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high court: हत्या और गैंगस्टर एक्ट के तहत जेल में निरुद्ध व्यक्ति के खिलाफ रासुका रद - राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की न्यूज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि यदि आरोपी गैंगस्टर एक्ट के तहत निरुद्ध है और उसकी शीघ्र रिहाई की संभावना नहीं है. उसने जमानत प्रार्थनापत्र भी दाखिल नहीं किया है तो उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई करना विधि विरुद्ध है.

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Published : Dec 26, 2021, 9:51 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि यदि आरोपी गैंगस्टर एक्ट के तहत निरुद्ध है और उसकी शीघ्र रिहाई की संभावना नहीं है. उसने जमानत प्रार्थनापत्र भी दाखिल नहीं किया है तो उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई करना विधि विरुद्ध है.

कोर्ट ने शाहजहांपुर के अभयराज गुप्ता के खिलाफ रासुका के तहत निरुद्धि आदेश को इसी आधार पर रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि हत्या की वारदात कानून व्यवस्था का मसला है, लोक व्यवस्था का नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने दिया है. वरिष्ठ अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र ने याची का पक्ष रखते हुए कहा कि एनएसए में निरुद्धि का आदेश देने से काफी पहले से याची जेल में बंद है और उसने जमानत प्रार्थनापत्र भी दाखिल नहीं किया है.

पांच आधार पर दी गई चुनौती

वरिष्ठ अधिवक्ता ने एनएसए की कार्रवाई को पांच आधार पर चुनौती देते हुए कहा कि घटना एक व्यक्ति विशेष के खिलाफ ,जिससे कानून व्यवस्था तो प्रभावित हुई है, लोक व्यवस्था नहीं जिससे कि एनएसए के तहत कार्रवाई की जा सके. दो दिसंबर 2019 की घटना को लेकर 23 जनवरी 2021 में एनएसए लगाने की कोई आवश्यकता नहीं थी. एनएसए में निरुद्धि के आदेश की प्रति याची को नहीं दी गई. जिलाधिकारी की रिपोर्ट और एडवाइजरी बोर्ड की रिपोर्ट भी याची को नहीं दी गई. एनएसए के तहत निरुद्धि आदेश पारित करने के पहले से ही याची जेल में है और उसने जमानत का प्रार्थनापत्र भी नहीं दिया है. इस स्थिति में याची द्वारा लोक शांति भंग करने की कोई संभावना नहीं है.

अभियोजन ने कहा एनएसए जरूरी

याचिका का विरोध करते हुए अपर शासकीय अधिवक्ता का कहना था कि याची के कृत्य से इलाके में भय और दहशत का माहौल कायम हुआ और लोक शांति भंग हुई. जिला‌धिकारी ने सभी रिपोर्ट पर संतुष्ट होने के बाद ही एनएसए का आदेश दिया. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी जिलाधिकारी की रिपोर्ट का विधिवत अध्ययन करने के बाद संतुष्ट होने पर ही एनएसए की मंजूरी तथा याची द्वारा गृह मंत्रालय को भेजे गए प्रत्यावेदन का परीक्षण किया जिसमें ऐसा कोई आधार नहीं था कि उस पर एनएसए न लगाया जा सके.

ये भी पढ़ेंः स्मृति ईरानी से पानी मांगने पर मारपीट की शिकार महिलाओं के मोहल्ले में कई बीमार...

कोर्ट ने कहा कि याची पहले से जेल में बंद है. उसने जमानत प्रार्थनापत्र भी दाखिल नहीं किया है. यहां तक की जमानत प्रार्थनापत्र दाखिल भी करता है तो गैंगस्टर के मामले में उस प्रकार से जमानत नहीं दी जा सकती जैसे की आम तौर पर जमानत दी जाती है. जब‌ तक कि लोक अभियोजक को ऐसी रिहाई का विरोध करने का अवसर न दिया जाए. दूसरे जबतक अदालत इस बात से संतुष्ट न हो कि अभियुक्त इस अपराध का दोषी नहीं है और जमानत का दुरुपयोग नहीं करेगा. सुप्रीमकोर्ट ने भी बेबी देवासी चुल्ली केस में कहा है कि यदि एक व्यक्ति हिरासत में है और उसके तत्काल रिहा होने की संभावना नहीं है तो नियम यह है कि निरोधात्मक कानून का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

यह था मामला

दो दिसंबर 19 को पीडब्यूडी कार्यालय शाहजहांपुर के सामने राकेश यादव की हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. कुलदीप जायसवाल गंभीर रूप से घायल हो गए. इसकी प्राथमिकी दर्ज कराई गई. पुलिस पर जानलेवा हमला करने के आरोप में भी प्राथमिकी दर्ज कराई गई और इसी मामले में उसके खिलाफ तीसरी प्राथमिकी गैंगस्टर एक्ट के तहत थाना सदर बाजार शाहजहांपुर में दर्ज कराई गई. याची एक मई 2020 से जेल में बंद है. इसी दौरान जिलाधिकारी ने रासुका के तहत नजरबंदी आदेश दिया था जिसके कोर्ट ने रद्द कर दिया और रासुका में निरूद्धि से तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया है. हत्या की वजह पुरानी पारिवारिक रंजिश बताई गई.

