प्रयागराज: चंदौली के सिकरौरा हत्याकांड में बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में विधायक व माफिया बृजेश सिंह पेश हुए. हालांकि, कोर्ट ने खुद को सुनवाई से अलग करते हुए केस रिलीज कर दिया और सुनवाई के लिए नई बेंच नामित करने के लिए प्रकरण चीफ जस्टिस को संदर्भित कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ केजे ठाकर एवं न्यायमूर्ति नलिन श्रीवास्तव की खंडपीठ ने हीरावती की ओर से दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए दिया.
कोर्ट ने दो सितम्बर को बृजेश सिंह को तलब किया था. इसके अनुपालन में वह आज सुबह 10 बजे अदालत में हाजिर हुए. बृजेश सिंह से साथ भारी सुरक्षा और समर्थकों का लाव लश्कर भी था, जो अदालत के बाहर ही रहा. अदालत में सुनवाई के दौरान पूरा कोर्ट रूम खचाखच भरा हुआ था. बृजेश सिंह के मुकदमे का नंबर आते ही कोर्ट ने मुकदमा रिलीज करने का आदेश देते हुए सुनवाई समाप्त कर दी.
36 साल पुराने सामूहिक हत्याकांड (सिकरौरा हत्याकांड) में माफिया बृजेश सिंह आरोपी हैं. पीड़िता द्वारा वाराणसी जिला अदालत के फैसलों को चुनौती दी गई है. दरअसल, वाराणसी जिला कोर्ट ने 2018 में एक फैसला दिया था. तब कोर्ट ने इस केस में सभी 13 आरोपियों को बरी कर दिया था. अब वाराणसी कोर्ट के इस फैसले को ही पीड़िता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
इन धाराओं में दर्ज है केस
वाराणसी की जिला अदालत ने गवाहों के बयान के आधार पर आरोपियों को बरी किया था. बताया जाता है कि गवाहों के बयान में कोर्ट ने भिन्नता पाई थी. इसके बाद पीड़िता ने कोर्ट से बरी हुए बृजेश सिंह को सजा दिए जाने की मांग की है. बृजेश सिंह के खिलाफ ये केस वाराणसी स्थित बलुआ थाना में दर्ज किया गया था. इसमें उनपर आईपीसी की धारा 148, 149, 302, 307, 120बी और आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
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पीड़िता का कहना है कि हत्याकांड में उसकी बेटी भी घायल हुई थी. लेकिन, वाराणसी की जिला अदालत ने सुनवाई के दौरान उसके बयानों पर गौर नहीं किया. वहीं, परिवार के सात लोगों की हत्या के मामले का मुख्य गवाह अब भी मौजूद है. बता दें कि कुछ महीने पहले ही बृजेश सिंह 14 साल बाद वाराणसी जेल से रिहा हुए हैं.