प्रयागराजः संगम नगरी प्रयागराज में लगे माघ मेले का महाशिवरात्रि के पावन पर्व के साथ समापन हो जाएगा. शिवरात्रि की वजह से सुबह से ही श्रद्धालु गंगा यमुना सरस्वती के पावन त्रिवेणी संगम तट पर पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाई. इसके साथ ही श्रद्धालु संगम नगरी के प्राचीन शिवालयों में जाकर भगवान भोले नाथ का जलाभिषेक भी किया.
प्रयागराज संगम तट पर शनिवार को ब्रह्मुहूर्त से ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाना शुरू कर दिया. संगम तट के साथ ही अलग-अलग घाटों के अलावा दशाश्वमेघ घाट पर भी स्नानार्थियों की भीड़ उमड़ी. यहां से श्रद्धालु गंगा जल ले जाकर शिवालयों में जलाभिषेक किया.
ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन गंगा यमुना सरस्वती की पावन त्रिवेणी में स्नान करके भोलेनाथ को त्रिवेणी के जल से जलाभिषेक करने से मनोकामना पूरी होती है. भक्तों के ऊपर भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है. ऐसा भी माना जाता है कि भगवान शिव त्रिवेणी की जल धारा में वास करते हैं. इस वजह से आज के दिन संगम स्नान विशेष फलदाई माना जाता है. यही वजह है कि महाशिवरात्रि पर प्रयागराज शहर के साथ ही आसपास के जिलों से आकर भी श्रद्धालु संगम में स्नान करते हैं. महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर प्रयागराज में एक तरफ जहां त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाने वालों की भीड़ जुट रही. वहीं, दूसरी तरफ दशाश्वमेघ मंदिर और मनकामेश्वर मंदिर में भी श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़े. शिव मंदिरों में भगवान शिव की उपासना करते हुए श्रद्धालु हर-हर बम-बम का जय घोष किया.
माघ मेले का होगा औपचारिक समापन- संगम नगरी प्रयागराज में 6 जनवरी को पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व से माघ मेले की शुरुआत हुई थी. जबकि 5 फरवरी को माघी पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ माघ मेले का कल्पवास समाप्त हो गया. कल्पवास के समापन के साथ ही माघ मेले के लगभग सभी साधु संत और श्रद्धालु वापस जा चुके हैं. लेकिन माघ मेले में संगम तट और उसके आसपास की सारी व्यवस्था महाशिवरात्रि तक बनी रहती है. शनिवार को महाशिवरात्रि के स्नान पर्व के साथ ही माघ मेले का भी औपचारिक समापन भी हो गया. माघ मेले के अंतिम स्नान पर्व पर मेला क्षेत्र में ट्रैफिक के साथ ही सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की गयी थी. महाशिवरात्रि के स्नान के समापन के बाद मेले से पुलिस व अन्य कार्यालयों को भी समेटने का काम शुरू गया हो गया.