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UP Board : टूटा रिकॉर्ड, इस बार प्रदेश में कहीं पर भी नहीं करानी पड़ी दाेबारा परीक्षा - उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटर की परीक्षाएं 4 मार्च काे खत्म हाे गईं. बेहतर इंतजामाें के कारण इस बार काेई भी परीक्षा दाेबारा कराने की जरूरत नहीं पड़ी.

बोर्ड परीक्षा के लिए प्रदेश भर में 8 हजार 753 परीक्षा केन्द्र बनाए गए थे.
बोर्ड परीक्षा के लिए प्रदेश भर में 8 हजार 753 परीक्षा केन्द्र बनाए गए थे.
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Published : Mar 5, 2023, 12:12 PM IST

बोर्ड परीक्षा के लिए प्रदेश भर में 8 हजार 753 परीक्षा केन्द्र बनाए गए थे.

प्रयागराज : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा शनिवार को संपन्न हो गई. 16 फरवरी से परीक्षाएं शुरू हुईं थीं. 4 मार्च काे इनका समापन हाे गया. 12 दिनों में हाईस्कूल और 14 दिनों में इंटर की परीक्षा करा दी गईंं. इस बार की परीक्षा में खास ये रहा कि हर साल किसी न किसी वजह से किसी पुनर्परीक्षा करवानी ही पड़ती थी. 30 सालाें में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी भी पेपर की पुनर्परीक्षा करवाने की जरूरत नहीं पड़ी. इसका श्रेय यूपी बोर्ड के सचिव शासन और सरकार की नीतियों को देते हैं.

बता दें कि यूपी बोर्ड की दसवीं-बारहवीं की परीक्षा में कुल 58 लाख 85 हजार 745 परीक्षार्थी पंजीकृत थे. जिसमें दसवीं में 31 लाख 16 हजार 487 और बारहवीं में 27 लाख 69 हजार 358 परीक्षार्थी रजिस्टर्ड थे. जिसमें से 4 लाख 31 हजार 571 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल नहीं हुए थे. 2023 की बोर्ड परीक्षा के लिए प्रदेश भर में 8 हजार 753 परीक्षा केन्द्र बनाए गए थे.

परीक्षा में 30 सालों का टूटा रिकॉर्ड : यूपी बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ला के मुताबिक बीते 30 सालों के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब बोर्ड की परीक्षा के दौरान एक भी परीक्षा दाेबारा नहीं करवानी पड़ी. इसका सबसे मुख्य कारण यह है कि इस बार की परीक्षा में किसी भी विषय का कोई पेपर आउट नहीं हुआ. न ही किसी परीक्षा केन्द्र पर किसी भी प्रश्नपत्र का गलत पेपर खोला गया. सचिव ने बताया कि एक भी सेंटर से सामूहिक नकल नहीं हो सकी. 30 साल बाद यूपी बोर्ड की परीक्षाएं तय तिथियों के अंदर ही संपन्न हाे सकी. साल 1997 के बाद हर वर्ष किसी न किसी वजह से परीक्षा प्रदेश में किसी सेंटर पर दूसरी बार करवानी ही पड़ती थी. इस बार यूपी बोर्ड की परीक्षा की फूलप्रूफ प्लानिंग का नतीजा है कि ऐसा नहीं करना पड़ा.

परीक्षा को सकुशल करवाने के लिए ये थी व्यवस्था : परीक्षा केन्दों की विशेष निगरानी के लिए प्रदेश भर में 936 संवेदनशील परीक्षा केन्द्र और 242 अतिसंवेदनशील परीक्षा केन्द्र चिन्हित किए गए थे. इसके साथ ही नकल विहीन परीक्षा करवाने के लिए एसटीएफ की रिपोर्ट के आधार पर 87 स्कूलों को परीक्षा केन्द्र नहीं बनाया गया था. प्रदेश के सभी 8753 परीक्षा केन्द्रों पर 8753 स्टैटिक मजिस्ट्रेट के साथ ही केन्द्र व्यवस्थापक और वाह्य केन्द्र व्यवस्थापक तैनात किए गए थे. इसके अलावा प्रदेश भर में परीक्षा केन्द्रों के निरीक्षण एवं पर्यवेक्षण के लिए सभी जनपदों में 1390 सेक्टर मजिस्ट्रेट और 455 जोनल मजिस्ट्रेट के साथ ही 521 सचल दस्ता के साथ ही 75 राज्य स्तरीय पर्यवेक्षक अधिकारी तैनात किए गए थे .इन सबके अलावा पूरे प्रदेश में 8 हजार 753 परीक्षा केंद्रों पर नकल विहीन परीक्षा करवाने के लिए वॉइस रिकॉर्डर वाले सीसीटीवी कैमरे लगाकर उनसे निगरानी की जा रही थी.

जनपद स्तर पर भी कंट्रोल रूम बनाया गया : बोर्ड की परीक्षा में बोर्ड के मुख्यालय के साथ ही प्रदेश भर के हर जिले में कंट्रोल रूम बनाया गया था.इसके साथ ही क्षेत्रीय कार्यालय में भी कंट्रोल रूम की स्थापना की गयी थी. यही नहीं इसके अलावा लखनऊ में बोर्ड के कैंप ऑफिस में हाईटेक तकनीक से बनाए गए कन्ट्रोल रूम से परीक्षा केंद्रों की मॉनीटरिंग की जा रही थी. परीक्षा के दौरान नकल रोकने के लिए भी पूरी व्यवस्था की गई थी. दूसरे के स्थान पर परीक्षा देने वाले 133 मुन्ना भाइयों को पकड़ा गया. उनके खिलाफ केस दर्ज करवाकर कानूनी कार्रवाई की गई. साथ ही अनुचित साधनों का प्रयोग करते हुए 81 परीक्षार्थी पकड़े गए थे. इसके साथ ही हर साल पेपर लीक या पेपर खोलने के दौरान होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए परीक्षा केंद्रों के स्ट्रॉग रूम की जांच रात में भी की जा रही थी. इसके तहत प्रदेश भर के 8 हजार 753 परीक्षा केंद्रों पर बोर्ड के अफसरों की 632 टीम ने 28 हजार 716 बार निरीक्षण किया. इतना ही नहीं बोर्ड की तरफ से पहली बार परीक्षा के पेपर की सुरक्षा के लिए 4 लेयर वाली सुरक्षा व्यवस्था की गई थी.

2023 की बोर्ड परीक्षा में पहली बार प्रश्नपत्र की पैकिंग चार लेयर में टैम्पर्ड प्रूफ लिफाफों में करवाई गई थी. जिसका लाभ यह हुआ कि इसी इससे परीक्षा केन्द्रों पर गलत प्रश्नपत्र नहीं खोले गए. जिस वजह से पिछले सालों की तरह गलत प्रश्नपत्र खुलने की वजह से पुनः परीक्षा नहीं करवानी पड़ी. प्रश्नपत्र रखने के लिए स्ट्रांग रूम में कई नई तकनीकों का इस्तेमाल किया गया था. इससे पेपर लीक जैसी घटना भी नहीं हाे पाई.

यह भी पढ़ें : रेलवे झांसी मंडल के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर पर एक करोड़ हर्जाना

बोर्ड परीक्षा के लिए प्रदेश भर में 8 हजार 753 परीक्षा केन्द्र बनाए गए थे.

प्रयागराज : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा शनिवार को संपन्न हो गई. 16 फरवरी से परीक्षाएं शुरू हुईं थीं. 4 मार्च काे इनका समापन हाे गया. 12 दिनों में हाईस्कूल और 14 दिनों में इंटर की परीक्षा करा दी गईंं. इस बार की परीक्षा में खास ये रहा कि हर साल किसी न किसी वजह से किसी पुनर्परीक्षा करवानी ही पड़ती थी. 30 सालाें में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी भी पेपर की पुनर्परीक्षा करवाने की जरूरत नहीं पड़ी. इसका श्रेय यूपी बोर्ड के सचिव शासन और सरकार की नीतियों को देते हैं.

बता दें कि यूपी बोर्ड की दसवीं-बारहवीं की परीक्षा में कुल 58 लाख 85 हजार 745 परीक्षार्थी पंजीकृत थे. जिसमें दसवीं में 31 लाख 16 हजार 487 और बारहवीं में 27 लाख 69 हजार 358 परीक्षार्थी रजिस्टर्ड थे. जिसमें से 4 लाख 31 हजार 571 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल नहीं हुए थे. 2023 की बोर्ड परीक्षा के लिए प्रदेश भर में 8 हजार 753 परीक्षा केन्द्र बनाए गए थे.

