प्रयागराज: शंकरगढ़ विकासखंड के जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत तथा ग्राम पंचायत के आरक्षण की लिस्ट प्रकाशित होते ही पूरे क्षेत्र में चुनाव को लेकर गहमागहमी बढ़ गई है. विकासखंड मुख्यालय में चस्पा की गई लिस्ट को देखने के लिए बुधवार को दिन भर लोग आते जाते रहे, और अपनी रणनीति के तहत चर्चा करते दिखाई पड़े. इसके पहले मंगलवार को सीट आरक्षण की लिस्ट को लेकर लोग बेचैन दिख रहे थे जो बुधवार को समाप्त हो गई.
ज्ञात हो कि शंकरगढ़ विकासखंड में जिला पंचायत के लिए तीन सीटें आती हैं. शंकरगढ़ प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय. शंकरगढ़ प्रथम वार्ड नंबर 64 इस बार अनुसूचित जाति महिला के लिए सुरक्षित किया गया है, तो वहीं वार्ड नंबर 65 शंकरगढ़ द्वितीय ओबीसी महिला के लिए सुरक्षित किया गया है. वार्ड नंबर 66 शंकरगढ़ तृतीय की बात करें तो यह सीट ओबीसी के खाते में गई है.
शंकरगढ़ प्रथम से जिला पंचायत सदस्य रहे जमील खान सामान्य सीट से चुनाव जीते थे जो कि इस बार सुरक्षित हो गई है. वही शंकरगढ़ द्वितीय से महिला सीट से लक्ष्मी सिंह चुनी गई थीं जो कि इस बार पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित की गई है. शंकरगढ़ तृतीय से केसरी देवी पटेल निर्वाचित हुई थीं. बाद में सांसद फूलपुर चुने जाने के बाद उन्होंने अपनी सीट छोड़ दी थी जिस पर उनकी बहू रिचा सिंह निर्विरोध निर्वाचित हुई थीं. यह सीट इस बार भी पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गई है. शंकरगढ़ द्वितीय एवं तृतीय से चुने गए चुनी गई दोनों जिला पंचायत सदस्य केसरी देवी पटेल की बहुएं हैं, जो इस इस बार भी अपनी किस्मत आजमा सकती हैं. पूछे जाने पर बताया गया कि पार्टी का जो भी निर्देश होगा उसे के अनुसार कार्य किया जाएगा.
शंकरगढ़ ब्लाक प्रमुख की सीट आरक्षित
शंकरगढ़ विकासखंड के ब्लॉक प्रमुख की सीट जहां पहले ओबीसी के लिए आरक्षित थी वहीं इस बार यह अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित की गई है. ब्लाक प्रमुख भारत सिंह टिकरौहीं कला से क्षेत्र पंचायत से चुनाव जीतकर ब्लाक प्रमुख बने थे, लेकिन इस बार अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित होने के कारण वे दूसरी बार ब्लॉक प्रमुख नहीं बन सकते.
क्षेत्र पंचायत की 85सीट, कईयों में उलटफेर
शंकरगढ़ में कुल 85 क्षेत्र पंचायत सदस्यों की सीट हैं, जिसमें अनुसूचित जाति महिला के लिए 06 ,अनुसूचित जाति के लिए 12 , पिछड़ा वर्ग महिला के लिए 8, पिछड़ा वर्ग के लिए 14 ,महिला के लिए 15, तथा 30 सीटें अनारक्षित घोषित की गई हैं. क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने वाले कुछ लोगों के मंसूबों पर आरक्षण को देखते हुए जहां पानी फिर गया वहीं कुछ लोगों के चेहरे खिले खिले नजर आए.
ग्राम प्रधान की आरक्षण लिस्ट जारी होते ही चढ़ा सियासी पारा
शंकरगढ़ विकासखंड में 76 ग्राम सभाएं हैं जिसकी दोपहर में आरक्षण की लिस्ट जारी हुई. इस बार 76 ग्राम सभाओं में से अनुसूचित जाति के लिए 12, अनुसूचित जाति महिला के लिए 06, पिछड़ा वर्ग महिला के लिए 07, पिछड़ा वर्ग के लिए 13, महिला के लिए 13 तथा 25 सीटें अनारक्षित की गई हैं.
कुछ प्रधान गए परदे के पीछे तो कुछ और परदे के बाहर
पिछले पंचायत चुनाव की अपेक्षा इस बार ग्राम प्रधान सीटों पर उलटफेर हुआ है. जिससे कई वर्तमान प्रधानों का दूसरी बार प्रधान बनने का सपना टूट गया है. हालांकि कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां पहले महिला के लिए आरक्षित सीट पर उनके पतियों द्वारा प्रधानी की जा रही थी, लेकिन इस बार वहां अनारक्षित सीट हो जाने से वे खुद पर्दे के बाहर आ गए हैं. कुछ गांव का आरक्षण ऐसा है कि जहां पर सामान्य पुरुष प्रधान बने थे वह महिला के लिए आरक्षित कर दी गई है जिससे कुछ प्रधान पर्दे के पीछे से प्रधानी करने के मूड में हैं.
पंचायत चुनाव की सरगर्मी बढ़ते ही मतदाताओं में चहल-पहल व नुक्कड़ चर्चा तेज हो गई है. अब यह तो वक्त ही बताएगा कि कौन अपने मंसूबों में कामयाब हो पाता है और कौन चारों खाने चित होता है.
