ETV Bharat / state

औषधीय पौधों की खेती से देश के किसान बनेंगे आत्मनिर्भर - production of forest medicines

प्रयागराज में चल रहे माघ मेले के दौरान गुरुवार को वन अनुसंधान केंद्र के वन चेतना शिविर में विश्व आयुर्वेद मिशन के संयुक्त तत्वावधान में 'रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक प्रमुख वनौषधियों का उत्पादन, संरक्षण एवं चिकित्सीय प्रयोग वर्तमान परिदृश्य में' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें वक्ताओं ने हर्बल औषधियों की आवश्यकता एवं उपयोगिता पर विशेष प्रकाश डाला.

Seminar on subject of production of forest medicines
Seminar on subject of production of forest medicines
author img

By

Published : Feb 19, 2021, 1:48 PM IST

प्रयागराज: त्रिवेणी संगम में चल रहे माघ मेले में गुरुवार को पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केंद्र के वन चेतना शिविर में विश्व आयुर्वेद मिशन के संयुक्त तत्वावधान में 'रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक प्रमुख वनौषधियों का उत्पादन, संरक्षण एवं चिकित्सीय प्रयोग वर्तमान परिदृश्य में' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ वन अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक एवं प्रगतिशील किसानों ने भी भाग लिया.

सेमिनार के दौरान हर्बल औषधियों पर लिखी किताब का विमोचन
सेमिनार के दौरान हर्बल औषधियों पर लिखी किताब का विमोचन
इस मौके पर अनुसंधान केंद्र के प्रमुख डॉ संजय सिंह ने भारत को अमूल्य वन सम्पदा का भण्डार बताते हुए कहा कि, हमारे देश में रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक अनेकों वनौषधियां उपलब्ध हैं. यदि इनका समुचित उत्पादन, भण्डारण एवं संरक्षण किया जाए तो न केवल अपने देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर इनकी आपूर्ति की जा सकती है.

इसके बाद विश्व आयुर्वेद मिशन के अध्यक्ष प्रो. डॉ. जीएस तोमर ने कार्यशाला का विषय प्रवर्तन करते हुए वर्तमान परिदृश्य में इम्युनिटी को बढ़ाने वाली हर्बल औषधियों की आवश्यकता एवं उपयोगिता पर विशेष प्रकाश डाला. डॉ. तोमर ने बताया कि कोरोना कालखण्ड में गिलोय, तुलसी, असगंध, शतावर, मुलहठी, अदरख एवं आंवला आदि के रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुणों से हमारे देश के ही नहीं सम्पूर्ण विश्व के लोग काफी परिचित हो चुके हैं. इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि आने वाले समय में इस प्रकार के अन्य वायरस पुन: हमारे लिए संकट पैदा कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में हमारी इम्युनिटी ही हमारे स्वास्थ्य की रक्षा कर सकती हैं. आयुर्वेद में इस प्रकार की औषधियों की भरमार है जो वर्तमान परिदृश्य में हमारे लिए संजीवनी सिद्ध हो सकती हैं.

वहीं, माघमेला प्रभारी डॉ. विवेक चतुर्वेदी ने कहा कि इम्युनिटी वर्धक हर्बल औषधियों की कोरोना महामारी के दौरान वैश्विक मांग को देखते हुए इनके गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन, भण्डारण एवं औषधि निर्माण के द्वारा विश्व बाज़ार के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की जा सकती है. इस अवसर पर वनौषधि विशेषज्ञ एवं प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. अवनीश पाण्डेय ने महत्वपूर्ण रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक औषधियों के गुण कर्मों की विस्तृत चर्चा की.


इसके अलावा डॉ. कुमुद दुबे ने एण्टी आॉक्सीडेन्ट न्यूट्रास्युटिकल्स पर विशेष प्रकाश डाला. डॉ. अनीता तोमर ने रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक वनौषधियों के उत्पादन एवं संरक्षण विधि को विस्तार से बताया एवं डॉ अनुभा श्रीवास्तव ने सहजन के रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक गुणों पर चर्चा की. विश्व आयुर्वेद परिषद काशी प्रांत के अध्यक्ष डॉ. पीएस पाण्डेय ने पोस्ट कोरोना पीरियड में आयुर्वेदीय औषधियों की आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डाला. इस अवसर पर डॉ. बीएस रघुवंशी, डॉ. सुधांशु उपाध्याय एवं डॉ. एमडी दुबे ने भी अपने अनुभव साझा किए.

