प्रयागराज: संगम नगरी में सदी के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन माघ मेले का आगाज 14 जनवरी को मकर संक्रांति स्नान पर्व के साथ शुरू हो गया था. ऐसे में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन के स्थल संगम तट पर एक नया शहर बस चुका है. इस छोटी सी नगरी को कुंभ नगरी की संज्ञा भी बहुत वर्षों पहले ही दी जा चुकी है. इस तम्बुओं के शहर की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए हैं.
विश्व में आस्था और श्रद्धा का सबसे बड़ा केंद्र माना जाने वाला माघ मेला अब बस चुका है. धार्मिक महत्व के अलावा ये मेला विश्व के प्रमुख सबसे बड़े मेले में से एक होता है. जहां विश्व का सबसे बड़ा जमावड़ा होता है. जहां देश से लाखों श्रद्धालु स्नान और दर्शन को आते हैं. इन श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था मेला प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है. संगम तट पर आबाद होने वाले अस्थायी शहर में हर वर्ष दर्जनों थाने बनाए जाते हैं. इसमें सभी रैंक के अफसरों की पोस्टिंग सिर्फ लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने की जिम्मेदारी को लेकर होती है. इस पर सामान्य थानों की तरह अफसरों और पुलिसकर्मियों की तैनाती होती है.
45 जल पुलिस घाट पर तैनात
मेला की सुरक्षा को देखते हुए 45 जल पुलिस घाट पर तैनात की गई है. मुख्य स्नान पर्व पर किसी तरह की घटना न हो, उसको लेकर 92 फायर कर्मी, 35 एलआयू कर्मी, 20 स्पेशल टास्क फोर्स की भी तैनाती की गई है. इस पूरे मेला क्षेत्र में 12 थाने स्थापित किए गए हैं. तम्बुओं की नगरी में 3435 पुलिसकर्मी पूरे मेले की सुरक्षा व्यवस्था को देख रहे हैं. इसमें महिला पुलिसकर्मियों की संख्या 212 है. 2781 नागरिक सुरक्षा बल को भी लगाया गया है. इस पूरे माघ मेले में 36 चौकियां भी थाने के अंतर्गत बनाई गई हैं.
यह पूरा अस्थायी मेला लकड़ी और कपड़ों से बना होता है. इसके मद्देनजर 13 फायर स्टेशन भी पूरे मेला क्षेत्र में बनाए गए हैं, जिससे किसी अप्रिय घटना होने पर निपटा जा सके. आधुनिकता से लैस मॉडर्न कंट्रोल रूम भी बनाया गया है, जिसमें 120 सीसीटीवी के माध्यम से पूरे मेले पर नजर रखी जा रही है. एटीएस टीम भी चप्पे-चप्पे पर नजर रखे हुए हैं. श्रद्धालुओं को पैदल कम चलना पड़े इसके लिए घाट के पास ही पांच पार्किंग की व्यवस्था की गई है. यहां श्रद्धालु वाहनों से आ सकते हैं.
-राजीव नारायण मिश्रा, एसपी, मेला