहाबाद हाईकोर्ट मे चुनौती दी गयी है. गठन के दस्तावेज दाखिल करने को चार हफ्ते का समय दिया गया है. कोर्ट में इसकी सुनवाई 26 जुलाई को होनी है.


वहीं, वक्फ बोर्ड द्वारा दाखिल इस चुनौती पर कोर्ट ने कहा है कि जिन दस्तावेजों को रद्द करने की मांग की गयी है वे याचिका के साथ दाखिल ही नहीं हैं. ऐसे में जो दस्तावेज कोर्ट में हो ही नहीं उन्हे रद्द करने पर विचार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने दस्तावेज तलब करने की मांग अस्वीकार कर दी है, किन्तु न्यायहित मे याची को चार हफ्ते में दस्तावेज दाखिल करने का समय दिया गया है, साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि यदि दस्तावेज दाखिल नहीं किये गये तो याचिका स्वतः खारिज हो जायेगी.

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश संजय यादव तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पांडिया की खंडपीठ ने नदीम अहमद व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है. याचिका में एक जुलाई 20 को जारी अधिसूचना को भी रद्द किए जाने की मांग की गयी है. इसपर कोर्ट ने कहा है कि अन्य जनहित याचिका मे इसे वैध करार दिया जा चुका है.

मालूम हो कि अयोध्या राम मंदिर मस्जिद विवाद का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के लिए नगर से बाहर पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था, जिसे बोर्ड ने स्वीकार किया था. जिसके बाद उसपर मस्जिद और अस्पताल बनाने के लिए ट्रस्ट का गठन किया गया है.

जबकि याची का दावा है कि ट्रस्ट गठित करने के दस्तावेज वैध नहीं हैं. जिसके बाद कोर्ट ने याची को दस्तावेज दाखिल करने को कहा है. दस्तावेज दाखिल होने के बाद उस पर विचार किया जायेगा.

Last Updated : Jun 18, 2021, 5:25 PM IST
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