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प्रयागराज दक्षिणी विधानसभा सीट: भाजपा का रहा है दबदबा, आसान नहीं सेंध लगाना

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Published : Oct 14, 2021, 2:23 PM IST

प्रयागराज शहर दक्षिणी विधानसभा सीट(Prayagraj South Assembly Seat) भाजपा का गढ़ रही है. भाजपा के दिग्गज नेता केशरी नाथ त्रिपाठी ने यहां से तीन बार जीत दर्ज की है. मौजूदा समय में बीजेपी से नंद गोपाल गुप्ता नंदी(Nand Gopal Gupta Nandi) यहां से विधायक हैं. आइये डालते हैं एक नजर...

जानकारी देते राजनीतिक जानकार
जानकारी देते राजनीतिक जानकार

प्रयागराज: यूपी आगामी विधानसभा चुनाव(Up Assembly Election) 2022 को लेकर सियासी बिसात बिछने लगी है. चुनावी चक्रव्यूह तोड़ने के लिए नायकों के चयन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. कहीं ताबड़तोड़ रैलियों तो कहीं चुनावी जनसभाओं के माध्यम से चुनावी बयार को भांपने और रणनीति तय की कोशिश की जाने लगी है.

जानकारी देते राजनीतिक जानकार अभय अवस्थी.

जिले में कुल 12 विधानसभा हैं जिसमे शहर दक्षिणी, शहर उत्तरी, शहर पश्चिम, फाफामऊ, सोरांव, फूलपुर, प्रतापपुर, हंडिया, बारा, करछना, कोरांव और मेजा शामिल है. शहर दक्षिणी विधानसभा संख्या 263 भाजपा का गढ़ रहा है. भाजपा के दिग्गज नेता केशरीनाथ त्रिपाठी यहां से तीन बार विधायक रहे हैं. कई वर्ष पहले यहां 14 विधानसभा होती थी जब चायल कौशाम्बी में नहीं गया था. शहर दक्षिणी राजनीतिक सेंटर हुआ करता था.

चुनावी इतिहास
प्रयागराज शहर दक्षिणी विधानसभा सीट(Prayagraj South Assembly Seat) दिग्गजों का सियासी गढ़ रहा है. राजनीतिक जानकारों की माने तो यहां पर 1952 में पहली बार कम्युनिस्ट पार्टी से जेड ए अहमद ने चुनाव जीता था जो पहला चुनाव था. फिर 1957 के चुनाव में छुन्नन गुरु ने चुनाव जीता और लगातार तीन बार जीत हासिल की थी. छुन्नन गुरु के बाद मुस्लिम लीग ने कदम रखा जिसमे जयपाल कश्यप प्रत्याशी के रूप में आए चुनाव हिंदू-मुस्लिम हो गया. फिर जनसंघ से राम गोपाल चुनाव जीत गए.

1977 में जनता पार्टी की लहर चली तो सत्य प्रकाश मालवीय चुनाव जीते. सत्य प्रकाश मालवीय मेयर भी रह चुके थे. 1982 में कांग्रेस का समय आया और सत्य प्रकाश मालवीय को हराकर सोशलिस्ट शालिग्राम जयसवाल के बेटे सतीश जायसवाल दो बार शहर दक्षिणी से विधायक रहे. इसके बाद बीजेपी ने यहां अपना कब्जा जमाया और केशरीनाथ त्रिपाठी ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की और भाजपा का परचम लहराया, लेकिन भाजपा के विजय पथ को 2007 में बसपा प्रत्याशी नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने रोक दिया. 2007 के चुनाव में नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने केशरीनाथ को करारी शिकस्त दी.

नंदी ने भाजपा के दिग्गज नेता केशरीनाथ त्रिपाठी को 13 हजार वोट से करारी शिकस्त दी थी. जीत से गदगद बसपा ने उन्हें सिर आंखों पर बैठाया और कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया. 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के हाजी परवेज 'टंकी' ने नंदी को हरा दिया. 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा में शामिल नंदी ने अपने प्रतिद्वंदी परवेज अहमद 'टंकी' को भारी शिकस्त देते हुए जबरदस्त वापसी की.