परीक्षा में 30 सालों का टूटा रिकॉर्ड : यूपी बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ला के मुताबिक बीते 30 सालों के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब बोर्ड की परीक्षा के दौरान एक भी परीक्षा दाेबारा नहीं करवानी पड़ी. इसका सबसे मुख्य कारण यह है कि इस बार की परीक्षा में किसी भी विषय का कोई पेपर आउट नहीं हुआ. न ही किसी परीक्षा केन्द्र पर किसी भी प्रश्नपत्र का गलत पेपर खोला गया. सचिव ने बताया कि एक भी सेंटर से सामूहिक नकल नहीं हो सकी. 30 साल बाद यूपी बोर्ड की परीक्षाएं तय तिथियों के अंदर ही संपन्न हाे सकी. साल 1997 के बाद हर वर्ष किसी न किसी वजह से परीक्षा प्रदेश में किसी सेंटर पर दूसरी बार करवानी ही पड़ती थी. इस बार यूपी बोर्ड की परीक्षा की फूलप्रूफ प्लानिंग का नतीजा है कि ऐसा नहीं करना पड़ा.

परीक्षा को सकुशल करवाने के लिए ये थी व्यवस्था : परीक्षा केन्दों की विशेष निगरानी के लिए प्रदेश भर में 936 संवेदनशील परीक्षा केन्द्र और 242 अतिसंवेदनशील परीक्षा केन्द्र चिन्हित किए गए थे. इसके साथ ही नकल विहीन परीक्षा करवाने के लिए एसटीएफ की रिपोर्ट के आधार पर 87 स्कूलों को परीक्षा केन्द्र नहीं बनाया गया था. प्रदेश के सभी 8753 परीक्षा केन्द्रों पर 8753 स्टैटिक मजिस्ट्रेट के साथ ही केन्द्र व्यवस्थापक और वाह्य केन्द्र व्यवस्थापक तैनात किए गए थे. इसके अलावा प्रदेश भर में परीक्षा केन्द्रों के निरीक्षण एवं पर्यवेक्षण के लिए सभी जनपदों में 1390 सेक्टर मजिस्ट्रेट और 455 जोनल मजिस्ट्रेट के साथ ही 521 सचल दस्ता के साथ ही 75 राज्य स्तरीय पर्यवेक्षक अधिकारी तैनात किए गए थे .इन सबके अलावा पूरे प्रदेश में 8 हजार 753 परीक्षा केंद्रों पर नकल विहीन परीक्षा करवाने के लिए वॉइस रिकॉर्डर वाले सीसीटीवी कैमरे लगाकर उनसे निगरानी की जा रही थी.

जनपद स्तर पर भी कंट्रोल रूम बनाया गया : बोर्ड की परीक्षा में बोर्ड के मुख्यालय के साथ ही प्रदेश भर के हर जिले में कंट्रोल रूम बनाया गया था.इसके साथ ही क्षेत्रीय कार्यालय में भी कंट्रोल रूम की स्थापना की गयी थी. यही नहीं इसके अलावा लखनऊ में बोर्ड के कैंप ऑफिस में हाईटेक तकनीक से बनाए गए कन्ट्रोल रूम से परीक्षा केंद्रों की मॉनीटरिंग की जा रही थी. परीक्षा के दौरान नकल रोकने के लिए भी पूरी व्यवस्था की गई थी. दूसरे के स्थान पर परीक्षा देने वाले 133 मुन्ना भाइयों को पकड़ा गया. उनके खिलाफ केस दर्ज करवाकर कानूनी कार्रवाई की गई. साथ ही अनुचित साधनों का प्रयोग करते हुए 81 परीक्षार्थी पकड़े गए थे. इसके साथ ही हर साल पेपर लीक या पेपर खोलने के दौरान होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए परीक्षा केंद्रों के स्ट्रॉग रूम की जांच रात में भी की जा रही थी. इसके तहत प्रदेश भर के 8 हजार 753 परीक्षा केंद्रों पर बोर्ड के अफसरों की 632 टीम ने 28 हजार 716 बार निरीक्षण किया. इतना ही नहीं बोर्ड की तरफ से पहली बार परीक्षा के पेपर की सुरक्षा के लिए 4 लेयर वाली सुरक्षा व्यवस्था की गई थी.

2023 की बोर्ड परीक्षा में पहली बार प्रश्नपत्र की पैकिंग चार लेयर में टैम्पर्ड प्रूफ लिफाफों में करवाई गई थी. जिसका लाभ यह हुआ कि इसी इससे परीक्षा केन्द्रों पर गलत प्रश्नपत्र नहीं खोले गए. जिस वजह से पिछले सालों की तरह गलत प्रश्नपत्र खुलने की वजह से पुनः परीक्षा नहीं करवानी पड़ी. प्रश्नपत्र रखने के लिए स्ट्रांग रूम में कई नई तकनीकों का इस्तेमाल किया गया था. इससे पेपर लीक जैसी घटना भी नहीं हाे पाई.

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