प्रयागराजः संगम नगरी प्रयागराज की कटरा एक ऐसी रामलीला कमेटी है, जो रावण वध और दहन नहीं करती है. इस रामलीला कमेटी में भगवान राम का किरदार निभाने वाले पात्र दशहरे के दिन रावण दहन कार्यक्रम (Ravan Dahan Program) में जाते हैं, लेकिन अपने हाथ से रावण का वध नहीं करते हैं. वहीं, उनके साथ मौजूद दूसरी रामलीला कमेटी के भगवान राम रावण का वध कर उसका दहन करते हैं.
रावण वध न करने के पीछे इस रामलीला कमेटी का कहना है कि उनकी रामलीला कमेटी की तरफ से रावण की पूजा करने के साथ ही उसकी शोभा यात्रा निकालकर दशहरे की शुरुआत की जाती है, जिस वजह से उनकी रामलीला कमेटी की तरफ से रावण वध नहीं किया जाता है.
कटरा रामलीला कमेटी के राम नहीं करते रावण का वध
प्रयागराज की प्राचीनतम रामलीलाओं में से एक कटरा रामलीला कमेटी (Katra Ramlila Committee) की तरफ से दशहरे के दिन रावण का वध नहीं करवाया जाता है. बल्कि पड़ोस की दारागंज रामलीला कमेटी (Daraganj Ramlila Committee) के राम के द्वारा किए जाने वाले रावण वध की लीला में यहां के राम जाकर शामिल हो जाते हैं. लेकिन इस रामलीला कमेटी के राम रावण का वध नहीं करते हैं, क्योंकि इस रामलीला कमेटी की परंपरा रावण की पूजा करके दशहरे की शुरुआत करने की है. ऐसे में कमेटी के लोगों का कहना है कि उनके यहां रावण की पूजा करने की ही परंपरा चली आ रही है. ऐसे में वे जिसकी पूजा करते हैं उसका वध कैसे करें. इसी वजह से रामलीला कमेटी अपनी तरफ से रावण वध और दहन नहीं करवाती है.
अलोपीबाग मैदान में होता है रावण दहन
कमेटी के लोगों का कहना है कि उनकी रामलीला कमेटी रावण का दहन नहीं करती है. कमेटी के लोगों का कहना है कि शहर के अलोपीबाग मैदान में ऐसी लीला होती है, जहां पर एक रावण का वध और दहन करते समय दो राम मौजूद रहते हैं, जिसमें से दारागंज रामलीला कमेटी के राम-रावण का वध करते हैं और कटरा रामलीला कमेटी के राम वहां मौजूद रहते हैं.
रावण की शोभा यात्रा निकालकर शुरू होती है रामलीला
दशहरे की शुरुआत में प्रयागराज के कटरा रामलीला कमेटी रावण की शोभा यात्रा निकालकर करती है. भारद्वाज ऋषि के आश्रम में रावण की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. इसके बाद भव्य तरीके से बैंड-बाजे के साथ रावण शोभा यात्रा निकाली जाती है. इस रावण शोभा यात्रा के साथ ही कटरा रामलीला की शुरुआत होती है. रावण की यात्रा देखने के लिए सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ता है. महान विद्वान राजा रावण की शोभा यात्रा देखने के लिए दूर-दूर से लोग भी आते हैं. रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों का कहना है कि भारद्वाज आश्रम राजा रावण का ननिहाल कहा जाता है. इसके साथ ही वे तीनों लोकों के महान विद्वान थे, जिस वजह से उनके यहां रावण की पूजा और शोभायात्रा के साथ रामलीला की शुरुआत की जाती है.
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