प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी की बांदा जिला जेल में गिरोहबंद कानून के तहत निरुद्धि की वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है.
अंसारी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में दर्ज मामले में नजरबंदी को अवैध करार देते हुए कोर्ट में पेश किए जाने की गुहार लगाई है. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने मुख्तार अंसारी की याचिका पर दिया है.
राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी का कहना था कि याचिका पोषणीय नहीं है, जबकि याची अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय का कहना था कि यह पोषणीय है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के गौतम नौलखा केस का हवाला दिया. इस पर कोर्ट ने कहा कि प्रकरण विचारणीय है और राज्य सरकार को याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. याचिका की अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी.
छात्रा से दुष्कर्म और मौत के मामले में 76 संदिग्धों की डीएनए रिपोर्ट मिली
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मैनपुरी की 16 वर्षीय स्कूली छात्रा की कालेज परिसर में दुराचार व फांसी लगाने से मौत के मामले में अब 11 नवम्बर को सुनवाई करने का निर्देश दिया है. प्रदेश सरकार की तरफ से नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता जीएस चतुर्वेदी ने कोर्ट को बताया कि 228 लोगों का सैम्पल एकत्रित कर डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट के लिए हैदराबाद भेजा गया है. इसमें 76 लोगों की डीएनए रिपोर्ट मिल गई है. कहा गया है कि शेष लोगों का डीएनए रिपोर्ट जल्द ही मिल जाएगी. बताया गया कि स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम इस मामले की जांच कर रही है. सीसीटीवी फुटेज आदि पर की जांच चल रही है. कोर्ट से इस मामले की तह तक पहुंचने के लिए और समय की मांग की गई है. मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश राजेश बिन्दल व न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने महेन्द्र प्रताप सिंह की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है.
याची महेन्द्र प्रताप सिंह ने खुद कोर्ट के सामने हाजिर होकर अपना पक्ष रखा और कहा कि पुलिस इस मामले को जानबूझकर टाल रही है और जांच में देरी कर रही है ताकि साक्ष्य मिट जाएं. याची का कहना था कि यह मामला वैसे भी पुराना हो गया है और इसमें और देरी होने से साक्ष्य नहीं मिलेगा. याची का कहना था कि पुलिस इस मामले में लीपा-पोती कर रही है और वास्तविक मुल्जिम को सामने नहीं लाया जा रहा है. मालूम हो कि हाईकोर्ट के कहने पर एसआईटी की नई जांच टीम गठित की गई है और इसमें अनुभवी अधिकारियों को शामिल किया गया है.
हाईकोर्ट ने एसआईटी को छह सप्ताह में जांच पूरी करने के निर्देश दिए हैं. इस मामले में जांच में लापरवाही पर एएसपी, डिप्टी एसपी व आईओ को पहले ही निलंबित किया जा चुका है. हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस मामले में जांच से हाईकोर्ट बार एसोसिएशन व कोर्ट को भी अवगत कराया जाय. कोर्ट ने कहा था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नाबालिग के कपड़ों पर सीमेन पाया गया है. उसके सिर पर चोट के निशान थे. इसके बाद भी तीन महीने बाद अभियुक्तों का केवल बयान ही लिया गया, ऐसा क्यों?
बता दें कि 16 सितंबर 2019 को 16 वर्षीय एक छात्रा जवाहर नवोदय स्कूल में फांसी पर लटकती मिली थी. पुलिस ने शुरू में दावा किया था कि आत्महत्या का मामला है. दूसरी ओर उसकी मां ने आरोप लगाया था कि उसे परेशान किया गया, पीटा गया और जब वह मर गई तो उसे फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. घटना को लेकर छात्रों ने प्रोटेस्ट किया था. परिवार ने भी कई दिनों तक धरना दिया था. मृतका के पिता ने मुख्यमंत्री से जांच की गुहार लगाई तो एसआईटी जांच टीम गठित की गई. 24 अगस्त 2021 को एसआईटी ने केस डायरी हाईकोर्ट में पेश की थी.
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कोर्ट ने कहा था कि छात्रा के पिता का बयान दर्ज नहीं किया गया और 5.30 से 6 बजे सुबह हुई घटना की सूचना परिजनों को न देने से संदेह पैदा होता है. कोर्ट ने कहा कि मृतका के फोन काल की जांच रिपोर्ट भी जाए. यह भी पूछा कि क्या नामजद आरोपी को गिरफ्तार न करना अन्य मामलों में भी ऐसा ही होता है. पिछली तिथि पर कोर्ट ने एसआईटी की लचर ढीली जांच प्रक्रिया पर फटकार लगाई थी और कहा था कि डीएनए जांच का सैंपल लेने में देरी क्यों की गई.