प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर मांगे गए जवाब को लेकर संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार को 22 फरवरी को दोबारा तलब किया है. दोनों अधिकारियों पर कोर्ट द्वारा मांगी गई जानकारी सही तरीके से मुहैया नहीं कराने का आरोप है. श्री संस्कृत कॉलेज व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने यह आदेश दिया है .
याचिका में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा 23 नवंबर 2022 को पारित एक आदेश को चुनौती दी गई है. इस पर कोर्ट ने विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था . 14 फरवरी को मामले की सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने बताया था कि नोटिस रिसीव होने के बावजूद विश्वविद्यालय की ओर से इस प्रकरण में कोई निर्देश नहीं दिया गया है. इस पर कोर्ट ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और कुलपति को तलब कर लिया.
17 फरवरी को दोनों अधिकारियों ने हाजिर होकर हलफनामा दाखिल किया था. मगर अदालत उनके हलफनामे से संतुष्ट नहीं थी. हलफनामे में कोर्ट द्वारा मांगी गई जानकारी नहीं दी गई थी. इस पर विश्वविद्यालय की ओर से आश्वासन दिया गया कि अगली तारीख पर बेहतर हलफनामा दाखिल करेंगे. दोनों की ओर से अगली सुनवाई पर हाजिरी की माफी का अनुरोध किया गया लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए मामले की तिथि 22 फरवरी को नियत करते हुए कुलपति और रजिस्ट्रार को अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है.
डबल एमए कोर्स की दाखिला प्रक्रिया 3 सप्ताह में पूरी करने का निर्देश
वहीं, हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है कि डबल एमए कोर्स में प्रवेश की प्रक्रिया को 3 सप्ताह में पूरा करें. अजय सिंह की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पड़िया ने दिया है. याची का कहना था कि उसने एमए वूमेन स्टडी में दाखिले के लिए आवेदन किया ह. लेकिन उसके आवेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया. 29 नवंबर 2022 के पत्र और 3 जून 2022 के एकेडमिक काउंसिल के प्रस्ताव संख्या 9 को रद्द करने की मांग की. इस मामले में कोर्ट ने विश्वविद्यालय से जवाब मांगा था. विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया कि याची व अन्य अभ्यर्थियों के आवेदन सीलबंद लिफाफे में रखे गए हैं. डबल एमए कोर्स में किसी के भी दाखिले पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. इस पर याची की ओर से दाखिले की प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने का अनुरोध अदालत से किया गया. जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है कि वह दाखिले की प्रक्रिया 3 सप्ताह में पूरी कर लें.