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गठबंधन में जाने वाली सीटों के टिकट दावेदार परेशान...पढ़िए पूरी खबर

भाजपा और सपा से गठबंधन करने वाले दलों के खाते में कई सीटें जा रही हैं. ऐसे में इन सीटों के दावेदार मायूस हो चुके हैं.

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गठबंधन में जाने वाली सीटों से टिकट के दावेदार परेशान.
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Published : Jan 30, 2022, 9:34 PM IST

प्रयागराजः भाजपा और सपा ने 2022 के चुनाव के लिए दलों के साथ गठबंधन किया है. इस वजह से सपा और भाजपा को कई सीटें सहयोगी दलों को देनी पड़ रही है लेकिन सपा और भाजपा जिन सीटों को सहयोगी दलों को दे रही हैं उन सीटों से टिकट के लिए दावेदारी करने वाले नेताओं में पार्टी के फैसले से मायूसी है. प्रयागराज की किन सीटों को भाजपा या सपा सहयोगी दलों को देगी अभी इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है.


प्रयागराज में 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सहयोगी दल अपना दल एस को तीन सीटें गठबंधन के तहत दी थी. नौ सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार चुनाव मैदान पर उतरे थे. इसमें से 8 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी.सिर्फ करछना सीट पर ही बीजेपी उम्मीदवार को सपा के प्रत्याशी उज्ज्वल रमण सिंह ने हराया था जबकि अपना दल एस ने भाजपा के साथ गठजोड़ कर 3 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. सिर्फ एक सीट पर ही अपना दल एस के उम्मीदवार को जीत मिली जबकि बाकि दो सीटों पर उसके प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था.



भाजपा ने जिले की 12 में से सिर्फ 6 सीटों पर ही उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है बाकी बची छह में से चार सीटें पार्टी सहयोगी दलों को दे सकती है. अपना दल एस और निषाद पार्टी गठबंधन के तहत प्रयागराज की चार सीटें भाजपा से मांग चुके हैं. जिले की हंडिया, प्रतापपुर, सोरांव, करछना और बारा विधानसभा सीटों में से बीजेपी चार सीट सहयोगी दलों को दे सकती है.
सीटों के बंटवारे को लेकर सहयोगी दलों के नेताओं में तो उत्साह है लेकिन भाजपा की तरफ से टिकट की दावेदारी करने वाले नेताओं में मायूसी छा गयी है.जिले की चार सीटों के गठबंधन के तहत अपना दल एस व निषाद पार्टी को दिए जाने की सुगबुगाहट भाजपा के नेताओं को परेशान कर रही है.
बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने की आस लगाकर पांच सालों तक इन सीटों पर जनसेवा करने वाले नेताओं में काफी मायूसी है.टिकट के ऐसे दावेदारों का कहना है कि पार्टी को गठबंधन के तहत उन सीटों को सहयोगी दलों को देना चाहिए जहां उनकी स्थिति कमजोर है.
बीजेपी जिन सीटों पर मजबूत स्थिति में है उन सीटों के साथ ही पिछले बार की जीती हुई सीट को भी सहयोगी दल को देने वाली है जिसके बाद से ही कई नेताओं में मायूसी है जिसका नुकसान चुनाव में हो सकता है. इस वजह से कई नेता और पार्टी के पदाधिकारी पार्टी हाईकमान तक ये बात पहुंचा रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः UP Election 2022: कांग्रेस ने 61 प्रत्याशियों की चौथी सूची जारी की, जानिए किस-किस पर लगाया दांव

सपा का भी कुछ ऐसा ही हाल
भाजपा के साथ ही सपा ने भी कई क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया है.सपा को प्रयागराज की शहर पश्चिमी विधानसभा सीट गठबंधन के तहत सहयोगी दल को देनी पड़ सकती है.इस कारण समाजवादी पार्टी की तरफ से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाले नेताओं में भी काफी मायूसी है.
समाजवादी पार्टी के सहयोगी दलों में से एक अपना दल कमेरावादी को गठबंधन के तहत सीट दी जानी है.सपा की सहयोगी दल अपना दल कमेरावादी की तरफ से जिले की शहर पश्चिमी विधानसभा सीट पर दावेदारी जताई जा चुकी है. हालांकि अभी तक समाजवादी पार्टी की तरफ से इस सीट को लेकर कोई घोषणा नहीं की गयी है.
2017 के चुनाव में सपा उम्मीदवार ने इसी सीट पर कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को चुनाव में कड़ी चुनौती दी थी.सपा के नेताओं का कहना है कि समाजवादी पार्टी सहयोगी दल को जिले की एक विधानसभा सीट दे सकती है. लेकिन इस एक सीट पर भी सपा की तरफ से चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाले नेता काफी मायूस हैं.सपा से टिकट के दावेदारों का भी हाल भी वैसा ही है जैसा भाजपा की तरफ से टिकट के दावेदार नेताओं का है.सपा नेता भी पार्टी नेतृत्व से गठबंधन को सीट दिए जाने से पहले एक बार विचार करने की मांग कर रहे हैं.

