प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिंचाई विभाग में 3210 नलकूप ऑपरेटर की भर्ती में खाली बचे पदों को प्रतीक्षा सूची से न भरने के कारणों के बारे में 19 अगस्त तक विस्तृत जानकारी मांगी है. साथ ही कोर्ट ने इस मामले में सही तथ्य पेश न कर अदालत को गुमराह करने वाले अधिकारियों के खिलाफ नाराजगी भी जताई है. कोर्ट ने कहा कि जब सरकार ने भर्ती निकाली है तो सारे पद भरे क्यों नहीं जाते हैं. प्रतीक्षा सूची में शामिल अभ्यर्थियों से बचें पदों को भरने के बजाय उन्हें हाईकोर्ट आने को विवश करते हैं. जबकि सरकार और आयोग को खुद पद भरने चाहिए.
इसके पहले मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा कि आयोग ने प्रतीक्षा सूची नहीं दी. आयोग ने प्रतीक्षा सूची जारी कर शांत बैठ गया और कोर्ट में विषय से अलग फैसला देकर भ्रमित किया. सरकार ने कहा कि आयोग ने जो सूची दी, उसके आधार पर भर्ती पूरी कर ली गई. बाकी बचे पदों के लिए आयोग ने प्रतीक्षा सूची सरकार को नहीं दी.
इसपर कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि सरकार ने भर्ती निकाली है, यदि पद खाली हैं तो आयोग से प्रतीक्षा सूची मांगने के बजाय बता दिया भर्ती पूरी कर ली गई है. आखिर प्रतीक्षा सूची से खाली बचे पदों पर नियुक्ति क्यों नहीं की गई. ऐसे मामले हाईकोर्ट नहीं आने चाहिए. इसके बाद सरकारी वकील ने अधिकारियों की गलती मानी और पूरी जानकारी देने के लिए सुनवाई स्थगित करने की मांग की. जिसपर कोर्ट ने 19 अगस्त को अदालत के सामने सही तथ्य पेश करने का निर्देश दिया.
यह आदेश न्यायमूर्ति एम.सी. त्रिपाठी ने विजय कुमार व 26 अन्य की याचिका पर दिया है. याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता आर.के. ओझा व सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता संजय कुमार सिंह ने पक्ष रखा. याची अधिवक्ता ने कोर्ट में ट्यूबवेल आपरेटर सेवा नियमावली के हवाले से कहा कि भर्ती में प्रतीक्षा सूची जारी करने का नियम है. इसके बावजूद आयोग ने विज्ञापित 3210 अभ्यर्थियों की सूची जारी की. इसके बाद राज्य सरकार ने 19 अगस्त 2020 के अपने आदेश कहा कि कोई पद खाली नहीं बचा है और विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने 19 अक्टूबर 2020 को कहा कि 672 पद रिक्त बचे हैं.
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जिसके बाद कोर्ट ने सरकार को स्थिति स्पष्ट करने को कहा था. इसके बाद सरकार की तरफ से बताया गया कि जो चयन सूची आयोग से दी गई है उसकी भर्ती पूरी कर ली गई है और आयोग ने प्रतीक्षा सूची नहीं दी है. इसके बाद याची अधिवक्ता ने कहा कि बहुत से चयनित अभ्यर्थियों ने नियुक्ति नहीं ली. जिसकी वजह से भारी संख्या में पद खाली बचे हैं. इस मामले में कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अधिकारी कोर्ट के आदेश तक नहीं पढ़ते हैं. पद खाली हैं तो अधिकारियों को आयोग से प्रतीक्षा सूची नहीं मांगनी चाहिए. पद भरने के लिए भर्ती निकाली गई है तो सभी पद भरे जाने चाहिए.