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अनोखे घोड़े के पूजन के बाद ही प्रयागराज में शुरू होती है रामलीला

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Published : Sep 30, 2019, 10:11 AM IST

पूरे देश में प्रयागराज ऐसा शहर है, जहां इस कर्ण घोड़े के पूजन-अर्चन के बाद रामलीला की शुरुआत होती है. अमावस्या के दिन इसकी विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है जिसके बाद पूरे शहर में इसकी शोभायात्रा निकाली जाती है.

अनोखे घोडे़ की पूजन के साथ रामलीला शुरू.

प्रयागराजः शहर में रामलीला की शुरूआत लोगों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है. हम बात कर रहे हैं प्रयागराज में होने वाले अनोखे घोडे़ पूजन की. ऐसा माना जाता है कि बिना घोडे़ के पूजन के यहां की रामलीला शुरू नहीं होती है. रामलीला कमेटी की मानें तो यह कोई साधारण घोड़ा नहीं है, यह कर्ण घोड़ा है. बाजे गाजे के बीच पहले घोड़े को माला पहनाकर, तिलक लगाकर आरती की जाती है.

अनोखे घोडे़ की पूजन के साथ रामलीला शुरू.

आपको बता दें बिना इस कर्ण घोड़े के पूजन अर्चन के रामलीला की शुरुआत नहीं होती है. पूरे शहर में इस घोड़े की पूजन अर्चन के बाद इसकी शोभायात्रा के माध्यम से घुमाया जाता है. जब कर्ण घोड़ा पूरे शहर में चलता है, तब लोग जगह-जगह पर इसे रोक कर इसकी आरती करके, घोड़े से आशीर्वाद लेते हैं. इसमें झांकियों सहित बाजे-गाजे शामिल होते हैं

ऐसी मान्यता है कि 500 वर्ष पहले मुनिराज किसी मंदिर में राम कथा सुना रहे थे, तभी सफेद रंग का घोड़ा पूरी रामकथा खड़े होकर सुन रहा था. कथा सुनने के बाद घोड़ा ब्रह्मांड के चारों तरफ घूम-घूम कर लोगों को राम कथा सुनाने लगा, जो प्रयागराज में आकर रुका. तभी से पथर्चट्टी रामलीला कमेटी इस मान्यता को मानते हुए कर्ण घोड़े के पूजन के बाद ही रामलीला की भव्य शुरुआत करता है.

ये भी पढ़ें:- विश्व प्रसिद्ध रामलीला का यह केवट भी है खास, जाने क्यों !

यह कर्ण घोड़ा है, बाजे गाजे के बीच पहले घोड़े को माला पहनाकर, तिलक लगाकर आरती की जाती है. बिना इसके पूजन के रामलीला की शुरूआत नहीं होती है. साथ ही पूरे देश में देखने वालों के बीच चर्चा का विषय भी रहता है.
-बसंत लाल आजाद, संयोजक, कर्ण घोड़ा समिति

प्रयागराजः शहर में रामलीला की शुरूआत लोगों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है. हम बात कर रहे हैं प्रयागराज में होने वाले अनोखे घोडे़ पूजन की. ऐसा माना जाता है कि बिना घोडे़ के पूजन के यहां की रामलीला शुरू नहीं होती है. रामलीला कमेटी की मानें तो यह कोई साधारण घोड़ा नहीं है, यह कर्ण घोड़ा है. बाजे गाजे के बीच पहले घोड़े को माला पहनाकर, तिलक लगाकर आरती की जाती है.

अनोखे घोडे़ की पूजन के साथ रामलीला शुरू.

