प्रयागराजः संगम नगरी में धार्मिक आस्था का माघ मेला (Magh Mela in Sangam Nagri) शुक्रवार को पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ शुरू हो गया है. माघ मेले में स्नान पर्व के साथ कल्पवास के व्रत की भी शुरुआत भी हो गई है. माघ मेले (Prayagraj Magh Mela) में अमेठी से आए हुए शिव योगी मौनी महाराज ने अनोखे अंदाज में अपने शिविर से संगम तक का सफर तय किया.
शिव योगी मौनी बाबा अपने अनोखे अंदाज में स्नान करने के लिए संगम जा रहे थे. दस डिग्री से कम तापमान में जहां लोग घर से निकलने से भी कतरा रहे हैं. उसी बीच कड़ाके की ठंड के दौरान शिव योगी मौनी महाराज महावीर मार्ग से जमीन पर लेटकर पलटते हुए अपने शिविर से संगम के तट पर पहुंचे और संगम में स्नान किया. इस दौरान रास्ते भर भक्त सड़क पर फूलों की वर्षा भी की. पूरे रास्ते के भर बाबा के भक्त भगवान और मां गंगा के जयकारे भी लगा रहे थे. मौनी महाराज ने जमीन पर पलटते हुए संगम तक गए और स्नान किया.
शिव योगी मौनी महाराज (Shiv Yogi Mouni Maharaj) ने बताया कि वह अमेठी से चलकर प्रयागराज माघ मेले (Prayagraj Magh Mela) में पहुंचे. जहां वो अपने भक्तों और साधु संतों के साथ पवित्र त्रिवेणी की धारा में आस्था की डुबकी लगाई. मौनी महाराज ने बताया कि सम्पूर्ण राष्ट्र के कल्याण की कामना को लेकर उन्होंने मां गंगा से प्रार्थना की है. उन्होंने कहा कि माघ महीने में त्रिवेणी संगम में स्नान करना विशेष फलदायक होता है. माघ मास में त्रिवेणी के जल में सारे देवी देवता वास करते हैं. इसी कारण अपने देश और देश वासियों के कल्याण की कामना के लिए उन्होंने जमीन पर लेटकर लेटकर संगम स्नान करने जाते हैं. जिससे मां गंगा प्रसन्न होकर उनकी मनोकामना पूरी करें. उन्होंने बताया कि प्रयागराज तीर्थों का राजा है, सृष्टि की रचना के बाद ब्रह्मा जी ने प्रयागराज की धरती पर पहला यज्ञ किया था. यही वजह है कि पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व गंगा में आस्था की डुबकी लगाने का विशेष महत्व और फल होता है.
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