प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपसी सहमति के आधार पर सहायक अध्यापकों का एक जनपद से दूसरे जनपद में स्थानांतरण करने के मामले में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज को निर्णय लेने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि आपसी सहमति के आधार पर स्थानांतरण के संबंध में कोई नीति ना होने के बावजूद सचिव बेसिक शिक्षा परिषद याची गण की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए उनके स्थानांतरण पर उचित आदेश पारित करें.
कुलभूषण मिश्रा व एक अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने आदेश दिया. याची संख्या एक मूल रूप से प्रयागराज का रहने वाला है तथा उसकी नियुक्ति कौशांबी के नेवादा में सहायक अध्यापक के पद पर है जबकि याची संख्या दो मूल रूप से फतेहपुर का रहने वाला है. उसकी नियुक्ति सहायक अध्यापक के रूप में प्रयागराज के धनु पुर ब्लाक में है. उन्होंने आपसी सहमति के आधार पर एक दूसरे के स्थान पर स्थानांतरण किए जाने की मांग की थी. याची संख्या 1 का कहना था कि उसके नाना और मां दोनों बहुत ही बूढ़े हैं उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है. साथ ही याची के बच्चे भी प्रयागराज में ही पढ़ते हैं.
इसी प्रकार से याची संख्या दो का कहना था कि वह मूल रूप से फतेहपुर का रहने वाला है उसके भी मां-बाप वृद्ध हैं और वह उनकी इकलौती संतान है. उन्होंने आपसी सहमति (म्यूच्यूअल ) के आधार पर स्थानांतरण के लिए अर्जी दी थी मगर उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया. बेसिक शिक्षा परिषद के वकील का कहना था कि म्यूचुअल ट्रांसफर को लेकर ने सरकार ने अभी कोई नीति नहीं बनाई है. इसके जवाब में याची गण के अधिवक्ता का कहना था कि हाईकोर्ट द्वारा कई न्यायिक निर्णयों में इस इस स्थिति को स्पष्ट किया जा चुका है कि अध्यापकों के स्थानांतरण की नियमावली रूल 8(2) डी का क्रियान्वयन किसी नीति के ना होने पर रोका नहीं जा सकता है.
इस नियम के अनुसार विशेष परिस्थितियों में 5 वर्ष की सेवा पूरी किए बिना भी पुरुष अध्यापकों का अंतर्जनपदीय स्थानांतरण किया जा सकता है. कोर्ट ने दलील को स्वीकार करते हुए सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को याची गण के मामले में सभी परिस्थितियों को देखते हुए नियमानुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया है.