प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर ने अपने विदाई समारोह में आरोप लगाया कि वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से उनका स्थानांतरण उनका ''परेशान'' करने के लिए किया गया था. उनका स्थानांतरण सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने किया था.
हाईकोर्ट में गत दिवस सेवानिवृत्ति पर आयोजित फुलकोर्ट रेफरेंस में न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर ने कहा कि 'उन्हें लगता है कि उनके स्थानांतरण का आदेश गलत इरादे से जारी किया गया.' उन्होंने आगे कहा, मैंने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में एक न्यायाधीश के तौर पर अक्टूबर 2018 तक अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया. मेरे कार्यों से सभी संतुष्ट थे. अचानक भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र ने मुझ पर अधिक ही प्यार दिखाया, जिसकी वजह मुझे अब भी नहीं पता है. उन्होंने मेरा स्थानांतरण इलाहाबाद हाईकोर्ट में कर दिया, जहां मैंने तीन अक्टूबर 2018 को कार्यभार ग्रहण किया. उन्होंने कहा, मेरा स्थानांतरण आदेश मुझे परेशान करने के इरादे से जारी हुआ प्रतीत हुआ. हालांकि यह मेरे लिए वरदान साबित हुआ क्योंकि मुझे मेरे साथी न्यायाधीशों और बार के सदस्यों की ओर से जबर्दस्त सहयोग और समर्थन मिला.
इस वर्ष की शुरुआत में न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर के नाम की सिफारिश प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचू़ड की अगुवाई वाले कॉलेजियम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद के लिए की और न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर को 13 फरवरी 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया. फिर उन्होंने 26 मार्च 2023 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की शपथ ली. न्यायमूर्ति दिवाकर ने कहा, मैं मौजूदा प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड का अत्यधिक आभारी हूं, जिन्होंने मेरे साथ हुए अन्याय को सुधारा.
अपने संबोधन में न्यायमूर्ति दिवाकर ने यह सुझाव भी दिया कि आलोचकों को किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले खामियों को जरूर देखना चाहिए। उन्होंने कहा, इस न्यायालय के कामकाज को लेकर विभिन्न हलकों से आलोचना की जाती है लेकिन मेरा दृढ विश्वास है कि किसी खास निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले जहां तक संभव हो, इस संस्था में मौजूद खामियों को भीतर से अवश्य देखना चाहिए और समस्या में ही समाधान निहित है.
न्यायमूर्ति दिवाकर ने अपने करियर की भी चर्चा की. वर्ष 1961 में जन्मे जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में 1984 में एक अधिवक्ता के तौर पर अपना करियर शुरू किया. उन्होंने जबलपुर में दुर्गावती विश्वविद्यालय से विधि स्नातक किया और जनवरी 2005 में वरिष्ठ अधिवक्ता बने. उन्हें 31 मार्च 2009 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया. उन्होंने कहा, मैंने जज बनने का कभी लक्ष्य नहीं रखा, लेकिन भाग्य को कुछ और मंजूर था. मेरा मानना है कि जब आप अपने पेशे से प्यार करते हैं तो समय आपको सफलता की ओर ले जाता है. न्यायमूर्ति दिवाकर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत कर रहे अधिवक्ताओं की भी सराहना की. उन्होंने कहा, इलाहाबाद उच्च न्यायालय और इसकी लखनऊ पीठ में अधिवक्ताओं की गुणवत्ता और उनका व्यवहार प्रशंसनीय है. अन्य उच्च न्यायालय के की तरह ही यहां के वकीलों की विधि दक्षता और प्रस्तुति अच्छी है.
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