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एडेड अल्पसंख्यक कॉलेजों में लिखित परीक्षा से अध्यापक भर्ती प्रक्रिया वैध करार: इलाहाबाद हाईकोर्ट - written examination in aided minority colleges

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एडेड अल्पसंख्यक कॉलेजों में लिखित परीक्षा से अध्यापक भर्ती प्रक्रिया को वैध करार दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने प्राइवेट एजेंसी से लिखित परीक्षा से अल्पसंख्यक विद्यालयों में अध्यापक भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है.

allahabad high court
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Apr 23, 2020, 10:18 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट एक्ट के रेगुलेशन 17 चैप्टर द्वितीय में किए गए संशोधन को वैध करार दिया है. कोर्ट ने कहा है कि यह संशोधन अल्पसंख्यक विद्यालयों को अनुच्छेद 30 के तहत मिले प्रबंधन के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता. कोर्ट ने प्राइवेट एजेन्सी से लिखित परीक्षा से अल्पसंख्यक विद्यालयों में अध्यापक भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की खंडपीठ ने नेशनल इंटर कॉलेज शिकारपुर बुलंदशहर समेत 32 अन्य याचिकाओं को को खारिज करते हुए दिया है. राज्य सरकार ने इस संशोधन के जरिए व्यवस्था दी है कि सरकारी वित्तीय सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक विद्यालयों के अध्यापकों की भर्ती में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निर्देशन में प्राइवेट एजेन्सी द्वारा लिखित परीक्षा लेकर मेरिट के आधार पर भर्ती की जाएगी. प्राइवेट एजेंसी भर्ती प्रक्रिया पूरी कर मेरिट के आधार पर शिक्षा अधिकारियों के मार्फत कॉलेज के प्रबंध समिति को चयनित अभ्यर्थियों का नाम भेजेगी. जिनकी नियुक्ति प्रबंध समिति करेगी.

कोर्ट ने कहा है कि प्राइवेट एजेंसी से लिखित परीक्षा कराकर अल्पसंख्यक वित्तीय सहायता प्राप्त कॉलेजों में अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया पारदर्शिता पूर्ण, पक्षपात रहित है. यह प्रक्रिया किसी भी तरीके से मनमाना पूर्ण नहीं है. इसमे फेयरवेस है. यह छात्रों एवं जनहित में होने के साथ-साथ राष्ट्रीय हित में भी है.

ये भी पढ़ें- यूपी के 10 जिले हुए कोरोना मुक्त, सख्ती से होगा लॉकडाउन का अनुपालन: ACS

इस प्रक्रिया से अल्पसंख्यक विद्यालयों में योग्य अध्यापक मिल सकेंगे, जिससे छात्रों की शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार होगा. कोर्ट ने कहा है कि अध्यापकों की भर्ती मामले में सरकार का सीधा रोल नहीं है, न ही सरकार इसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप कर रही है. सरकार ने अध्यापकों की शिक्षा की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए प्राइवेट एजेंसी से लिखित परीक्षा कराकर योग्य अध्यापकों की नियुक्ति की व्यवस्था की है. अभी तक विद्यालयों की प्रबंध समिति साक्षात्कार के जरिए अपने अध्यापकों की नियुक्ति करती रही है.

कोर्ट ने कहा है नियुक्ति का अधिकार प्रबंध समिति को होगा. चयन प्रक्रिया सरकारी निर्देशन में प्राइवेट एजेंसी द्वारा पूरी की जाएगी और चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति के लिए अग्रसारित किया जाएगा, जिन्हें नियुक्त करने का प्रबंध कमेटी को पूरा अधिकार होगा. इस मामले में सरकारी अधिकारियों का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा. याचिकाओं में उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम रेगुलेशन 17 चैप्टर 2 व 20 मार्च 2018 को जारी अधिसूचना की वैधता को चुनौती दी गई थी. याचियों का कहना था कि यह उपबंध अनुच्छेद 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यक विद्यालयों के को मिले मूल अधिकारों का खुला उल्लंघन है, जिसे रद्द किया जाए.

