प्रयागराज: इलाहाबाद संग्रहालय में दुर्लभ तस्वीरे और कलाकृतियों का संग्रह बहुत सा मिलेगा, लेकिन संग्रहालय में आज भी वे पुराने भारतीय अस्त्र-शस्त्र देखने को मिलेंगे. जहां हथियारों से दशकों पहले हमारे देश के महान योद्धाओं ने बड़ी बड़ी लड़ाई लड़ी थी. संग्रहालय में 1542 से लेकर देश के आजादी तक के बहुत से अस्त्र- शस्त्र रखें हुए हैं. इसके साथ ही संग्रहालय में प्रथम विश्व युद्ध में लड़ाई में जो गन मशीन का प्रयोग की गई थी. वह भी आज संग्रहालय में रखी गई है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने संग्रहालय के निदेशक डॉक्टर सुनील गुप्ता से बातचीत की. इन हथियारों को देखने के लिए दूर-दूर से दर्शक संग्रहालय आते है और योद्धाओं के हथियारों से रूबरू होते हैं. गैलेरी में सोने की तलवार भी लगाई है जो आकर्षक का केंद्र बनी हुई है.
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इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक डॉक्टर सुनील गुप्ता बताते हैं कि
अस्त्र-शस्त्र गैलरी में 1857 युद्ध के लीडर मौलवी रियाकत अली का कुर्ता पैजामा और उनकी तलवार आज भी रखी हुई है. इसके साथ ही स्वतन्त्रता संग्राम में अंग्रेजों से लड़ने वाली रानी अहिल्या बाई की तलवार आज भी सुरक्षित रखी हुई है. संग्रहालय में ऐसे कई छोटे-छोटे खंजर और पिस्तौल है जो 1857 से पहले के राजाओं के पास हुआ करती थी. इसके साथ ही युद्ध में इस्तमाल किए जाने वाले तीर-कमान आज भी संग्रहालय के दीवारों पर सजी हुई है. यंहा पर रत्न से जड़ी और सोने की तलवार रखी हुई है. युद्ध में लड़ी हुई तलवारों में आज भी खून के दाग बने हुए है.
योद्धाओं के सुरक्षा कवज है सुरक्षित
निदेशक ने बताया कि गैलरी में आज भी राजाओं और सैनिकों के सुरक्षा कवच है, जिसको पहन कर योद्धा युद्ध किया करते थे. दशकों पुराना भाला, तरकस, तीर और धनुष भी सुरक्षित रखे हुए है. डॉक्टर सुनील गुप्ता ने बताया कि यंहा पर सबसे यूनिक है प्रथम विश्व युद्ध में प्रयोग में लाईगईगन मशीन, जो पूरे देश के किसी भी संग्रहालय में देखने को नहीं मिलेगी.
पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी आधारशिला
इलाहाबाद संग्रहालय की आधार शिला 14 दिसम्बर 1947 को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी और 1954 में संग्रहालय जनसामान्य के लिए खोल दिया गया. कलाकृतियों के महत्त्वपूर्ण संग्रह को देखते हुए सितम्बर 1985 में संस्कृति विभाग, भारत सरकार ने यह राष्ट्रीय महत्त्व की संस्था घोषित कर दी गई.