प्रयागराज: इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (Allahabad Central University) में छात्रसंघ गेट पर लगाए गए ताले को तोड़ने के दौरान गुरुवार को छात्रों और पुलिस के बीच हाथापाई के साथ ही तीखी नोकझोंक और झड़प हो गई. इस दौरान छात्रों ने चीफ प्रॉक्टर के साथ भी दुर्व्यवहार किया. वहीं, आधे घंटे से ज्यादा समय तक गेट पर हंगामा चलता रहा. जिसके बाद गेट पर ताला न लगाए जाने की बात पर छात्र माने. छात्रों ने चेतावनी दी कि इस गेट पर ताला लगाया गया, तो वो उसे तोड़ देंगे. इस गेट पर लगे ताले को पहले भी छात्रों ने तोड़ा था, जिस पर कई छात्रों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ था.
इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ गेट पर तालाबंद करने के विरोध में जमकर हंगामा हुआ. छात्रों की भीड़ ने गेट पर लगाए गए ताले को तोड़कर गेट खुलवाया. गेट का ताला तोड़ने के दौरान छात्रों की पुलिस, विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मियों और शिक्षकों के साथ नोकझोंक और झड़प हुई.
गुरुवार को इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ के मुख्य गेट को बंद कर ताला लगा दिया गया था. जबकि छात्रों के आने जाने के लिए छोटा गेट खुला हुआ था. इसी दौरान छात्रनेता सत्यम कुशवाहा स्कूटी लेकर मुख्य गेट से ही बाहर जाने की जिद पर अड़ गया. इसी बात को लेकर छात्रों ने मुख्य गेट पर लगे ताले को तोड़ना शुरू कर दिया. जिसके बाद सुरक्षा कर्मियों से छात्रों की नोकझोंक शुरू हो गई. मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और छात्रों को रोकने लगे. इसी बीच छात्रों और पुलिस वालों के बीच धक्कामुक्की और हाथापाई शुरू हो गई.
चीफ प्रॉक्टर का आरोप है जिस वक्त वो छात्रों को रोक रहे थे, उसी समय आयुष प्रियदर्शी नाम के छात्र ने उनको लात मारी. उनका कहना है कि छात्र शिक्षक को मार रहा है. इससे साबित होता है कि ये विश्वविद्यालय के छात्र नहीं हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ छात्र राजनीति करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. आंदोलन के नाम पर अराजकता फैला रहे है और ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
छात्रों ने चीफ प्रॉक्टर पर लगाया आरोप
वहीं, छात्रसंघ गेट का ताला तोड़ने वाले छात्रों कहना है कि इस गेट पर जब-जब ताला लगाया जाएगा, वो उसको तोड़ेंगे. छात्रों ने चीफ प्रॉक्टर पर आरोप लगाया कि उन्होंने छात्रों के साथ मारपीट की. चीफ प्रॉक्टर की पिटाई से घायल हुए छात्रनेता आयुष प्रियदर्शी को इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया है. छात्रों का कहना है कि जब तक फीस वृद्धि वापस नहीं ली जाती है, तब तक उनका आंदोलन रुकने वाला नहीं है.
छात्रों और पुलिस के बीच हंगामा
वहीं, दूसरी ओर इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में चार गुना फीस वृद्धि के विरोध में छात्र प्रतीकात्मक रूप से अर्थी लेकर कैम्पस में शव यात्रा निकाल रहे थे. उसी दौरान विश्वविद्यालय में तैनात पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच शवयात्रा को रोकने को लेकर हंगामा शुरू हो गया. हंगामे के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों की तरफ से एक दूसरे के खिलाफ पुलिस से भी शिकायत की गयी है. छात्रों का कहना है कि वो लोग शव यात्रा निकाल कर विरोध कर रहे थे. उसी समय पुलिस और चीफ प्रॉक्टर ने पुतला छीनने लगे. इसी दौरान दोनों पक्षों के बीच नोकझोंक और हाथापाई भी हुई. छात्रों का आरोप है कि चीफ प्रॉक्टर, शिक्षकों और शोधार्थियों ने आम छात्रों के साथ मारपीट की, जिसको लेकर छात्रों की तरफ से उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की है.
छात्रों से वीसी ने की अपील की
वहीं यूनिवर्सिटी की वीसी प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने छात्रों से सोच समझकर विश्वविद्यालय के हित मे निर्णय लेने की अपील की है. लेकिन इस सबके के बीच जिला और पुलिस प्रशासन की चिंता बढ़ी हुई है. क्योंकि छात्रों का आंदोलन कब उग्र रूप धारण कर ले और हिंसक आंदोलन में बदल जाए. इस बात से चिंतित पुलिस प्रशासन के अधिकारी निरन्तर परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था तैनात किए हुए हैं.
17 दिनों से आंदोलन कर रहे छात्रों से यूनिवर्सिटी की वीसी ने एक पत्र जारी कर विश्वविद्यालय के हित में फैसला लेने की अपील की है. उस पत्र के जरिये वीसी ने कहा है कि छात्र हित में फीस वृद्धि करनी जरूरी थी. जिस वजह से ये फैसला लिया गया है और छात्रों के बेहतर भविष्य और अच्छी शिक्षा देने के लिए ही ये फैसला लिया गया है. उन्होंने पत्र के जरिये ही यह भी स्पष्ट किया है कि ईविवि की फीस आज भी आसपास के सभी संस्थानों के मुकाबले काफी कम है.
पत्र के जरिये वीसी की तरफ जानकारी दी गयी है कि अभी तक विश्वविद्यालय जिस कोर्स की महीने की फीस 81 रुपये ली जाती थी. उसे बढ़कर 333 रुपये प्रति महीना कर दिया गया है. फीस वृद्धि के बावजूद इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की फीस अन्य संस्थानों से काफी कम है. इसके साथ ही इविवि में कोरोना काल के दौरान अनाथ हुए बच्चों और बेहद गरीब बच्चों की फीस भी माफ की गई है. इसके साथ ही वीसी ने छात्रों से विचार करके छात्र और यूनिवर्सिटी के हित में फैसला लेने की अपील की है.
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