आपको बता दें बिना इस कर्ण घोड़े के पूजन अर्चन के रामलीला की शुरुआत नहीं होती है. पूरे शहर में इस घोड़े की पूजन अर्चन के बाद इसकी शोभायात्रा के माध्यम से घुमाया जाता है. जब कर्ण घोड़ा पूरे शहर में चलता है, तब लोग जगह-जगह पर इसे रोक कर इसकी आरती करके, घोड़े से आशीर्वाद लेते हैं. इसमें झांकियों सहित बाजे-गाजे शामिल होते हैं

ऐसी मान्यता है कि 500 वर्ष पहले मुनिराज किसी मंदिर में राम कथा सुना रहे थे, तभी सफेद रंग का घोड़ा पूरी रामकथा खड़े होकर सुन रहा था. कथा सुनने के बाद घोड़ा ब्रह्मांड के चारों तरफ घूम-घूम कर लोगों को राम कथा सुनाने लगा, जो प्रयागराज में आकर रुका. तभी से पथर्चट्टी रामलीला कमेटी इस मान्यता को मानते हुए कर्ण घोड़े के पूजन के बाद ही रामलीला की भव्य शुरुआत करता है.

ये भी पढ़ें:- विश्व प्रसिद्ध रामलीला का यह केवट भी है खास, जाने क्यों !

यह कर्ण घोड़ा है, बाजे गाजे के बीच पहले घोड़े को माला पहनाकर, तिलक लगाकर आरती की जाती है. बिना इसके पूजन के रामलीला की शुरूआत नहीं होती है. साथ ही पूरे देश में देखने वालों के बीच चर्चा का विषय भी रहता है.
-बसंत लाल आजाद, संयोजक, कर्ण घोड़ा समिति

Intro:इस अनोखे घोड़े के पूजन के बाद ही प्रयागराज में होती है रामलीला की शुरुआत
ritesh singh
7007861412

पूरे देश में प्रयागराज में ही इस अनोखे घोड़े की पूजन और शोभायात्रा के बाद रामलीला की शुरुआत होती है ! रामलीला कमेटी की माने तो इस अनोखे घोड़े को करण घोड़ा के नाम से जाना जाता !है जो अमावस्या के दिन इसकी विधिवत पूजा-अर्चना होती है उसके बाद पूरे शहर में इसकी शोभायात्रा निकाली जाती है !इसमें विभिन्न झांकियां भी शामिल होती है!


Body:बाजे गाजे के बीच पहले घोड़े का माल्यार्पण फिर टीकाकरण के बाद आरती यह कोई साधारण घोड़ा नहीं यह करण घोड़ा है !हां आपको बता दें कि बिना इस कर्ण घोड़े के पूजन अर्चन के पहले रामलीला की शुरुआत नहीं होती है! पूरे देश में प्रयागराज ही ऐसा शहर है जहां इस कर्ण घोड़े के पूजन अर्चन के बाद रामलीला की शुरुआत होती है! इस घोड़े की पूजन अर्चन के बाद पूरे शहर में इसके दर्शन के लिए शोभा यात्रा के माध्यम से घुमाया जाता है! उसके बाद रामलीला की शुरुआत हो जाती है ऐसी मान्यता है कि 500 वर्ष पहले मुनिराज किसी मंदिर में राम कथा सुना रहे थे तभी सफेद रंग का घोड़ा पूरी रामकथा खड़े होकर सुन रहा था! कथा सुनने के बाद घोड़ा ब्रह्मांड के चारों तरफ घूम घूम कर लोगो को राम कथा सुनाने लगा जो प्रयागराज में आकर रुका तभी से पथर्चट्टी रामलीला कमेटी इस मान्यता को मानते हुए करण घोड़े के पूजन के बाद ही रामलीला की भव्य शुरुआत करता है !जब यह करण घोड़ा पूरे शहर में चलता है तब लोग जगह जहां पर इसे रोक कर इसकी आरती करके करण घोड़े से आशीर्वाद लेते हैं! इसमें झांकियों सहित बाजे गाजे शामिल होते हैं! वही दर्शको को भी यह मानना है कि इस तरह घोड़े की शोभा यात्रा कहीं नहीं देखी!

बाइट ---–- बसंत लाल आजाद(संयोजक कारण घोड़ा समिति)





Conclusion: पत्थर चट्टी रामलीला कमेटी द्वारा निकाला गया या करण घोड़ा लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र तो रहता ही है साथ ही पूरे देश में देखने वालों के बीच चर्चा का विषय भी रहता है कि प्रयागराज में ही इस कर्ण घोड़े के पूजन के बाद ही रामलीला की शुरुआत होती है
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