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New Pension Scheme: एनपीएस नहीं लेने वाले कर्मचारियों का नहीं रुकेगा वेतन - new pension scheme banned

हाईकोर्ट ने नई पेंशन योजना (New Pension Scheme) में शामिल नहीं होने वाले कर्मचारियों का वेतन रोके जाने संबंधी राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है

हाईकोर्ट
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Published : Jan 16, 2023, 9:26 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नई पेंशन योजना में शामिल नहीं होने वाले कर्मचारियों का वेतन रोके जाने संबंधी राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. सरकार द्वारा 16 दिसंबर 2022 को शासनादेश जारी कर कहा गया है कि जिन कर्मचारी नई पेंशन योजना के लिए ट्रेन में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है. उनका वेतन रोक दिया जाए. इस शासनादेश को सैकड़ों कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर चुनौती दी है. शासनादेश में यह प्रावधान था कि जो कर्मचारी नई पेंशन योजना नहीं अपनाएंगे. उनका वेतन रोक दिया जाएगा. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए कहा है कि अगले आदेश तक एनपीएस ना अपनाने वाले याची गण का वेतन न रोका जाए.

शिवम शर्मा और 316 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने दिया है. याची गण के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि राज्य सरकार ने 16 दिसंबर 2022 को शासनादेश जारी कर यह प्रावधान किया है कि नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस ) में रजिस्ट्रेशन न कराने वाले कर्मचारियों का वेतन रोक दिया जाएगा. याची गण का कहना था कि नेशनल पेंशन स्कीम के प्रावधान इस प्रकार के हैं कि इसे अपनाने के लिए किसी कर्मचारी को बाध्य नहीं किया जा सकता है और एनपीएस ना लेने वाले कर्मचारी का वेतन रोका नहीं जा सकता है. कहा गया कि इस मामले में हाईकोर्ट ने पूर्व में दाखिल कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए वेतन कटौती के आदेश पर रोक लगा रखी है. कोर्ट ने इस प्रकरण को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए राज्य सरकार से अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. साथ ही कहा है कि अगली सुनवाई तक याची गण का वेतन नहीं रोका जाएगा. यह आज का भी पूर्व में इस मामले में दाखिल अन्य याचिकाओं के साथ संबंध करने का आदेश दिया है.

उल्लेखनीय है कि नई पेंशन योजना अपनाए जाने के खिलाफ कर्मचारी लंबे समय से लामबंद है. राज्य सरकार के कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं. सरकार ने कर्मचारियों को नई पेंशन योजना अपनाने के लिए शासनादेश जारी करते हुए ऐसे कर्मचारियों का वेतन रोके जाने की चेतावनी दी है, जो नई पेंशन योजना नहीं अपना रहे हैं. इस शासनादेश को कर्मचारियों की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.

यह भी पढे़ं- Magh Mela 2023: प्रयागराज में साधु संतों ने शुरू की पंचकोसी परिक्रमा

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नई पेंशन योजना में शामिल नहीं होने वाले कर्मचारियों का वेतन रोके जाने संबंधी राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. सरकार द्वारा 16 दिसंबर 2022 को शासनादेश जारी कर कहा गया है कि जिन कर्मचारी नई पेंशन योजना के लिए ट्रेन में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है. उनका वेतन रोक दिया जाए. इस शासनादेश को सैकड़ों कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर चुनौती दी है. शासनादेश में यह प्रावधान था कि जो कर्मचारी नई पेंशन योजना नहीं अपनाएंगे. उनका वेतन रोक दिया जाएगा. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए कहा है कि अगले आदेश तक एनपीएस ना अपनाने वाले याची गण का वेतन न रोका जाए.

शिवम शर्मा और 316 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने दिया है. याची गण के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि राज्य सरकार ने 16 दिसंबर 2022 को शासनादेश जारी कर यह प्रावधान किया है कि नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस ) में रजिस्ट्रेशन न कराने वाले कर्मचारियों का वेतन रोक दिया जाएगा. याची गण का कहना था कि नेशनल पेंशन स्कीम के प्रावधान इस प्रकार के हैं कि इसे अपनाने के लिए किसी कर्मचारी को बाध्य नहीं किया जा सकता है और एनपीएस ना लेने वाले कर्मचारी का वेतन रोका नहीं जा सकता है. कहा गया कि इस मामले में हाईकोर्ट ने पूर्व में दाखिल कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए वेतन कटौती के आदेश पर रोक लगा रखी है. कोर्ट ने इस प्रकरण को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए राज्य सरकार से अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. साथ ही कहा है कि अगली सुनवाई तक याची गण का वेतन नहीं रोका जाएगा. यह आज का भी पूर्व में इस मामले में दाखिल अन्य याचिकाओं के साथ संबंध करने का आदेश दिया है.

उल्लेखनीय है कि नई पेंशन योजना अपनाए जाने के खिलाफ कर्मचारी लंबे समय से लामबंद है. राज्य सरकार के कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं. सरकार ने कर्मचारियों को नई पेंशन योजना अपनाने के लिए शासनादेश जारी करते हुए ऐसे कर्मचारियों का वेतन रोके जाने की चेतावनी दी है, जो नई पेंशन योजना नहीं अपना रहे हैं. इस शासनादेश को कर्मचारियों की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.

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