प्रयागराज: त्रिवेणी संगम में चल रहे माघ मेले में गुरुवार को पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केंद्र के वन चेतना शिविर में विश्व आयुर्वेद मिशन के संयुक्त तत्वावधान में 'रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक प्रमुख वनौषधियों का उत्पादन, संरक्षण एवं चिकित्सीय प्रयोग वर्तमान परिदृश्य में' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ वन अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक एवं प्रगतिशील किसानों ने भी भाग लिया.

सेमिनार के दौरान हर्बल औषधियों पर लिखी किताब का विमोचन
सेमिनार के दौरान हर्बल औषधियों पर लिखी किताब का विमोचन
इस मौके पर अनुसंधान केंद्र के प्रमुख डॉ संजय सिंह ने भारत को अमूल्य वन सम्पदा का भण्डार बताते हुए कहा कि, हमारे देश में रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक अनेकों वनौषधियां उपलब्ध हैं. यदि इनका समुचित उत्पादन, भण्डारण एवं संरक्षण किया जाए तो न केवल अपने देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर इनकी आपूर्ति की जा सकती है.

इसके बाद विश्व आयुर्वेद मिशन के अध्यक्ष प्रो. डॉ. जीएस तोमर ने कार्यशाला का विषय प्रवर्तन करते हुए वर्तमान परिदृश्य में इम्युनिटी को बढ़ाने वाली हर्बल औषधियों की आवश्यकता एवं उपयोगिता पर विशेष प्रकाश डाला. डॉ. तोमर ने बताया कि कोरोना कालखण्ड में गिलोय, तुलसी, असगंध, शतावर, मुलहठी, अदरख एवं आंवला आदि के रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुणों से हमारे देश के ही नहीं सम्पूर्ण विश्व के लोग काफी परिचित हो चुके हैं. इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि आने वाले समय में इस प्रकार के अन्य वायरस पुन: हमारे लिए संकट पैदा कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में हमारी इम्युनिटी ही हमारे स्वास्थ्य की रक्षा कर सकती हैं. आयुर्वेद में इस प्रकार की औषधियों की भरमार है जो वर्तमान परिदृश्य में हमारे लिए संजीवनी सिद्ध हो सकती हैं.

वहीं, माघमेला प्रभारी डॉ. विवेक चतुर्वेदी ने कहा कि इम्युनिटी वर्धक हर्बल औषधियों की कोरोना महामारी के दौरान वैश्विक मांग को देखते हुए इनके गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन, भण्डारण एवं औषधि निर्माण के द्वारा विश्व बाज़ार के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की जा सकती है. इस अवसर पर वनौषधि विशेषज्ञ एवं प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. अवनीश पाण्डेय ने महत्वपूर्ण रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक औषधियों के गुण कर्मों की विस्तृत चर्चा की.


इसके अलावा डॉ. कुमुद दुबे ने एण्टी आॉक्सीडेन्ट न्यूट्रास्युटिकल्स पर विशेष प्रकाश डाला. डॉ. अनीता तोमर ने रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक वनौषधियों के उत्पादन एवं संरक्षण विधि को विस्तार से बताया एवं डॉ अनुभा श्रीवास्तव ने सहजन के रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक गुणों पर चर्चा की. विश्व आयुर्वेद परिषद काशी प्रांत के अध्यक्ष डॉ. पीएस पाण्डेय ने पोस्ट कोरोना पीरियड में आयुर्वेदीय औषधियों की आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डाला. इस अवसर पर डॉ. बीएस रघुवंशी, डॉ. सुधांशु उपाध्याय एवं डॉ. एमडी दुबे ने भी अपने अनुभव साझा किए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.