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किसानों को मिला 'कृषि ड्रोन' का तोहफा, अब कीट नहीं दे पाएंगे धोखा - krishi drone

प्रयागराज ट्रिपल आईटी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) में शोध के स्टूडेंट्स पवन और शेफाली ने किसानों के लिए स्पेशल कृषि ड्रोन तैयार किया है, जो फसलों को बीमारियों से बचाने में सहायक होगा. ड्रोन की खास बात यह है कि किसानों की फसलों को कीड़ों से बचाने और बीमार फसलों पर जरूरत के हिसाब से दवा का छिड़काव करने में मददगार साबित होगा.

शोधकर्ता पवन शेफाली ने बनाया कृषि ड्रोन.
शोधकर्ता पवन शेफाली ने बनाया कृषि ड्रोन.
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Published : Feb 20, 2021, 9:30 PM IST

प्रयागराज : भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के छात्रों ने किसानों को कृषि ड्रोन के रूप में तोहफा दिया है. कृषि और विज्ञान का संगम किसानों की जिंदगी में एक नया बदलाव लेकर आया है. ट्रिपल आईटी के दो छात्रों ने कृषि ड्रोन कैमरा टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर सपने को सचकर दिखाया है. ड्रोन की खास बात ये है कि किसानों के फसलों को कीड़े से बचाने के साथ ही बीमार फसलों पर उनके जरूरत के हिसाब से दवा का छिड़काव भी करेगा.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है ड्रोन

प्रयागराज के ट्रिपल आईटी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) में शोध कर रहे दो छात्रों ने किसानों के खेतों में कीटनाशक छिड़काव के लिए एक अनोखा ड्रोन बनाया है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित इस ड्रोन के जरिए किसान अपनी फसल के उन्हीं हिस्से में ड्रोन से फसल पर कीटनाशक का छिड़काव कर सकेंगे, जहां पर जरूरत होगी. किसानों को जहां एक तरफ कीटनाशक के छिड़काव से फसलों की बीमारियों से छुटकारा मिलेगा तो वहीं ड्रोन की मदद से किसानों को अपने पीठ पर दवा लादकर छिड़काव नहीं करना पड़ेगा.

शोधकर्ता पवन शेफाली ने बनाया कृषि ड्रोन.

देश-विदेश की प्रतियोगिता में भी बढ़ाया मान

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) के पवन और शेफाली ने अंतरराष्ट्रीय स्तर की ग्लोबल प्रॉब्लम साॅल्वर चैलेंज 2020 (सिस्को) में तीसरा स्थान हासिल करके देश और संस्थान का भी मान बढ़ाया है. इन दोनों प्रतिभागियों को 10 हजार डॉलर का पुरस्कार दिया गया. बोइंग की तरफ से भी 10 हजार डालर का पुरस्कार दिया गया. साथ ही फेसबुक ग्रांट भी मिला. पवन और शेफाली ने डॉ. प्रीतिश भारद्वाज एवं डॉ. सुनील यादव के मार्गदर्शन में इस कृषि ड्रोन कैमरे को दो साल में तैयार किया है. शेफाली और पवन इस ड्रोन के अलावा कई अन्य ड्रोन को विकसित करने पर काम कर रहे हैं.

किसानों के दर्द को समझते हैं शोधकर्ता

गाजीपुर निवासी शोधकर्ता पवन कहते हैं कि किसानों को खेती करने में आने वाली दिक्कतों और किसानों के दर्द को वह बखूबी समझते थे. इसलिए उन्होंने शेफाली की मदद से किसानों के लिए ये खास किस्म का ड्रोन तैयार कर किसानों के दर्द को कम करने की कोशिश की है. पवन का कहना है कि उनकी इस सोच को पिता ने बखूबी समझा और उनका भरपूर साथ दिया. वहीं छत्तीसगढ़ की रहने वाली शेफाली ने बताया कि किसानों के लिए हमें कुछ करना चाहिए. इस बात का ख्याल रखते हुए हम दोनों ने मिलकर ड्रोन कैमरा तैयार किया.