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प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि यदि आरोपी गैंगस्टर एक्ट के तहत निरुद्ध है और उसकी शीघ्र रिहाई की संभावना नहीं है. उसने जमानत प्रार्थनापत्र भी दाखिल नहीं किया है तो उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई करना विधि विरुद्ध है.

कोर्ट ने शाहजहांपुर के अभयराज गुप्ता के खिलाफ रासुका के तहत निरुद्धि आदेश को इसी आधार पर रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि हत्या की वारदात कानून व्यवस्था का मसला है, लोक व्यवस्था का नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने दिया है. वरिष्ठ अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र ने याची का पक्ष रखते हुए कहा कि एनएसए में निरुद्धि का आदेश देने से काफी पहले से याची जेल में बंद है और उसने जमानत प्रार्थनापत्र भी दाखिल नहीं किया है.

पांच आधार पर दी गई चुनौती

वरिष्ठ अधिवक्ता ने एनएसए की कार्रवाई को पांच आधार पर चुनौती देते हुए कहा कि घटना एक व्यक्ति विशेष के खिलाफ ,जिससे कानून व्यवस्था तो प्रभावित हुई है, लोक व्यवस्था नहीं जिससे कि एनएसए के तहत कार्रवाई की जा सके. दो दिसंबर 2019 की घटना को लेकर 23 जनवरी 2021 में एनएसए लगाने की कोई आवश्यकता नहीं थी. एनएसए में निरुद्धि के आदेश की प्रति याची को नहीं दी गई. जिलाधिकारी की रिपोर्ट और एडवाइजरी बोर्ड की रिपोर्ट भी याची को नहीं दी गई. एनएसए के तहत निरुद्धि आदेश पारित करने के पहले से ही याची जेल में है और उसने जमानत का प्रार्थनापत्र भी नहीं दिया है. इस स्थिति में याची द्वारा लोक शांति भंग करने की कोई संभावना नहीं है.

अभियोजन ने कहा एनएसए जरूरी

याचिका का विरोध करते हुए अपर शासकीय अधिवक्ता का कहना था कि याची के कृत्य से इलाके में भय और दहशत का माहौल कायम हुआ और लोक शांति भंग हुई. जिला‌धिकारी ने सभी रिपोर्ट पर संतुष्ट होने के बाद ही एनएसए का आदेश दिया. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी जिलाधिकारी की रिपोर्ट का विधिवत अध्ययन करने के बाद संतुष्ट होने पर ही एनएसए की मंजूरी तथा याची द्वारा गृह मंत्रालय को भेजे गए प्रत्यावेदन का परीक्षण किया जिसमें ऐसा कोई आधार नहीं था कि उस पर एनएसए न लगाया जा सके.

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कोर्ट ने कहा कि याची पहले से जेल में बंद है. उसने जमानत प्रार्थनापत्र भी दाखिल नहीं किया है. यहां तक की जमानत प्रार्थनापत्र दाखिल भी करता है तो गैंगस्टर के मामले में उस प्रकार से जमानत नहीं दी जा सकती जैसे की आम तौर पर जमानत दी जाती है. जब‌ तक कि लोक अभियोजक को ऐसी रिहाई का विरोध करने का अवसर न दिया जाए. दूसरे जबतक अदालत इस बात से संतुष्ट न हो कि अभियुक्त इस अपराध का दोषी नहीं है और जमानत का दुरुपयोग नहीं करेगा. सुप्रीमकोर्ट ने भी बेबी देवासी चुल्ली केस में कहा है कि यदि एक व्यक्ति हिरासत में है और उसके तत्काल रिहा होने की संभावना नहीं है तो नियम यह है कि निरोधात्मक कानून का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

यह था मामला

दो दिसंबर 19 को पीडब्यूडी कार्यालय शाहजहांपुर के सामने राकेश यादव की हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. कुलदीप जायसवाल गंभीर रूप से घायल हो गए. इसकी प्राथमिकी दर्ज कराई गई. पुलिस पर जानलेवा हमला करने के आरोप में भी प्राथमिकी दर्ज कराई गई और इसी मामले में उसके खिलाफ तीसरी प्राथमिकी गैंगस्टर एक्ट के तहत थाना सदर बाजार शाहजहांपुर में दर्ज कराई गई. याची एक मई 2020 से जेल में बंद है. इसी दौरान जिलाधिकारी ने रासुका के तहत नजरबंदी आदेश दिया था जिसके कोर्ट ने रद्द कर दिया और रासुका में निरूद्धि से तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया है. हत्या की वजह पुरानी पारिवारिक रंजिश बताई गई.

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