प्रयागराजः सोशल साइंस विषय के सहायक अध्यापक भर्ती में दो विषय के विकल्प के बावजूद तीसरे विषय का उत्तर देने वाले अभ्यर्थियों को झटका लगा है. हाईकोर्ट ने उनकी ओएमआर सीट के दो विषयों के ही मूल्यांकन करने का आदेश रद्द कर दिया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से एकलपीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल विशेष अपील को स्वीकार कर लिया है. अभ्यर्थियों की याचिका और अपील खारिज कर दी है.
कोर्ट ने कहा है कि सहायक अध्यापक भर्ती में बैठने वाले अगर ठीक से दिशानिर्देश को पढ़कर जवाब नहीं दे सकते हैं, जो कि बाध्यकारी हैं, तो ऐसे लोगों के प्रजेंस ऑफ माइंड और इंटेलिजेंस लेबल की स्वयं ही कल्पना की जा सकती है.
कोर्ट ने कहा कि हजारों लोग परीक्षा में बैठते हैं. मूल्यांकन कप्यूटर के सॉफ्टवेयर के जरिए किया जाता है. परिणाम घोषित होने और नियुक्ति किये जाने के बाद सॉफ्टवेयर में परिवर्तन करने से परीक्षा गुणवत्ता से समझौता होगा.
ये आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने चयन बोर्ड और कुछ अभ्यर्थियों की विशेष अपील पर दिया है. चयन बोर्ड का कहना था कि एकलपीठ के आदेश का पालन करना कठिन है. सोशल साइंस विषय में भूगोल, इतिहास, अर्थशास्त्र और नागरिक शास्त्र में से दो विकल्पों के उत्तर ओमएमआर सीट पर देने थे.
याचियों ने दो के अलावा तीसरे विषय के जवाब दर्ज कर दिया है. कंप्यूटर ने अभ्यर्थिता निरस्त कर दी है. याचियों का कहना था कि गलती से तीसरे विषय का उत्तर दिया है. उसकी उपेक्षा की जाए. केवल दो विषयों का मूल्यांकन किया जाये.
एकलपीठ ने याचिका मंजूर करते हुए बोर्ड को ओमएमआर सीट से दो विषयों का मूल्यांकन करने का निर्देश दिया. जिसे अपील में चुनौती दी गई थी.
बोर्ड का कहना था कि एजेंसी ने परीक्षा करायी थी. उसने अपना काम पूरा कर दिया. अब दोबारा उससे काम नहीं लिया जा सकता है. दूसरे सॉफ्टवेयर में बदलाव करना भी कठिन है. प्रोग्राम बदला नहीं जा सकता.
परीक्षा में कुल 69,078 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी. 3,662 को सफल घोषित किया गया. 1099 लोगों का चयन किया गया. उन्हें नियुक्ति भी दे दी गई.
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कोर्ट ने कहा कि जो स्पष्ट निर्देश का पालन नहीं कर सकते हैं. उनकी अर्जी निरस्त की जानी चाहिए. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया.