प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कोर्ट विषय विशेषज्ञ की राय पर आमतौर पर हस्तक्षेप नहीं कर सकती. यदि उत्तर कुंजी से स्पष्ट रूप से गलती दिख रही हो तो उसी स्थिति में हस्तक्षेप किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि परीक्षा उत्तर कुंजी विषय विशेषज्ञ,परीक्षक द्वारा तैयार की जाती है. कोर्ट को रिसर्च करने का अधिकार नहीं है और अभ्यर्थी विशेषज्ञ नहीं हो सकता. कोर्ट ने कहा कि उत्तर कुंजी के गलत साबित करने का भार अभ्यर्थी पर है. कोर्ट उसकी आशंका पर पुनर्मूल्यांकन का आदेश जारी कर अपने क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण नहीं कर सकती.
इसी के साथ कोर्ट ने उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग द्वारा आयोजित सहायक प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में भूगोल विषय की उत्तर कुंजी को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने अनूप कुमार सिंह और अन्य की याचिका पर दिया है. याची का कहना था कि छः सवालों के जवाब सही नहीं है. उसकी उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन किया जाए.
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वहीं, आयोग का कहना था कि विशेषज्ञ परीक्षक ने आपत्तियों की जांच के बाद उत्तर कुंजी अपलोड की है. कोई सवाल का विकल्प उत्तर गलत नहीं है. कोर्ट ने कहा परीक्षक विषय विशेषज्ञ एक स्वतंत्र निकाय है. कोर्ट को उनकी राय पर हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. यदि गलती हुई हो तो विशेषज्ञ की राय लेकर उसका लाभ सभी को मिलना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि नियम तय है. पुनर्मूल्यांकन का आदेश सहानुभूति या मुआवजे को लेकर नहीं दिया जा सकता. कोर्ट विशेषज्ञ के फैसले का पुनर्विलोकन नहीं कर सकती.
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