पंचायत चुनाव की आरक्षण लिस्ट जारी, प्रयागराज में बढ़ी सरगर्मी
प्रयागराज के शंकरगढ़ विकासखंड के जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत तथा ग्राम पंचायत के आरक्षण की लिस्ट प्रकाशित हुई तो सियासी सरगर्मी बढ़ गई. आरक्षण की लिस्ट को लेकर बेचैन दिख रहे लोगों की बेचैनी आरक्षण की लिस्ट जारी होते समाप्त हो गई.
प्रयागराज: शंकरगढ़ विकासखंड के जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत तथा ग्राम पंचायत के आरक्षण की लिस्ट प्रकाशित होते ही पूरे क्षेत्र में चुनाव को लेकर गहमागहमी बढ़ गई है. विकासखंड मुख्यालय में चस्पा की गई लिस्ट को देखने के लिए बुधवार को दिन भर लोग आते जाते रहे, और अपनी रणनीति के तहत चर्चा करते दिखाई पड़े. इसके पहले मंगलवार को सीट आरक्षण की लिस्ट को लेकर लोग बेचैन दिख रहे थे जो बुधवार को समाप्त हो गई.
ज्ञात हो कि शंकरगढ़ विकासखंड में जिला पंचायत के लिए तीन सीटें आती हैं. शंकरगढ़ प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय. शंकरगढ़ प्रथम वार्ड नंबर 64 इस बार अनुसूचित जाति महिला के लिए सुरक्षित किया गया है, तो वहीं वार्ड नंबर 65 शंकरगढ़ द्वितीय ओबीसी महिला के लिए सुरक्षित किया गया है. वार्ड नंबर 66 शंकरगढ़ तृतीय की बात करें तो यह सीट ओबीसी के खाते में गई है.
शंकरगढ़ प्रथम से जिला पंचायत सदस्य रहे जमील खान सामान्य सीट से चुनाव जीते थे जो कि इस बार सुरक्षित हो गई है. वही शंकरगढ़ द्वितीय से महिला सीट से लक्ष्मी सिंह चुनी गई थीं जो कि इस बार पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित की गई है. शंकरगढ़ तृतीय से केसरी देवी पटेल निर्वाचित हुई थीं. बाद में सांसद फूलपुर चुने जाने के बाद उन्होंने अपनी सीट छोड़ दी थी जिस पर उनकी बहू रिचा सिंह निर्विरोध निर्वाचित हुई थीं. यह सीट इस बार भी पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गई है. शंकरगढ़ द्वितीय एवं तृतीय से चुने गए चुनी गई दोनों जिला पंचायत सदस्य केसरी देवी पटेल की बहुएं हैं, जो इस इस बार भी अपनी किस्मत आजमा सकती हैं. पूछे जाने पर बताया गया कि पार्टी का जो भी निर्देश होगा उसे के अनुसार कार्य किया जाएगा.
शंकरगढ़ ब्लाक प्रमुख की सीट आरक्षित
शंकरगढ़ विकासखंड के ब्लॉक प्रमुख की सीट जहां पहले ओबीसी के लिए आरक्षित थी वहीं इस बार यह अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित की गई है. ब्लाक प्रमुख भारत सिंह टिकरौहीं कला से क्षेत्र पंचायत से चुनाव जीतकर ब्लाक प्रमुख बने थे, लेकिन इस बार अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित होने के कारण वे दूसरी बार ब्लॉक प्रमुख नहीं बन सकते.
क्षेत्र पंचायत की 85सीट, कईयों में उलटफेर
शंकरगढ़ में कुल 85 क्षेत्र पंचायत सदस्यों की सीट हैं, जिसमें अनुसूचित जाति महिला के लिए 06 ,अनुसूचित जाति के लिए 12 , पिछड़ा वर्ग महिला के लिए 8, पिछड़ा वर्ग के लिए 14 ,महिला के लिए 15, तथा 30 सीटें अनारक्षित घोषित की गई हैं. क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने वाले कुछ लोगों के मंसूबों पर आरक्षण को देखते हुए जहां पानी फिर गया वहीं कुछ लोगों के चेहरे खिले खिले नजर आए.
ग्राम प्रधान की आरक्षण लिस्ट जारी होते ही चढ़ा सियासी पारा
शंकरगढ़ विकासखंड में 76 ग्राम सभाएं हैं जिसकी दोपहर में आरक्षण की लिस्ट जारी हुई. इस बार 76 ग्राम सभाओं में से अनुसूचित जाति के लिए 12, अनुसूचित जाति महिला के लिए 06, पिछड़ा वर्ग महिला के लिए 07, पिछड़ा वर्ग के लिए 13, महिला के लिए 13 तथा 25 सीटें अनारक्षित की गई हैं.
कुछ प्रधान गए परदे के पीछे तो कुछ और परदे के बाहर
पिछले पंचायत चुनाव की अपेक्षा इस बार ग्राम प्रधान सीटों पर उलटफेर हुआ है. जिससे कई वर्तमान प्रधानों का दूसरी बार प्रधान बनने का सपना टूट गया है. हालांकि कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां पहले महिला के लिए आरक्षित सीट पर उनके पतियों द्वारा प्रधानी की जा रही थी, लेकिन इस बार वहां अनारक्षित सीट हो जाने से वे खुद पर्दे के बाहर आ गए हैं. कुछ गांव का आरक्षण ऐसा है कि जहां पर सामान्य पुरुष प्रधान बने थे वह महिला के लिए आरक्षित कर दी गई है जिससे कुछ प्रधान पर्दे के पीछे से प्रधानी करने के मूड में हैं.
पंचायत चुनाव की सरगर्मी बढ़ते ही मतदाताओं में चहल-पहल व नुक्कड़ चर्चा तेज हो गई है. अब यह तो वक्त ही बताएगा कि कौन अपने मंसूबों में कामयाब हो पाता है और कौन चारों खाने चित होता है.