प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज में राज्य जीएसटी अधिकरण और प्रदेश के विभिन्न नगरों में चार एरिया पीठों के गठन का मुद्दा वृहद पीठ को सुपुर्द कर दिया है. एक खंडपीठ ने जीएसटी काउंसिल को अपने पारित प्रस्ताव के अनुसार अधिकरण गठित करने का आदेश दिया. वहीं दूसरी खंडपीठ ने अपने अंतरिम आदेश से बिना कोर्ट की अनुमति अधिकरण गठित करने से रोक दिया है. जिसके चलते जीएसटी कानून बने पांच साल बीतने के बाद भी राज्य अधिकरण और एरिया पीठों का गठन अधर में लटका हुआ है.
न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने वृहद पीठ को तीन विधि प्रश्नों पर फैसला देने की सिफारिश की है. वृहद पीठ कठित करने के लिए पत्रावली मुख्य न्यायाधीश को संदर्भित कर दी गई है. वृहद पीठ को फैसला लेना है कि क्या एक खंडपीठ के अंतरिम आदेश से दूसरी खंडपीठ के अंतिम फैसले के विपरीत सरकार को कोर्ट की अनुमति लिए बगैर अधिकरण के गठन न करे का निर्देश दे सकती है.
क्या प्रदेश के डीलरों के हित में तत्काल राज्य जीएसटी अधिकरण और एरिया पीठों के गठन का निर्देश सरकार को दिया जा सकता है, ताकि डीलर वैधानिक अनुतोष प्राप्त कर सकें. इसके साथ ही क्या मेसर्स टार्क फार्मास्युटिकल केस के फैसले के तहत प्रयागराज में राज्य अधिकरण और प्रदेश में चार एरिया पीठों का गठन किया जा सकता है. अब मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित वृहद पीठ मामले की सुनवाई करेगी.
मेसर्स अपेक्स लीदर ने याचिका दायर कर जीएसटी रिफंड अर्जी निरस्त करने के आदेश के खिलाफ प्रथम अपील आंशिक रूप से स्वीकार करने के आदेश को चुनौती दी है. जिसके खिलाफ याची को अधिकरण में अपील दाखिल करने का विधिक अधिकार प्राप्त है.
याची का कहना है कि प्रदेश में राज्य जीएसटी अधिकरण का गठन नहीं किया गया है. इसलिए याचिका दायर करने के शिवाय अन्य विकल्प नहीं है. 7 लाख 92 हजार अधिकरण न बनने से लाखों की डीलरों को वैधानिक अपील के अधिकार से वंचित किया जा रहा है. डीलरों की अपील का अधिकार जनहित याचिका का विषय नहीं हो सकता है और जीएसटी काउंसिल धारा 109 के विधायी निर्देश का पालन करने में विफल रही है. डीलरों को रेमेडी लेस नहीं छोड़ा जा सकता है.
टैक्स विभाग के अधिवक्ता गौरव महाजन और अपर सॉलिसिटर जनरल भारत सरकार एसपी सिंह ने याचिका की ग्राह्यता पर आपत्ति की. इसके साथ ही जीएसटी काउंसिल के सामने प्रयागराज में राज्य जीएसटी अधिकरण और प्रदेश में चार एरिया पीठों के गठन का मुद्दा विचाराधीन है. लेकिन अवध बार एसोसिएशन की जनहित याचिका के अंतरिम आदेश की वजह से निर्णय नहीं हो पा रहा है. जब अधिकरण गठित होगा तो याची अपील दाखिल कर सकता है. तथ्य के प्रश्न निहित हैं, जिन्हें अनुच्छेद 226 में तय नहीं किया जा सकता.
राज्य सरकार के अधिवक्ता बी पी सिंह कछवाह ने संयुक्त आयुक्त जीएसटी कामर्शियल टैक्स लखनऊ के दिशानिर्देश पेश किये हैं. बताया है कि कुल 14 लाख डीलरों में से साढ़े सात लाख प्रदेश में वैट टैक्स में पंजीकृत हैं. हर साल 1200 से 1500 अपीले दाखिल हो सकती हैं. अधिकरण न होने से डीलर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रहे हैं. 320 याचिकाएं हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं. एएसजीआई ने कहा कि केंद्र सरकार जीएसटी अधिकरण गठित करना चाहती है, लेकिन हाईकोर्ट के 4 मार्च 2021 के आदेश, बिना हाईकोर्ट से पूछे अधिकरण गठित न किया जाए.
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उन्होंने ये भी बताया कि अवध बार एसोसिएशन की एक अन्य जहित याचिका पर 31 मई 2019 के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की है. लेकिन अभीतक उसपर नोटिस जारी नहीं किया गया है. ये भी बताया कि 9 फरवरी 2021 के मेसर्स टार्क फार्मास्युटिकल केस के अंतिम फैसले को अभी तक सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी गई है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने प्रकरण वृहद पीठ को सुपुर्द करने का आदेश दिया है.