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देवी दुर्गा के इस मंदिर में नहीं है मूर्ति, जानिए किसकी होती है पूजा - लेटेस्ट प्रयागराज न्यूज

प्रयागराज में संगम के नजदीक स्थित अलोप शंकरी पीठ में माता के मंदिर में कोई भी मूर्ति नहीं है. दर्शन के लिए आने वाले भक्त कुंड में लगे पालने के दर्शन कर पूजा करते हैं.

मूर्ति नहीं बल्कि पालने की पूजा करते हैं श्रद्धालु
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Published : Mar 24, 2019, 11:17 AM IST

प्रयागराज : देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में भी देवी दुर्गा के कई भव्य मंदिर हैं. इन मंदिरों में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां देवी मां की कोई मूर्ति ही नहीं है. इसे अलोप शंकरी पीठ के नाम से जाना जाता है. प्रयागराज में संगम के नजदीक स्थित अलोप शंकरी पीठ में श्रद्धालु मूर्ति नहीं बल्कि पालने की पूजा करते हैं.

स्कन्द पुराण के अनुसार मान्यता है कि प्रयागराज के इस स्थान पर शिवप्रिया सती के दाहिने हाथ की उंगली जलकुंड में गिरकर अदृश्य हो गई थी. उंगली के अदृश्य होने से वहां उनकी कोई मूर्ति नहीं है. दर्शन के लिए आने वाले भक्त कुंड में लगे पालने के दर्शन कर पूजा करते हैं.

मूर्ति नहीं बल्कि पालने की पूजा करते हैं श्रद्धालु

मंदिर के महंत यमुना ने बताया कि मां अलोप शंकरी मंदिर में शक्ति मां के दर्शन और आशीर्वाद पाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. उन्होने बताया कि नवरात्रि के दिनों में मां के दर्शन करने से मुंह मांगी मुराद पूरी होती है. मंदिर के आंगन में दूर-दूर से लोग शादी करने के लिए आते हैं. मां सती के दरबार में शादी करने से जीवन खुशहाल रहता है.

पुराणों के अनुसार, दुर्गा मां की कुल 51 शक्तिपीठें हैं. इनमें से प्रयागराज की एकमात्र अलोप शंकरी पीठ ऐसी है, जहां देवी मां की मूर्ति नहीं है. तो अगर आप भी देवी मां में विश्वास रखते हैं, तो संगम नगरी की पावन स्थली जाकर देवी मां के अनूठे पालने के दर्शन प्राप्त करें.

प्रयागराज : देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में भी देवी दुर्गा के कई भव्य मंदिर हैं. इन मंदिरों में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां देवी मां की कोई मूर्ति ही नहीं है. इसे अलोप शंकरी पीठ के नाम से जाना जाता है. प्रयागराज में संगम के नजदीक स्थित अलोप शंकरी पीठ में श्रद्धालु मूर्ति नहीं बल्कि पालने की पूजा करते हैं.

स्कन्द पुराण के अनुसार मान्यता है कि प्रयागराज के इस स्थान पर शिवप्रिया सती के दाहिने हाथ की उंगली जलकुंड में गिरकर अदृश्य हो गई थी. उंगली के अदृश्य होने से वहां उनकी कोई मूर्ति नहीं है. दर्शन के लिए आने वाले भक्त कुंड में लगे पालने के दर्शन कर पूजा करते हैं.

मूर्ति नहीं बल्कि पालने की पूजा करते हैं श्रद्धालु

मंदिर के महंत यमुना ने बताया कि मां अलोप शंकरी मंदिर में शक्ति मां के दर्शन और आशीर्वाद पाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. उन्होने बताया कि नवरात्रि के दिनों में मां के दर्शन करने से मुंह मांगी मुराद पूरी होती है. मंदिर के आंगन में दूर-दूर से लोग शादी करने के लिए आते हैं. मां सती के दरबार में शादी करने से जीवन खुशहाल रहता है.

पुराणों के अनुसार, दुर्गा मां की कुल 51 शक्तिपीठें हैं. इनमें से प्रयागराज की एकमात्र अलोप शंकरी पीठ ऐसी है, जहां देवी मां की मूर्ति नहीं है. तो अगर आप भी देवी मां में विश्वास रखते हैं, तो संगम नगरी की पावन स्थली जाकर देवी मां के अनूठे पालने के दर्शन प्राप्त करें.

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