आगामी चुनाव में एक तरफ जहां भाजपा अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखने का प्रयास करेगी तो वहीं सपा सत्ता वापसी के लिए सेंध लगाने का प्रयास करेगी. कांग्रेस व बसपा ने भी यहां उम्मीद लगाई है. वर्तमान में भाजपा विधायक और कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी इस महत्वपूर्ण सीट पर अपनी दावेदारी का ताल ठोक रहे हैं. हालांकि इस बार जनता किसपर भरोसा दिखाएगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा और यह देखना बेहद दिलचस्प होगा.

राजनीति के दिग्गजों की रही है पैठ
2012 विधानसभा चुनाव में आंकड़ों के अनुसार विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 324481 थी. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 180574 जबकि महिला मतदाताओं की सं 143892 रही. हालांकि यह सीट मुस्लिम मतदाताओं के लिहाज से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है. शहर दक्षिणी ऐसी सीट है जहां कांग्रेस के जमाने में जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी यहां प्रचार करने आया करते थे. यह सीट सोशलिस्ट का गढ़ रही है.

जातिगत समीकरण की बात करें तो दक्षिणी विधानसभा में मुस्लिम मतदाता लगभग 80 हजार, बनिया लगभग 75 हजार, ब्राह्मण की बात करें तो इनकी स्थिति भी 75 हजार के लगभग हैं. मल्लाह 40 हजार , कायस्थ 35 हजार, खत्री 25 हजार, यादव 20 हजार दलितों की संख्या 12 हजार हैं. इस विधानसभा की खास बात यह है कि यहां क्षत्रियों की संख्या कम है वहीं अन्य 20 हैं.

2017 के चुनाव परिणाम

पार्टी प्रत्याशीमतदान
बीजेपीनंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' 93,011
सपापरवेज अहमद 'टंकी'64,424
बसपामाशूक खान12,162


2012 के परिणाम

पार्टीप्रत्याशीमतदान
सपाहाजी परवेज अहमद 'टंकी'43,040
बसपानंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' 42,626
बीजेपीकेशरीनाथ त्रिपाठी37,705

व्यवसाय की दृष्टि से महत्वपूर्ण
इस सीट की सबसे महत्वपूर्ण बात पहले यह थी कि व्यवसाय में दूसरी विधानसभा में से आगे रहा करता था, लेकिन इस विधानसभा में औद्योगिक फैक्ट्रियां बंद हो जाने से लोगों के रोजगार और व्यवसाय में फर्क पड़ा है. भारतीय जनता पार्टी आने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि इन बंद पड़ी फैक्ट्रियों को फिर से शुरू किया जाएगा लेकिन मामला वैसे ही है.

मत्वपूर्ण बातें
दक्षिणी विधानसभा की सबसे बड़ी बात यह है कि यहां विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला कुंभ का आयोजन हर 5 वर्षों में होता है. इस इलाके में दो-दो डीम्ड यूनिवर्सिटी भी स्थापित है. जिसमे एग्रीकल्चर और ईसीसी का नाम आता है. वहीं अंग्रेजों द्वारा बनाया गया 1865 में नैनी का रेलवे पुल भी इसकी एक बहुत बड़ी पहचान है.

विधायक नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' का परिचय

नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' का जन्म 23 अप्रैल 1974 में प्रयागराज में हुआ था. आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण शिक्षा दीक्षा ठीक से नहीं हो सकी, लेकिन अपने मेहनत के बल पर उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की है. नंदी का जीवन चुनौतीपूर्ण रहा है. समोसा-चाट बेचने से अपनी जिंदगी की शुरुआत कर नंदी ने आर्थिक रूप से सुदृढ़ होने पर 'नंदी ग्रुप ऑफ कंपनीज' बना ली.

