प्रयागराज: त्रिवेणी संगम परेड ग्राउंड पर दो दिवसीय गंगा समग्र कार्यक्रम संपन्न हो गया है. कार्यक्रम में संबोधन देने आए संघ प्रमुख मोहन भागवत कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा व प्रेरणा देकर वापस दिल्ली के लिए रवाना हो गए. अपने 45 मिनट के संबोधन में उन्होंने गंगा की निर्मलता व अविरलता के लिए सबसे अधिक जनसहभागिता पर जोर दिया.
750 से अधिक कार्यकर्ता रहे मौजूद
प्रयागराज में लगे माघ मेला में विश्व हिंदू परिषद के शिविप में शुक्रवार को दो दिवसीय गंगा समग्र बैठक का आयोजन किया गया. आज इस बैठक का दूसरा दिन है. दूसरे दिन गंगा समग्र में होने वाले विचार मंथन के पहले सत्र की बैठक की शुरुआत दीप प्रज्वलन कर की गई. आज बैठक में गंगा समग्र से जुड़े लगभग 750 से अधिक कार्यकर्ताओं को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संबोधित किया. इस सत्र में संघ के सर सह कार्यवाह कृष्ण गोपाल, सहित संघ के सभी प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे.
गंगा समग्र कार्यक्रम के दूसरे दिन प्रथम सत्र में 6 राज्यों स्वयंसेवक उपस्थित रहे. सभी ने 2014 से अब तक अविरल एवं निर्मल गंगा के लिए किए गए प्रयासों के बारे में बताया. साथ ही गंगा तट पर बसे आबादी वाले गांव की भौगोलिक स्थिति के विषय में वृत्त प्रस्तुत किया. आज गंगा समग्र के छह आयामों के विषय में आयाम प्रमुखों ने चर्चा की, जो वृक्षारोपण, घाट स्वच्छता, तीर्थ पुरोहित, तालाब निर्माण, तकनीकि, नाविकों और मछुआरों के विषय से संबंधित थे.
लोगों को जागरूक करना जरूरी
दरअसल, समग्र कार्यक्रम में गंगा की निर्मलता और अविरलता को लेकर बैठक में चर्चा की गई. बैठक के अंतिम सत्र में संघ प्रमुख का संबोधन भी हुआ. गंगा समग्र में देश के कोने-कोने से शामिल होने वाले कार्यकर्ताओं ने संघ संचालक के संबोधन के बाद अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया दी. रितेश पांडेय ने बातचीत में बताया कि संघ संचालक से जो संदेश मिला है, वह काफी प्रेरणादायी है. गंगा की निर्मलता के लिए लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है. लोगों के अंदर गंगा के प्रति भक्ति भाव लाया जाए. जब अंदर भक्ति होगी तो गंगा अपने आप निर्मल हो जाएगी.
वहीं वाराणसी से आईं नेहा दुबे ने बताया कि हमें पहली बार संघ प्रमुख को सुनने का मौका मिला. कहा कि संघ प्रमुख ने प्रेरणा दी कि कोई भी कार्य अकेले पूर्ण नहीं किया जा सकता, बल्कि जन सहयोग को साथ में लेकर चलेंगे तो पूरे समाज को जोड़कर कार्य पूरा होगा. साथ ही इससे कार्य सफल भी होगा.
गंगा निर्मलता मिशन से जुड़ी मंजूलता ने बताया कि हमें गंगा की निर्मलता के लिए पौराणिक कथाओं के ज्ञान के साथ-साथ पर्यावरण के ज्ञान को भी लेना जरूरी है. साथ ही अपने अंदर कर्म भाव को जगाना है. अगर यह तीनों साथ होंगी तो यह प्रयास जरूर सफल होगा. गंगा को निर्मल बना सकते हैं.
गंगा समग्र कार्यक्रम में पहुंचे नमामि गंगे मिशन के तकनीकी विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण कुमार ने बताया कि गंगा समग्र कार्यक्रम का आयोजन करने का उद्देश्य गंगा के अविरल प्रवाह को जन जन तक पहुंचाना है. धरातल पर क्या कार्य किए जा रहे हैं, इस मिशन से जुड़ने वाले लोग क्या-क्या कार्य कर रहे हैं, सरकार द्वारा गंगा की निर्मलता के लिए क्या किया जा रहा है, इन सबके बारे में लोगों को बताना है.