देश हित और किसानों के लिए मददगार

प्रयागराज ट्रिपल आईटी से पीएचडी कर रहे पवन और शेफाली ने पीएस-1925 नाम की कंपनी बनाई है, जो पिछले दो सालों से ड्रोन पर काम कर रही है. स्मार्ट ड्रोन कैमरा फॉगिंग में किसानों के लिए मददगार होगा. इस ड्रोन की मदद से किसानों को फसलों में लगने वाले रोगों की जानकारी सही समय पर पता चल सकेगी. इतना ही नहीं खेत का कौन सा हिस्सा स्वस्थ है और कौन सा रोग ग्रस्त ये भी पता कर सकेंगे.

प्रयागराज : भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के छात्रों ने किसानों को कृषि ड्रोन के रूप में तोहफा दिया है. कृषि और विज्ञान का संगम किसानों की जिंदगी में एक नया बदलाव लेकर आया है. ट्रिपल आईटी के दो छात्रों ने कृषि ड्रोन कैमरा टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर सपने को सचकर दिखाया है. ड्रोन की खास बात ये है कि किसानों के फसलों को कीड़े से बचाने के साथ ही बीमार फसलों पर उनके जरूरत के हिसाब से दवा का छिड़काव भी करेगा.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है ड्रोन

प्रयागराज के ट्रिपल आईटी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) में शोध कर रहे दो छात्रों ने किसानों के खेतों में कीटनाशक छिड़काव के लिए एक अनोखा ड्रोन बनाया है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित इस ड्रोन के जरिए किसान अपनी फसल के उन्हीं हिस्से में ड्रोन से फसल पर कीटनाशक का छिड़काव कर सकेंगे, जहां पर जरूरत होगी. किसानों को जहां एक तरफ कीटनाशक के छिड़काव से फसलों की बीमारियों से छुटकारा मिलेगा तो वहीं ड्रोन की मदद से किसानों को अपने पीठ पर दवा लादकर छिड़काव नहीं करना पड़ेगा.

शोधकर्ता पवन शेफाली ने बनाया कृषि ड्रोन.

देश-विदेश की प्रतियोगिता में भी बढ़ाया मान

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) के पवन और शेफाली ने अंतरराष्ट्रीय स्तर की ग्लोबल प्रॉब्लम साॅल्वर चैलेंज 2020 (सिस्को) में तीसरा स्थान हासिल करके देश और संस्थान का भी मान बढ़ाया है. इन दोनों प्रतिभागियों को 10 हजार डॉलर का पुरस्कार दिया गया. बोइंग की तरफ से भी 10 हजार डालर का पुरस्कार दिया गया. साथ ही फेसबुक ग्रांट भी मिला. पवन और शेफाली ने डॉ. प्रीतिश भारद्वाज एवं डॉ. सुनील यादव के मार्गदर्शन में इस कृषि ड्रोन कैमरे को दो साल में तैयार किया है. शेफाली और पवन इस ड्रोन के अलावा कई अन्य ड्रोन को विकसित करने पर काम कर रहे हैं.

किसानों के दर्द को समझते हैं शोधकर्ता

गाजीपुर निवासी शोधकर्ता पवन कहते हैं कि किसानों को खेती करने में आने वाली दिक्कतों और किसानों के दर्द को वह बखूबी समझते थे. इसलिए उन्होंने शेफाली की मदद से किसानों के लिए ये खास किस्म का ड्रोन तैयार कर किसानों के दर्द को कम करने की कोशिश की है. पवन का कहना है कि उनकी इस सोच को पिता ने बखूबी समझा और उनका भरपूर साथ दिया. वहीं छत्तीसगढ़ की रहने वाली शेफाली ने बताया कि किसानों के लिए हमें कुछ करना चाहिए. इस बात का ख्याल रखते हुए हम दोनों ने मिलकर ड्रोन कैमरा तैयार किया.

देश हित और किसानों के लिए मददगार

प्रयागराज ट्रिपल आईटी से पीएचडी कर रहे पवन और शेफाली ने पीएस-1925 नाम की कंपनी बनाई है, जो पिछले दो सालों से ड्रोन पर काम कर रही है. स्मार्ट ड्रोन कैमरा फॉगिंग में किसानों के लिए मददगार होगा. इस ड्रोन की मदद से किसानों को फसलों में लगने वाले रोगों की जानकारी सही समय पर पता चल सकेगी. इतना ही नहीं खेत का कौन सा हिस्सा स्वस्थ है और कौन सा रोग ग्रस्त ये भी पता कर सकेंगे.

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