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किसान और जवान का कोई जाति और धर्म नहीं होता: मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज मे सोमवार को कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने लाल बहादुर शास्त्री के तैल चित्र का अनावरण किया. इस दौरान उन्होंने शास्त्री जी से जुड़ी कई यादों को भी सबसे साथ साझा किया.

सिद्धार्थ नाथ सिंह ने किया शास्त्री जी के तैल चित्र का अनावरण.
सिद्धार्थ नाथ सिंह ने किया शास्त्री जी के तैल चित्र का अनावरण.
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Published : Jan 12, 2021, 8:18 AM IST

प्रयागराज: वर्ष 1962 युद्ध में भारतीय सैनिकों का मनोबल परास्त होना, अमेरिका द्वारा टीएल 4 अनाज बंद करने की धमकी और दक्षिण भारत में हिंदी भाषा को लेकर मूवमेंट आदि विदेशी शक्तियां भारत को तोड़ने की साजिश रची थी. उसी समय 'जय जवान जय किसान' का नारा देकर स्व. लाल बहादुर शास्त्री ने पूरे भारत के किसानों और जवानों को जोड़कर मजबूत राष्ट्र का आधार रखा था. यह बातें बार एसोसिएशन बोर्ड ऑफ रेवेन्यू प्रयागराज के तत्वाधान में आयोजित संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कही. यहां उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के तैल चित्र का अनावरण भी किया.

सिद्धार्थ नाथ सिंह ने किया शास्त्री जी के तैल चित्र का अनावरण.

सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि किसान खेतों में हल चलाता है तो कोई नहीं कहता किस जाति, किस धर्म का है. सब कहते हैं किसान है. चाहे वह यूपी, तमिलनाडू या पंजाब का हो. किसानों का कोई जाति, धर्म नहीं होता. जवान सरहद पर खड़ा होकर देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा देता है तो कोई जाति और धर्म वहां नहीं होता. यहीं से 'जय जवान जय किसान' के नारे से प्रेरणा मिलती है, जहां पर कोई जाति, धर्म नहीं है.

1965 के युद्ध के दौरान लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट से होकर ताशकंद जा रहे थे. पत्रकारों ने पूछा आप छोटे कद के हैं और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अय्यूब खान छह फिट के हैं तो कैसे वार्ता करेंगे. उस समय मेरे नाना ने कहा था भारत सिर उठा कर बात कर रहा होगा और पाकिस्तान का राष्ट्रपति सर झुका कर बात करेगा. सही मायने में आज 56 इंच की प्रेरणा वहीं से महसूस होती है.

इससे पहले राजस्व परिषद प्रयागराज में बार एसोसिएशन के तत्वाधान में स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी के पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने राजस्व परिषद बार एसोसिएशन कक्ष में शास्त्री जी के तैल चित्र का अनावरण किया. इसी दौरान राजस्व परिषद के न्यायिक सदस्य गण एवं बार के पदाधिकारियों से औपचारिक भेंट हुई और बैठकर राजस्व परिषद में कार्य के दौरान अधिवक्ताओं की कठिनाइयों आदि विषय पर चर्चा हुई.

प्रयागराज: वर्ष 1962 युद्ध में भारतीय सैनिकों का मनोबल परास्त होना, अमेरिका द्वारा टीएल 4 अनाज बंद करने की धमकी और दक्षिण भारत में हिंदी भाषा को लेकर मूवमेंट आदि विदेशी शक्तियां भारत को तोड़ने की साजिश रची थी. उसी समय 'जय जवान जय किसान' का नारा देकर स्व. लाल बहादुर शास्त्री ने पूरे भारत के किसानों और जवानों को जोड़कर मजबूत राष्ट्र का आधार रखा था. यह बातें बार एसोसिएशन बोर्ड ऑफ रेवेन्यू प्रयागराज के तत्वाधान में आयोजित संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कही. यहां उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के तैल चित्र का अनावरण भी किया.

सिद्धार्थ नाथ सिंह ने किया शास्त्री जी के तैल चित्र का अनावरण.

सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि किसान खेतों में हल चलाता है तो कोई नहीं कहता किस जाति, किस धर्म का है. सब कहते हैं किसान है. चाहे वह यूपी, तमिलनाडू या पंजाब का हो. किसानों का कोई जाति, धर्म नहीं होता. जवान सरहद पर खड़ा होकर देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा देता है तो कोई जाति और धर्म वहां नहीं होता. यहीं से 'जय जवान जय किसान' के नारे से प्रेरणा मिलती है, जहां पर कोई जाति, धर्म नहीं है.

1965 के युद्ध के दौरान लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट से होकर ताशकंद जा रहे थे. पत्रकारों ने पूछा आप छोटे कद के हैं और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अय्यूब खान छह फिट के हैं तो कैसे वार्ता करेंगे. उस समय मेरे नाना ने कहा था भारत सिर उठा कर बात कर रहा होगा और पाकिस्तान का राष्ट्रपति सर झुका कर बात करेगा. सही मायने में आज 56 इंच की प्रेरणा वहीं से महसूस होती है.

इससे पहले राजस्व परिषद प्रयागराज में बार एसोसिएशन के तत्वाधान में स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी के पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने राजस्व परिषद बार एसोसिएशन कक्ष में शास्त्री जी के तैल चित्र का अनावरण किया. इसी दौरान राजस्व परिषद के न्यायिक सदस्य गण एवं बार के पदाधिकारियों से औपचारिक भेंट हुई और बैठकर राजस्व परिषद में कार्य के दौरान अधिवक्ताओं की कठिनाइयों आदि विषय पर चर्चा हुई.

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