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वक्फ एक्ट में संपत्ति के रजिस्ट्रेशन से गैर मुस्लिमों का अधिकार खत्म नहीं हो जाता, 28 अप्रैल को होगी सुनवाई - prayagraj news in hindi

काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंगलवार को भी सुनवाई पूरी न हो सकी. भगवान विश्वेश्वर मंदिर का अस्तित्व सतयुग से अब तक चला आ रहा है.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट
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Published : Apr 12, 2022, 10:54 PM IST

प्रयागराज: काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में मंगलवार को भी सुनवाई पूरी न हो सकी. भगवान विश्वनाथ मंदिर की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि मंदिर को नुकसान पहुंचाने से संपत्ति का धार्मिक स्वरूप नहीं बदलता है. विवादित भगवान विश्वेश्वर मंदिर का अस्तित्व सतयुग से अब तक चला रहा है.


भगवान विश्वेश्वर विवादित ढांचे में विद्यमान है. कहा गया कि मंदिर को नुकसान पहुंचाने से उसका धार्मिक स्वरूप नहीं बदलता. बहस की गई कि मंदिर प्राचीन है और उसका निर्माण 15वीं सदी से पहले का है.

इसे भी पढ़ेंः विज्ञापन योग्यता पर ही हो सकता है चयन, योग्यता मानक तय करना नियोजक का अधिकार : इलाहाबाद हाई कोर्ट

इस मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति प्रकाश पाड़िया के समक्ष अधिवक्ता ने कहा कि वक्फ एक्ट में संपत्ति का पंजीकरण हो जाने मात्र से गैर मुस्लिम लोगों को उस संपत्ति के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. ऐसी संपत्तियों में गैर मुस्लिम लोगों की संपत्ति से अधिकार खत्म नहीं हो जाता. कहा गया किस कानून में और किस वर्ष में प्रॉपर्टी वक्फ एक्ट में पंजीकृत हुई. यह प्रतिवादी याची को भी पता नहीं है.

1954 के कानून में वक्फ पंजीकृत हैं. फिर कहा गया कि 1960 के कानून में पंजीकृत हैं. यह भी कह रहे कि 1944 में सरकारी सर्वे के बाद मस्जिद वक्फ बोर्ड में पंजीकृत हैं. यह भी कहा गया कि कोई संपत्ति का हिस्सा वक्फ बोर्ड में पंजीकृत होने से मुस्लिम समाज को कोई अधिकार नहीं मिल जाता. वक्फ बोर्ड केवल मुस्लिम समुदाय के विवाद ही तय कर सकता है. गैर मुस्लिम के बीच विवाद पर वक्फ बोर्ड का कोई अधिकार नहीं है. बहस 28 अप्रैल को होगी.

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प्रयागराज: काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में मंगलवार को भी सुनवाई पूरी न हो सकी. भगवान विश्वनाथ मंदिर की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि मंदिर को नुकसान पहुंचाने से संपत्ति का धार्मिक स्वरूप नहीं बदलता है. विवादित भगवान विश्वेश्वर मंदिर का अस्तित्व सतयुग से अब तक चला रहा है.


भगवान विश्वेश्वर विवादित ढांचे में विद्यमान है. कहा गया कि मंदिर को नुकसान पहुंचाने से उसका धार्मिक स्वरूप नहीं बदलता. बहस की गई कि मंदिर प्राचीन है और उसका निर्माण 15वीं सदी से पहले का है.

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इस मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति प्रकाश पाड़िया के समक्ष अधिवक्ता ने कहा कि वक्फ एक्ट में संपत्ति का पंजीकरण हो जाने मात्र से गैर मुस्लिम लोगों को उस संपत्ति के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. ऐसी संपत्तियों में गैर मुस्लिम लोगों की संपत्ति से अधिकार खत्म नहीं हो जाता. कहा गया किस कानून में और किस वर्ष में प्रॉपर्टी वक्फ एक्ट में पंजीकृत हुई. यह प्रतिवादी याची को भी पता नहीं है.

1954 के कानून में वक्फ पंजीकृत हैं. फिर कहा गया कि 1960 के कानून में पंजीकृत हैं. यह भी कह रहे कि 1944 में सरकारी सर्वे के बाद मस्जिद वक्फ बोर्ड में पंजीकृत हैं. यह भी कहा गया कि कोई संपत्ति का हिस्सा वक्फ बोर्ड में पंजीकृत होने से मुस्लिम समाज को कोई अधिकार नहीं मिल जाता. वक्फ बोर्ड केवल मुस्लिम समुदाय के विवाद ही तय कर सकता है. गैर मुस्लिम के बीच विवाद पर वक्फ बोर्ड का कोई अधिकार नहीं है. बहस 28 अप्रैल को होगी.

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