कोर्ट ने कहा कि संयुक्त शिक्षा निदेशक के निर्देशन में प्राइवेट एजेंसी द्वारा लिखित परीक्षा कराना और मेरिट लिस्ट तैयार कर नियुक्ति के लिए प्रबंध समिति को अग्रसारित करना, अनुच्छेद 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यक विद्यालयों को मिले अधिकारों में किसी प्रकार से हस्तक्षेप नहीं है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट एक्ट के रेगुलेशन 17 चैप्टर द्वितीय में किए गए संशोधन को वैध करार दिया है. कोर्ट ने कहा है कि यह संशोधन अल्पसंख्यक विद्यालयों को अनुच्छेद 30 के तहत मिले प्रबंधन के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता. कोर्ट ने प्राइवेट एजेन्सी से लिखित परीक्षा से अल्पसंख्यक विद्यालयों में अध्यापक भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की खंडपीठ ने नेशनल इंटर कॉलेज शिकारपुर बुलंदशहर समेत 32 अन्य याचिकाओं को को खारिज करते हुए दिया है. राज्य सरकार ने इस संशोधन के जरिए व्यवस्था दी है कि सरकारी वित्तीय सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक विद्यालयों के अध्यापकों की भर्ती में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निर्देशन में प्राइवेट एजेन्सी द्वारा लिखित परीक्षा लेकर मेरिट के आधार पर भर्ती की जाएगी. प्राइवेट एजेंसी भर्ती प्रक्रिया पूरी कर मेरिट के आधार पर शिक्षा अधिकारियों के मार्फत कॉलेज के प्रबंध समिति को चयनित अभ्यर्थियों का नाम भेजेगी. जिनकी नियुक्ति प्रबंध समिति करेगी.

कोर्ट ने कहा है कि प्राइवेट एजेंसी से लिखित परीक्षा कराकर अल्पसंख्यक वित्तीय सहायता प्राप्त कॉलेजों में अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया पारदर्शिता पूर्ण, पक्षपात रहित है. यह प्रक्रिया किसी भी तरीके से मनमाना पूर्ण नहीं है. इसमे फेयरवेस है. यह छात्रों एवं जनहित में होने के साथ-साथ राष्ट्रीय हित में भी है.

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इस प्रक्रिया से अल्पसंख्यक विद्यालयों में योग्य अध्यापक मिल सकेंगे, जिससे छात्रों की शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार होगा. कोर्ट ने कहा है कि अध्यापकों की भर्ती मामले में सरकार का सीधा रोल नहीं है, न ही सरकार इसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप कर रही है. सरकार ने अध्यापकों की शिक्षा की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए प्राइवेट एजेंसी से लिखित परीक्षा कराकर योग्य अध्यापकों की नियुक्ति की व्यवस्था की है. अभी तक विद्यालयों की प्रबंध समिति साक्षात्कार के जरिए अपने अध्यापकों की नियुक्ति करती रही है.

कोर्ट ने कहा है नियुक्ति का अधिकार प्रबंध समिति को होगा. चयन प्रक्रिया सरकारी निर्देशन में प्राइवेट एजेंसी द्वारा पूरी की जाएगी और चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति के लिए अग्रसारित किया जाएगा, जिन्हें नियुक्त करने का प्रबंध कमेटी को पूरा अधिकार होगा. इस मामले में सरकारी अधिकारियों का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा. याचिकाओं में उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम रेगुलेशन 17 चैप्टर 2 व 20 मार्च 2018 को जारी अधिसूचना की वैधता को चुनौती दी गई थी. याचियों का कहना था कि यह उपबंध अनुच्छेद 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यक विद्यालयों के को मिले मूल अधिकारों का खुला उल्लंघन है, जिसे रद्द किया जाए.

कोर्ट ने कहा कि संयुक्त शिक्षा निदेशक के निर्देशन में प्राइवेट एजेंसी द्वारा लिखित परीक्षा कराना और मेरिट लिस्ट तैयार कर नियुक्ति के लिए प्रबंध समिति को अग्रसारित करना, अनुच्छेद 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यक विद्यालयों को मिले अधिकारों में किसी प्रकार से हस्तक्षेप नहीं है.

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