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मैनपुरी के विजय कुमार को न्याय के लिए करना पड़ा 35 साल का इंतजार, हाईकोर्ट ने किया बरी - 35 साल बाद मिला विजय कुमार को इंसाफ

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महिला की लाश जलाने के आरोपी विजय कुमार को बरी कर दिया है. करीब 35 साल बाद विजय कुमार को कोर्ट से इंसाफ मिला है.

विजय कुमार को न्याय के लिए करना पड़ा 35 साल का इंतजार, हाईकोर्ट ने किया बरी
विजय कुमार को न्याय के लिए करना पड़ा 35 साल का इंतजार, हाईकोर्ट ने किया बरी
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Published : Jan 22, 2021, 7:50 PM IST

प्रयागराजः मैनपुरी के रहने वाले विजय कुमार को करीब 35 साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट से इंसाफ मिला है. दरअसल महिला की लाश जलाने में विजय समेत 4 और लोग आरोपी थे. जिसमें चार की मौत हो चुकी है. उनमें से एक बचे विजय कुमार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है. वे पहले से ही जमानत पर थे, इसलिए दूसरा आदेश न देते हुए उसकी सजा को कोर्ट ने रद्द कर दिया.

ये था मामला

दरअसल जहर खाकर खुदकुशी करने वाली महिला के शव को जलाने के मामले में विजय कुमार सहित 4 और लोगों को आरोपी बनाया गया था. जिसमें चार की पहले ही मौत हो चुकी है. करीब 35 साल बाद विजय कुमार को भी इलाहाबाद हाईकोर्ट से इंसाफ मिल गया है. उन्हें कोर्ट ने बरी कर दिया है. ये आदेश न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने सोबरन और अन्य की आपराधिक अपील को स्वाकार करते हुये दिया है. अपील पर न्यायमित्र राधेश्याम यादव ने बहस की. कोर्ट ने कहा कि ये साक्ष्य नहीं है कि मृतक को जलाते समय आरोपी को उसके जहर खाकर मरने की जानकारी थी, और पति को बचाने के लिए वो भी शव को जलाने में शामिल था. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन आरोपों को संदेह से परे साबित करने में नाकाम रहा.

प्रयागराजः मैनपुरी के रहने वाले विजय कुमार को करीब 35 साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट से इंसाफ मिला है. दरअसल महिला की लाश जलाने में विजय समेत 4 और लोग आरोपी थे. जिसमें चार की मौत हो चुकी है. उनमें से एक बचे विजय कुमार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है. वे पहले से ही जमानत पर थे, इसलिए दूसरा आदेश न देते हुए उसकी सजा को कोर्ट ने रद्द कर दिया.

ये था मामला

दरअसल जहर खाकर खुदकुशी करने वाली महिला के शव को जलाने के मामले में विजय कुमार सहित 4 और लोगों को आरोपी बनाया गया था. जिसमें चार की पहले ही मौत हो चुकी है. करीब 35 साल बाद विजय कुमार को भी इलाहाबाद हाईकोर्ट से इंसाफ मिल गया है. उन्हें कोर्ट ने बरी कर दिया है. ये आदेश न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने सोबरन और अन्य की आपराधिक अपील को स्वाकार करते हुये दिया है. अपील पर न्यायमित्र राधेश्याम यादव ने बहस की. कोर्ट ने कहा कि ये साक्ष्य नहीं है कि मृतक को जलाते समय आरोपी को उसके जहर खाकर मरने की जानकारी थी, और पति को बचाने के लिए वो भी शव को जलाने में शामिल था. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन आरोपों को संदेह से परे साबित करने में नाकाम रहा.

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