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प्रयागराजः भाजपा और सपा ने 2022 के चुनाव के लिए दलों के साथ गठबंधन किया है. इस वजह से सपा और भाजपा को कई सीटें सहयोगी दलों को देनी पड़ रही है लेकिन सपा और भाजपा जिन सीटों को सहयोगी दलों को दे रही हैं उन सीटों से टिकट के लिए दावेदारी करने वाले नेताओं में पार्टी के फैसले से मायूसी है. प्रयागराज की किन सीटों को भाजपा या सपा सहयोगी दलों को देगी अभी इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है.


प्रयागराज में 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सहयोगी दल अपना दल एस को तीन सीटें गठबंधन के तहत दी थी. नौ सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार चुनाव मैदान पर उतरे थे. इसमें से 8 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी.सिर्फ करछना सीट पर ही बीजेपी उम्मीदवार को सपा के प्रत्याशी उज्ज्वल रमण सिंह ने हराया था जबकि अपना दल एस ने भाजपा के साथ गठजोड़ कर 3 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. सिर्फ एक सीट पर ही अपना दल एस के उम्मीदवार को जीत मिली जबकि बाकि दो सीटों पर उसके प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था.



भाजपा ने जिले की 12 में से सिर्फ 6 सीटों पर ही उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है बाकी बची छह में से चार सीटें पार्टी सहयोगी दलों को दे सकती है. अपना दल एस और निषाद पार्टी गठबंधन के तहत प्रयागराज की चार सीटें भाजपा से मांग चुके हैं. जिले की हंडिया, प्रतापपुर, सोरांव, करछना और बारा विधानसभा सीटों में से बीजेपी चार सीट सहयोगी दलों को दे सकती है.
सीटों के बंटवारे को लेकर सहयोगी दलों के नेताओं में तो उत्साह है लेकिन भाजपा की तरफ से टिकट की दावेदारी करने वाले नेताओं में मायूसी छा गयी है.जिले की चार सीटों के गठबंधन के तहत अपना दल एस व निषाद पार्टी को दिए जाने की सुगबुगाहट भाजपा के नेताओं को परेशान कर रही है.
बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने की आस लगाकर पांच सालों तक इन सीटों पर जनसेवा करने वाले नेताओं में काफी मायूसी है.टिकट के ऐसे दावेदारों का कहना है कि पार्टी को गठबंधन के तहत उन सीटों को सहयोगी दलों को देना चाहिए जहां उनकी स्थिति कमजोर है.
बीजेपी जिन सीटों पर मजबूत स्थिति में है उन सीटों के साथ ही पिछले बार की जीती हुई सीट को भी सहयोगी दल को देने वाली है जिसके बाद से ही कई नेताओं में मायूसी है जिसका नुकसान चुनाव में हो सकता है. इस वजह से कई नेता और पार्टी के पदाधिकारी पार्टी हाईकमान तक ये बात पहुंचा रहे हैं.

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सपा का भी कुछ ऐसा ही हाल
भाजपा के साथ ही सपा ने भी कई क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया है.सपा को प्रयागराज की शहर पश्चिमी विधानसभा सीट गठबंधन के तहत सहयोगी दल को देनी पड़ सकती है.इस कारण समाजवादी पार्टी की तरफ से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाले नेताओं में भी काफी मायूसी है.
समाजवादी पार्टी के सहयोगी दलों में से एक अपना दल कमेरावादी को गठबंधन के तहत सीट दी जानी है.सपा की सहयोगी दल अपना दल कमेरावादी की तरफ से जिले की शहर पश्चिमी विधानसभा सीट पर दावेदारी जताई जा चुकी है. हालांकि अभी तक समाजवादी पार्टी की तरफ से इस सीट को लेकर कोई घोषणा नहीं की गयी है.
2017 के चुनाव में सपा उम्मीदवार ने इसी सीट पर कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को चुनाव में कड़ी चुनौती दी थी.सपा के नेताओं का कहना है कि समाजवादी पार्टी सहयोगी दल को जिले की एक विधानसभा सीट दे सकती है. लेकिन इस एक सीट पर भी सपा की तरफ से चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाले नेता काफी मायूस हैं.सपा से टिकट के दावेदारों का भी हाल भी वैसा ही है जैसा भाजपा की तरफ से टिकट के दावेदार नेताओं का है.सपा नेता भी पार्टी नेतृत्व से गठबंधन को सीट दिए जाने से पहले एक बार विचार करने की मांग कर रहे हैं.

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