व्यापारी से उन्होंने राजनीति में एंट्री की और 2007 के चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता केशरी नाथ त्रिपाठी को हराने के बाद नंदी अब कारोबारी से जनता का जाना माना चेहरा बन चुके थे. वहीं जीत से गदगद बसपा ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया. नंद गोपाल गुप्ता नंदी की पत्नी लगातार दो बार से शहर की मेयर भी है.

प्रयागराज: यूपी आगामी विधानसभा चुनाव(Up Assembly Election) 2022 को लेकर सियासी बिसात बिछने लगी है. चुनावी चक्रव्यूह तोड़ने के लिए नायकों के चयन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. कहीं ताबड़तोड़ रैलियों तो कहीं चुनावी जनसभाओं के माध्यम से चुनावी बयार को भांपने और रणनीति तय की कोशिश की जाने लगी है.

जानकारी देते राजनीतिक जानकार अभय अवस्थी.

जिले में कुल 12 विधानसभा हैं जिसमे शहर दक्षिणी, शहर उत्तरी, शहर पश्चिम, फाफामऊ, सोरांव, फूलपुर, प्रतापपुर, हंडिया, बारा, करछना, कोरांव और मेजा शामिल है. शहर दक्षिणी विधानसभा संख्या 263 भाजपा का गढ़ रहा है. भाजपा के दिग्गज नेता केशरीनाथ त्रिपाठी यहां से तीन बार विधायक रहे हैं. कई वर्ष पहले यहां 14 विधानसभा होती थी जब चायल कौशाम्बी में नहीं गया था. शहर दक्षिणी राजनीतिक सेंटर हुआ करता था.

चुनावी इतिहास
प्रयागराज शहर दक्षिणी विधानसभा सीट(Prayagraj South Assembly Seat) दिग्गजों का सियासी गढ़ रहा है. राजनीतिक जानकारों की माने तो यहां पर 1952 में पहली बार कम्युनिस्ट पार्टी से जेड ए अहमद ने चुनाव जीता था जो पहला चुनाव था. फिर 1957 के चुनाव में छुन्नन गुरु ने चुनाव जीता और लगातार तीन बार जीत हासिल की थी. छुन्नन गुरु के बाद मुस्लिम लीग ने कदम रखा जिसमे जयपाल कश्यप प्रत्याशी के रूप में आए चुनाव हिंदू-मुस्लिम हो गया. फिर जनसंघ से राम गोपाल चुनाव जीत गए.

1977 में जनता पार्टी की लहर चली तो सत्य प्रकाश मालवीय चुनाव जीते. सत्य प्रकाश मालवीय मेयर भी रह चुके थे. 1982 में कांग्रेस का समय आया और सत्य प्रकाश मालवीय को हराकर सोशलिस्ट शालिग्राम जयसवाल के बेटे सतीश जायसवाल दो बार शहर दक्षिणी से विधायक रहे. इसके बाद बीजेपी ने यहां अपना कब्जा जमाया और केशरीनाथ त्रिपाठी ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की और भाजपा का परचम लहराया, लेकिन भाजपा के विजय पथ को 2007 में बसपा प्रत्याशी नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने रोक दिया. 2007 के चुनाव में नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने केशरीनाथ को करारी शिकस्त दी.

नंदी ने भाजपा के दिग्गज नेता केशरीनाथ त्रिपाठी को 13 हजार वोट से करारी शिकस्त दी थी. जीत से गदगद बसपा ने उन्हें सिर आंखों पर बैठाया और कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया. 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के हाजी परवेज 'टंकी' ने नंदी को हरा दिया. 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा में शामिल नंदी ने अपने प्रतिद्वंदी परवेज अहमद 'टंकी' को भारी शिकस्त देते हुए जबरदस्त वापसी की.

आगामी चुनाव में एक तरफ जहां भाजपा अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखने का प्रयास करेगी तो वहीं सपा सत्ता वापसी के लिए सेंध लगाने का प्रयास करेगी. कांग्रेस व बसपा ने भी यहां उम्मीद लगाई है. वर्तमान में भाजपा विधायक और कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी इस महत्वपूर्ण सीट पर अपनी दावेदारी का ताल ठोक रहे हैं. हालांकि इस बार जनता किसपर भरोसा दिखाएगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा और यह देखना बेहद दिलचस्प होगा.

राजनीति के दिग्गजों की रही है पैठ
2012 विधानसभा चुनाव में आंकड़ों के अनुसार विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 324481 थी. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 180574 जबकि महिला मतदाताओं की सं 143892 रही. हालांकि यह सीट मुस्लिम मतदाताओं के लिहाज से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है. शहर दक्षिणी ऐसी सीट है जहां कांग्रेस के जमाने में जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी यहां प्रचार करने आया करते थे. यह सीट सोशलिस्ट का गढ़ रही है.

जातिगत समीकरण की बात करें तो दक्षिणी विधानसभा में मुस्लिम मतदाता लगभग 80 हजार, बनिया लगभग 75 हजार, ब्राह्मण की बात करें तो इनकी स्थिति भी 75 हजार के लगभग हैं. मल्लाह 40 हजार , कायस्थ 35 हजार, खत्री 25 हजार, यादव 20 हजार दलितों की संख्या 12 हजार हैं. इस विधानसभा की खास बात यह है कि यहां क्षत्रियों की संख्या कम है वहीं अन्य 20 हैं.

2017 के चुनाव परिणाम

पार्टी प्रत्याशीमतदान
बीजेपीनंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' 93,011
सपापरवेज अहमद 'टंकी'64,424
बसपामाशूक खान12,162


2012 के परिणाम

पार्टीप्रत्याशीमतदान
सपाहाजी परवेज अहमद 'टंकी'43,040
बसपानंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' 42,626
बीजेपीकेशरीनाथ त्रिपाठी37,705

व्यवसाय की दृष्टि से महत्वपूर्ण
इस सीट की सबसे महत्वपूर्ण बात पहले यह थी कि व्यवसाय में दूसरी विधानसभा में से आगे रहा करता था, लेकिन इस विधानसभा में औद्योगिक फैक्ट्रियां बंद हो जाने से लोगों के रोजगार और व्यवसाय में फर्क पड़ा है. भारतीय जनता पार्टी आने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि इन बंद पड़ी फैक्ट्रियों को फिर से शुरू किया जाएगा लेकिन मामला वैसे ही है.

मत्वपूर्ण बातें
दक्षिणी विधानसभा की सबसे बड़ी बात यह है कि यहां विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला कुंभ का आयोजन हर 5 वर्षों में होता है. इस इलाके में दो-दो डीम्ड यूनिवर्सिटी भी स्थापित है. जिसमे एग्रीकल्चर और ईसीसी का नाम आता है. वहीं अंग्रेजों द्वारा बनाया गया 1865 में नैनी का रेलवे पुल भी इसकी एक बहुत बड़ी पहचान है.

विधायक नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' का परिचय

नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' का जन्म 23 अप्रैल 1974 में प्रयागराज में हुआ था. आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण शिक्षा दीक्षा ठीक से नहीं हो सकी, लेकिन अपने मेहनत के बल पर उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की है. नंदी का जीवन चुनौतीपूर्ण रहा है. समोसा-चाट बेचने से अपनी जिंदगी की शुरुआत कर नंदी ने आर्थिक रूप से सुदृढ़ होने पर 'नंदी ग्रुप ऑफ कंपनीज' बना ली.

व्यापारी से उन्होंने राजनीति में एंट्री की और 2007 के चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता केशरी नाथ त्रिपाठी को हराने के बाद नंदी अब कारोबारी से जनता का जाना माना चेहरा बन चुके थे. वहीं जीत से गदगद बसपा ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया. नंद गोपाल गुप्ता नंदी की पत्नी लगातार दो बार से शहर की मेयर भी है.

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